Nuclear Test: क्या वाकई चीन ने किया अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट? अमेरिका के दावे में कितनी सच्चाई

China Denies US Allegations Its Testing Nuclear Weapons
Nuclear Test: क्या वाकई चीन ने किया अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट? अमेरिका के दावे में कितनी सच्चाई
Nuclear Test: क्या वाकई चीन ने किया अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट? अमेरिका के दावे में कितनी सच्चाई

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। चीनी विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को अमेरिका के उन आरोपों को सिरे को खारिज कर दिया जिसमें चीन पर कम क्षमता वाले अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट का शक जताया गया था। दरअसल, 15 अप्रैल को अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के हवाले से एक खबर छापी थी। इसमें चीन के शिंजियांग प्रांत के दक्षिण पूर्वी हिस्से में लोप नूर में मौजूद न्यूक्लियर टेस्टिंग साइट पर परमाणु बम के परीक्षण का शक जताया गया था। इस शक का आधार था लोप नूर टेस्ट साइट पर करीब साल भर से इसकी तैयारियां जिसकी सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई थी।

क्या कहा चीन ने?
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने कहा कि चीन उन देशों में शामिल है, जिसने कॉम्प्रिहेंसिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी (CTBT) पर हस्ताक्षर किया और हमेशा इसके लक्ष्य को समर्थन करता है। सीटीबीटी एक बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संधि है, जो न्यूक्लियर टेस्ट पर रोक लगाता है। अमेरिका और चीन दोनों ने 1996 में इस पर हस्ताक्षर किए थे। लिजिआन ने कहा, "चीन न्यूक्लियर टेस्ट पर रोक को लेकर प्रतिबद्ध है। अमेरिका ने सभी तथ्यों को नजरअंदाज कर चीन पर गैर जिम्मेदाराना और गलत आरोप लगाया है।" झाओ ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि अमेरिका ने अपने रासायनिक हथियारों के भंडार को अभी तक नष्ट नहीं है और वह ग्लोबल स्टैटजिक बैलेंस की स्थिरता को कमजोर कर रहा है। इसलिए अमेरिका इस मामले में जज या रेफरी बनने के योग्य नहीं है।

चीन पर शक की दो वजहें
बता दें कि चीन पर अमेरिका के शक के दो वजहें खास है। बीते दिनों चीन की लूप नूर न्यूक्लियर टेस्टिंग साइट पर काफी हलचल देखी गई। आसमान में तैनात सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से इस हलचल का पता चला। इन तस्वीरों में खुदाई का काम होता दिखाई दिया। इसके अलावा ट्रकों की आवाजाही भी दिखी। जिससे अमेरिका को आशंका हुई कि चीन ने बीते दिनों में यहां पर कोई न्यूक्लियर टेस्ट किया है। अमेरिका पर शक की दूसरी वजह है इंटरनेशनल मॉनिटरिंग सिस्टम (IMF) का डेटा। यह न्यूक्लियर टेस्ट पर नजर रखने की एक तरह की व्यवस्था है। IMF के चीन समेत अलग-अलग देशों में 275 मॉनिटरिंग स्टेशन है। ये सेंसर की मदद से पता लगाता है कि कही कोई देश न्यूक्लियर टेस्ट तो नहीं कर रहा।

चीन पर डेटा ट्रांसमिशन ब्लॉक करने का शक
कॉम्प्रिहेंसिव टेस्ट बैन ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (सीटीबीटीओ) के एक्जीक्यूटिव सेक्रेटरी लासिना जेर्बो अगस्त 2013 में चीन पहुंचे थे। चीन के साथ बातचीत के बाद वहां पर इंटरनेशनल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया गया। चीन इस बात पर भी राजी हुआ था कि वह इसका डेटा विएना स्थित डेटा सेंटर को भेजेगा। लेकिन 2019 में चीन ने रेगुलर डाटा नहीं भेजा। वॉल स्ट्रीट जनरल ने जब सीटीबीटीओ से बात की तो उन्होंने बताया कि बीच में कुछ समय के लिए डेटा भेजने में रुकावट आई थी। इसकी वजह थी मॉनिटरिंग स्टेशनों को सक्रीय करने को लेकर चीन और सीटीबीटीओ की बातचीत। ये बातचीत अगस्त 2019 में पूरी हो गई और इसके बाद से चीन दोबारा नियमित डेटा भेजने लगा। हालांकि अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट का कहना है कि चीन ने इंटरनेशनल एजेंसी के मॉनिटरिंग सेंटर से जुड़े सेंसर्स से आने वाले डेटा ट्रांसमिशन को ब्लॉक किया है। 

Created On :   17 April 2020 11:43 AM GMT

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