साउथ चाइना सी: चाइनीज जनरल बोले- हमे हमारे क्षेत्र में सेना और हथियारों को तैनात करने का अधिकार

डिजिटल डेस्क, सिंगापुर। अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस के चीन को लेकर दिए बयान के बाद चीन के जनरल ने अमेरिका पर हमला बोला है। सिंगापुर के शांगरी-ला डायलॉग में लेफ्टिनेंट जनरल हे ली ने कहा, "किसी भी देश का कोई भी गैर जिम्मेदाराना बयान स्वीकार नहीं किया जाएगा।" बता दें कि जिम मैटिस ने सिक्यॉरिटी समिट में कहा था कि चीन अपने पड़ोसियों को डराने के लिए विवादित क्षेत्र साउथ चाइना सी में सैन्य निर्माण कर रहा है।
आत्म रक्षा के लिए उठाया कदम
चीन के लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि चीन ने जो कदम उठाया है वह उसकी आत्म रक्षा के लिए है। जनरल ने कहा, दूसरे के हमलों से बचने के मकसद से यह तैनाती और निर्माण किया जा रहा हैं। जब तक यह आपके क्षेत्र में है, तब तक आप सेना और हथियारों को तैनात कर सकते हैं। बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पूरे साउथ चाइना सी में चीन ने मिलिटरी साजो-सामान की बड़ी रेंज पहुंचाई है, इसमें ऐंटी-शिप मिसाइल, सरफेस-टु-एयर मिसाइल और इलेक्ट्रोनिक जैमर्स शामिल हैं। चीन ने पैरासेल द्वीपों में वुडी द्वीप पर भी भारी हमलावरों को उतरा है।
तेल और गैस का बड़ा भंडार है ये इलाका
मालूम हो कि साउथ चाइना सी का ये विवादित इलाका करीब 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जो इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच आने वाले समंदर का एक हिस्सा है। इस इलाके पर कुदरत की एक अनूठी कृपा नजर आती है। कुदरती खज़ाने से लबरेज़ इस समुद्री इलाके में जीवों की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। 70 के दशक में दक्षिणी चीन सागर में तेल और गैस के बड़े भंडारों का भी पता चला था। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि कुदरत के इस खजाने के लिए आगे चलकर एक बड़ा युद्ध भी हो सकता है।
2 हजार साल पुराना इतिहास
इस जगह का इतिहास करीब 2 हजार सालों से भी अधिक पुराना बताया जाता है। चीन के समुद्री मुसाफ़िरों, नागरिकों और मछुआरों ने ही दक्षिणी चीन सागर में स्थित द्वीपों की खोज की थी। यही कारण है कि चीन लगातार यह दावा करता रहा है कि दक्षिणी चीन सागर से उसका रिश्ता क़रीब 2000 हज़ार साल पुराना है। बता दें कि दूसरे विश्व युद्ध तक दक्षिणी चीन सागर पर जापान का क़ब्ज़ा था। मगर युद्ध के तुरंत बाद चीन ने इस पर अपना अधिकार जताया था।
चीन ने इस तरह बनाया अपना दबदबा
दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ही चीन ने दोबारा से इस इलाके पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया था। मगर आज से करीब 3-4 साल पहले ही चीन ने इस इलाके पर उसका मजबूत दबदबा कायम करना शुरू कर दिया था, जो करीब-करीब अब तक बना हुआ है। चीन ने 3 साल पहले ही इस इलाके में एक छोटी समुद्री पट्टी के इर्द-गिर्द, रेत, बजरी, ईंटों और कांक्रीट की मदद से बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य शुरू करते हुए एक बंदरगाह बना लिया था।
जहाज़ों को उतारने के लिए बनाई हवाई पट्टी
बंदरगाह बनाने के बाद चीन ने इस इलाके में हवाई जहाज़ों के उतरने के लिए हवाई पट्टी भी बनाई। देखते ही देखते, चीन ने दक्षिणी चीन सागर में एक आर्टिफ़िशियल द्वीप तैयार कर के उस पर सैनिक अड्डा बना लिया। आज इस इलाके में चीन के कई छोटे द्वीपों पर सैनिक अड्डे बने हुए हैं। चीन की दादागिरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन ने इस छोटे से सागर पर मालिकाना हक़ के एक अंतरराष्ट्रीय पंचाट के फ़ैसले को मानने से इनकार कर दिया था।
Created On :   3 Jun 2018 12:46 AM IST