अमेरिका और भारत के मजबूत होते रिश्तों से परेशान हुआ ड्रैगन, सता रहा भारत से व्यापारिक रिश्ते खत्म होने का डर, अमेरिका को दी दखलंदाजी न करने की धमकी

अमेरिका और भारत के मजबूत होते रिश्तों से परेशान हुआ ड्रैगन, सता रहा भारत से व्यापारिक रिश्ते खत्म होने का डर, अमेरिका को दी दखलंदाजी न करने की  धमकी
चीन की चेतावनी अमेरिका और भारत के मजबूत होते रिश्तों से परेशान हुआ ड्रैगन, सता रहा भारत से व्यापारिक रिश्ते खत्म होने का डर, अमेरिका को दी दखलंदाजी न करने की धमकी
हाईलाइट
  • चीन को सता रहा अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार भारत से रिश्ते बिगड़ने का डर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2020 में भारत और चीन की बीच हुई गलवान हिंसा के बाद दोनों ही देशों के बीच संबंध खराब चल रहे हैं। हालांकि इस घटना के बाद दोनों के बीच संबंध सुधारने के लिए कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है लेकिन बावजूद इसके दोनों के संबंध पूरी तरह ठीक नहीं हुए। उधर अमेरिका भी इस बात को बार-बार कहता रहा है कि उसकी नजर भारत और चीन के आपसी संबंधों पर है। इस सबके बीच चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह उसके और भारत के बीच रिश्तों में दखलअंदाजी न करे। 

पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन भारत के साथ अपने रिश्ते फिर से ठीक करना चाहता है। वह चाहता है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते मजबूत न हों। क्योंकि अगर ऐसा होता है तो भारत चीन के साथ अपने रिश्तों में सुधार की कोशिश नहीं करेगा, जिसका असर उसके व्यापार पर पड़ेगा। दरअसल, इस रिपोर्ट में पेंटागन ने अप्रेल-मई 2020 में गलावान घाटी में दोनों देशों की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प का जिक्र किया। जिसके बाद चीन सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी। उसने वहां अपने कई गांव विकसित किए। चीन सीमा पर अब भी निर्माण कर रहा है। इसके दोनों देशों के बीच कई दफा सैन्य स्तर की बैठकें हुई जिसका कोई परिणाम नहीं निकला। 

अमेरिकी कांग्रेस को दी अपनी रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा, "पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना भारत और अमेरिका को पास आने से रोकने के लिए इस तरह का हथकंडा अपना रहा है। वह भारत को रोकने के लिए सीमा पर तनाव पैदा करना चाहता है। पीआरसी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ चीन के संबंधों में दखलअंदाजी ने करे।" रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया कि, दोनों देशों ने गलवान से एक-दूसरे से सेना की वापसी और आपसी टकराव से पहले की स्थिति में लौटने की मांग की। लेकिन ये शर्तें न चीन को मंजूर हुई और न भारत को। 

गौरतलब है कि साल 2020 में चीन ने पश्चिमी लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने अपने सैनिकों को जमा कर लिया था। इसके बाद चीनी सैनिकों ने भारत की सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की। चीन के इस एक्शन से भारत सरकार भी हरकत में आई और उसने भी बड़ी संख्या में अपने सैनिक इस इलाके में तैनात कर दिए। इस बीच गलवान घाटी में 15 जून की रात दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थीं। चीन की सेना ने रात के वक्त अचानक से भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था। इस घटना में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। वहीं इस संघर्ष में चीन के कितने सैनिक मारे गए यह बात उसने नहीं बताई। हालांकि ऑस्ट्रेलिया की न्यूज वेबसाइट द क्लैक्सन ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि गलवान घाटी में हुई झड़प में चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। वहीं अमेरिका की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना में चीन के 60 सैनिक मारे गए थे। 

चीन का डर

चीन भारत से अपने व्यापारिक रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहता इसी वजह से उसे भारत और अमेरिका के बीच मजबूत हो रहे संबंधों से परहेज हो रहा है। उसकी मंशा नहीं है कि भारत और अमेरिका की नजदीकियां बढे़ं। क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो इसका सबसे ज्यादा असर चीन के व्यापार पर पड़ेगा। दरअसल, चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2021 के आंकडे़ पर नजर डालें तो भारत का चीन के साथ करीब 9 से 10 लाख करोड़ रुपए के बीच व्यापार था। इस दौरान भारत ने चीन से करीब 7.2 लाख करोड़ रुपये का इम्पोर्ट किया था। 


 

Created On :   30 Nov 2022 9:34 AM GMT

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