खुलासा: चीन ने 6 महत्वपूर्ण दिनों तक छिपाई कोरोनावायरस की जानकारी, पहले मिलती चेतावनी तो मामलों में दो-तिहाई तक की कमी होती

China didn’t warn public of likely pandemic for 6 key days
खुलासा: चीन ने 6 महत्वपूर्ण दिनों तक छिपाई कोरोनावायरस की जानकारी, पहले मिलती चेतावनी तो मामलों में दो-तिहाई तक की कमी होती
खुलासा: चीन ने 6 महत्वपूर्ण दिनों तक छिपाई कोरोनावायरस की जानकारी, पहले मिलती चेतावनी तो मामलों में दो-तिहाई तक की कमी होती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन के वुहान शहर से फैले कोरोनावायरस से दुनियाभर में 20 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि करीब डेढ़ लाख लोगों की इस वायरस से जान जा चुकी है। इस बीच "द एसोसिएटेड प्रेस" ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। सोसिएटेड प्रेस के हाथ कुछ ऐसे दस्तावेज लगे हैं जिनसे पता चलता है कि चीन ने लूनर न्यू ईयर सेलिब्रेशन की वजह से 6 दिनों तक (14 जनवरी से 19 जनवरी तक) इस बात को छिपाए रखा कि वुहान शहर में एक नए वायरस ने दस्तक दे दी है जो महामारी बन सकता है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सातवें दिन 20 जनवरी को लोगों को इस बारे में चेतावनी दी। लेकिन तब तक 3000 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके थे। लॉस एंजिल्स में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एक एपिडेमियोलॉजिस्ट ज़ूओ-फेंग झांग ने कहा, "अगर चीन छह दिन पहले कार्रवाई करते आज मरीजों की संख्या काफी कम होती।"

लोगों तक नहीं पहुंचने दी जानकारी
एपी को मिले चीन के इंटरनल बुलेटिन से पता चलता है कि 5 जनवरी से 17 जनवरी के बीच भी सैकड़ों मरीज अस्पताल पहुंच रहे थे लेकिन सेंटर फॉर डिसिज कंट्रोल ने एक भी केस रजिस्टर नहीं किया। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि क्या यह लोकल ऑफिशियल्स की गलती थी जो केस रिपोर्ट करने में विफल रहे या फिर नेशनल ऑफिशियल्स की जिन्होंने केस रिकॉर्ड नहीं किए। लेकिन जो बात स्पष्ट है वह यह है कि चीनी सरकार के सूचना पर नियंत्रण के चलते इस वायरस की शुरुआती चेतावनी लोगों तक नहीं पहुंच सकी। जिन डॉक्टरों ने दुनिया को इस वायरस के बारे में आगह करना चाहा उन पर भी चीनी प्रशासन ने भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाकर कार्रवाई की। शिकागो यूनिवर्सिटी में चीनी राजनीति की एक प्रोफेसर दाली यांग ने कहा कि वुहान में डॉक्टर डर गए थे। 

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गोपनीय टेलीकॉन्फ्रेंस 
13 जनवरी को चीन के बाहर थाइलैंड में कोरोनावायरस का पहला मामला सामने आया। इसी के बाद चीन ने जनता को कुछ भी बताए बिना नेशनवाइड प्लान लॉन्च किया। चीनी सरकार ने बार-बार इस बात से इनकार किया कि उसने शुरुआती दिनों में सूचनाओं को दबाया। चीन सरकार ने कहा कि उसने तुरंत इस आउटब्रेक की जानकारी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन को दी। हालांकि दस्तावेजों से पता चलता है कि चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के प्रमुख मा शियाओवेई ने 14 जनवरी को प्रांतीय स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक गोपनीय टेलीकॉन्फ्रेंस में स्थिति का गंभीर आंकलन किया। टेलीकॉन्फ्रेंस के बाद एक मेमो में कहा गया है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग, प्रीमियर ली केकियांग और वाइस प्रीमियर सन चुनलान से कोरोनो को लेकर मिले निर्देशों की जानकारी देने के लिए यह टेलीकॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी। मेमो में यह भी कहा गया था कि महामारी की स्थिति अभी भी गंभीर और जटिल है। 2003 में SARS के बाद से सबसे गंभीर चुनौती है।

चीन को थी वायरस फैलने की आशंका
नेशनल हेल्थ कमीशन देश की शीर्ष चिकित्सा एजेंसी है। एक फैक्स बयान में, कमीशन ने कहा कि उसने टेलीकांफ्रेंस का आयोजन किया था क्योंकि थाईलैंड में पहला मामला सामने आया था और लूनर न्यू ईयर के ट्रैवल के दौरान वायरस फैलने की आशंका भी थी। इसमें कहा गया है कि चीन ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर जारी किए गए महत्वपूर्ण निर्देशों के अनुसार "खुले, पारदर्शी, जिम्मेदार और समय पर" प्रकोप की जानकारी प्रकाशित की थी। एपी ने टेलीकांफ्रेंस के बारे में जानकारी रखने वाले पब्लिक हेल्थ के दो सूत्रों से इसकी पुष्टि की। इस टेलीकॉन्फ्रेंस से जुड़ी कुछ जानकारियां फरवरी में प्रकाशित की गई थी लेकिन जो महत्वपूर्ण जानकारियां थी उन्हें छिपा लिया गया था।

