US Sanctions on Russia: 'हम से ज्यादा दुनिया को भुगतना पड़ेगा बैन का असर', अमेरिकी प्रतिबंधों पर रूस ने ट्रंप को दिया करार जवाब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका ने एक बार फिर से रूस की मुश्किलें बढ़ा दी है। रूस की दो सबसे बड़ी कंपनी रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद अब रूस ने अमेरिका के इस प्रतिबंध के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है। रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा कि इस कदम से 'उल्टा असर' पड़ सकता है। इसके अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था को रूस से अधिक नुकसान पहुंचांएगे।
अमेरिका के बैन पर रूस ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
जाखारोवा ने कहा कि अमेरिका के ये दंडात्मक कदम रूस को उसके राष्ट्रीय हितों पर समझौता करने के लिए मजबूर नहीं कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि रूस बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन यह बातचीत मीडिया बयानबाजी के बजाय कूटनीतिक माध्यमों से होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह कदम पूरी तरह से विपरीत प्रभाव डालने वाला है और यूक्रेन संघर्ष के समाधान की दिशा में किसी सार्थक वार्ता की संभावना को और कठिन बना देगा।' जाखारोवा ने यह भी कहा कि रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रति एक मजबूत प्रतिरोध क्षमता विकसित कर ली है और देश अपनी आर्थिक और ऊर्जा क्षमता को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ाता रहेगा।
चीन ने भी गुरुवार को अमेरिका के इन नए प्रतिबंधों पर कड़ी आपत्ति जताई। बीजिंग ने कहा कि ये 'एकतरफा कदम हैं जिनका कोई अंतरराष्ट्रीय कानूनी आधार नहीं है।' चीन ने अमेरिका से कहा कि दबाव या जबरदस्ती की नीति के बजाय संवाद का रास्ता अपनाया जाए। चीन ने यूरोपीय संघ के हालिया प्रतिबंधों की भी आलोचना की, जिनमें कुछ चीनी कंपनियों पर रूस की मदद करने के आरोपों के आधार पर कार्रवाई की गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ ने कहा, 'चीन न तो यूक्रेन संकट का निर्माता है, न ही उसका पक्षधर। हम उन सभी कदमों का विरोध करते हैं जो चीनी कंपनियों के वैध हितों को नुकसान पहुंचाते हैं।'
विश्लेषकों ने कही ये बात
विश्लेषकों की मानें तो रूस और चीन की यह संयुक्त प्रतिक्रिया अमेरिका के बढ़ते प्रतिबंधों के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा तैयार कर सकती है। दोनों देश पहले ही डॉलर पर निर्भरता कम करने और वैकल्पिक व्यापार प्रणाली विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रूस और चीन मिलकर ऊर्जा और व्यापार सहयोग को और मजबूत करते हैं, तो इससे पश्चिमी देशों की आर्थिक नीतियों पर असर पड़ सकता है और वैश्विक शक्ति संतुलन में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।
Created On :   23 Oct 2025 7:22 PM IST