चीन को पता था ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन संभव
मेमो में "सोबर अंडरस्टेंडिंग ऑफ द सिचवेशन" शीर्षक से एक खंड में कहा गया कि "क्लस्टर केसों से पता चलता है कि ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन संभव है। थाइलैंड में मामला सामने आने से वायरस के संभावित प्रसार की स्थिति काफी बदल गई है। मेमो में कहा गया था कि स्प्रिंग फेस्टिवल के आने से काफी सारे लोग ट्रैवल कर रहे होंगे और इससे वायरस के ट्रांसमिशन और फैलने का खतरा ज्यादा है। सभी लोगों को इस महामारी से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि दस्तावेज़ों से यह नहीं पता चलता है कि चीनी नेताओं ने अपनी चिंताओं को सार्वजनिक करने के लिए छह दिनों तक इंतजार क्यों किया? 

15 जनवरी को इंटरनल लेवल पर हाईएस्ट-लेवल इमरजेंसी को किया इनिशिएट
टेलीकॉन्फ्रेंस के बाद बीजिंग में सेंटर फॉर डिसिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इंटरनल लेवल पर 15 जनवरी को हाईएस्ट-लेवल इमरजेंसी रिस्पॉन्स को इनिशिएट किया। एक इंटरनल सीडीसी नोटिस से पता चलता है कि टॉप सीडीसी लीडर्स को 14 वर्किंग ग्रुप के साथ फंड, हेल्थ वर्कर की ट्रेनिंग, डाटा कलेक्शन, फील्ड इन्वेस्टिगेशन और लेबोरेटरी के सुपरविजन के लिए असाइन किया गया। हुबेई प्रांत में एयरपोर्ट, बस और ट्रेन स्टेशनों पर तापमान की जांच शुरू करने और बड़े सार्वजनिक समारोहों को नहीं करने के लिए कहा गया।

स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया था 63 पन्नों का निर्देश
नेशनल हेल्थ कमीशन ने प्रांतीय स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशों का 63 पन्नों का सेट भी वितरित किया। एपी के पास भी इसकी कॉपी है। निर्देशों में स्वास्थ्य अधिकारियों को आदेश दिया कि वे देशभर में संदिग्ध मामलों की पहचान करें। अस्पतालों को फीवर क्लीनिक खोलने और डॉक्टरों और नर्सों को प्रोटेक्टिव गियर देने के लिए कहा गया। इन दस्तावेजों को "इंटरनल" मार्क किया गया था। इंटरनल का मतलब है कि इसका इंटरनेट पर प्रसार नहीं किया जा सकता और सार्वजनिक रूप से इसे डिस्क्लोज नहीं किया जा सकता। 

चीन ने दुनिया से छिपाया सच
हालांकि सार्वजनिक तौर पर अधिकारियों ने मामूली बताने की कोशिश की। चीन सीडीसी के इमरजेंसी सेंटर के प्रमुख ली क्यून ने 15 जनवरी को चाइनीज स्टेट टेलीविजन को बताया कि इस वायरस के ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन का जोखिम कम है। सीडीसी के नोटिस से पता चलता है कि उसी दिन ली को लेवल-1 के लिए इमरजेंसी प्लान तैयार करने वाले ग्रुप का लीडर नियुक्त किया गया।

20 जनवरी को जिनपिंग ने सार्वजनिक रूप से दी जानकारी
20 जनवरी को, राष्ट्रपति शी ने वायरस पर अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी जारी की। इसमें कहा गया था कि प्रकोप को "गंभीरता से लिया जाना चाहिए" और हर संभव कदम उठाया जाना चाहिए। एक प्रमुख चीनी महामारी विज्ञानी, झोंग नानशान ने पहली बार नेशनल टेलीविजन पर यह घोषणा करते हुए कहा कि यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। 

पहले मिलती चेतावनी तो मामलों में दो-तिहाई तक की कमी होती
लॉस एंजिल्स में डॉक्टर झांग ने कहा यदि जनता को एक हफ्ते पहले इसकी चेतावनी दे दी गई होती कि उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा और मास्क पहनना होगा और यात्रा प्रतिबंध लगाए जाता तो मामलों में दो-तिहाई तक की कमी की जा सकती थी। हालांकि कुछ अन्य हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि चीनी सरकार ने उनके पास उपलब्ध जानकारी के आधार पर प्राइवेट में उचित कदम उठाए।

चीन की देरी से ट्रंप के बयान को समर्थन
चीन की 6 दिनों की इस देरी से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन आरोपों को समर्थन मिलता है जिनमें उन्हें कहा था कि चीन ने कोरोना वायरस के प्रकोप को लेकर दुनिया से जानकारी छिपाई और धोखे में रखा। ट्रंप ने कहा कि यदि बीजिंग पहले से ही चेतावनी दे देता तो अमरीका और पूरी दुनिया सजग और बेहतर तरीके से इस वायरस से लड़ने के लिए तैयार रहती। हालांकि चीन की 20 जनवरी को इस वायरस के बारे में सार्वजनिक घोषणा के बावजूद अमेरिका के पास इस महामारी से लड़ने के लिए दो महीनों का वक्त था। इस दौरान, ट्रंप ने अपने स्वयं के कर्मचारियों की चेतावनियों को नजरअंदाज किया और बीमारी को चिंता के रूप में खारिज कर दिया।

Created On :   15 April 2020 10:37 AM GMT

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