केन्या में पुल गिरने के मामले में चीनी कंपनी के खिलाफ जांच जारी

Investigation continues against Chinese company in case of bridge collapse in Kenya
केन्या में पुल गिरने के मामले में चीनी कंपनी के खिलाफ जांच जारी
केन्या में पुल गिरने के मामले में चीनी कंपनी के खिलाफ जांच जारी

नैरोबी, 7 जून (आईएएनएस)। केन्या के राष्ट्रपति उहुरु केन्याटा द्वारा देश में आधारभूत ढांचे के विकास में चीन के और अधिक निवेश में दिलचस्पी दिखाने के बीच चीन की एक कंपनी के खिलाफ जांच जारी है। मामला पुल के ढहने से संबंधित है। सौ मीटर लंबा और नौ मीटर चौड़ा यह पुल सिगिरी और खैंगा गांवों को जोड़ता था।

चीन निर्मित सिगिरी पुल उद्घाटन से पहले ही 26 जून, 2017 को ढह गया था। यह हादसा पुल निर्माण की निर्धारित अवधि के पूरा होने से महज चार हफ्ते पहले हुआ था।

यह बुसिया काउंटी की बहुप्रचारित परियोजना थी। इसे सिगिरी और खैंगा गांवों के बीच बहने वाली नजोइया नदी पर बनना था। 2014 में डोंगी में सवार होकर नदी पार करने के दौरान नौ लोगों की डूबने से मौत हो गई थी। इसके बाद राष्ट्रपति केन्याटा ने एक अरब केन्याई शिलिंग की लागत से इस पुल के निर्माण का फैसला लिया था।

लेकिन, 8 अगस्त 2017 को राष्ट्रपति चुनाव से दो महीने पहले ही यह पुल पूरी तरह बनने से पहले ही ढह गया।

बुसिया काउंटी के बुदालांगी में नजोइया नदी पर पुल बनाने का ठेका केन्या सरकार ने चाइना ओवरसीज इंजीनियरिंग ग्रुप कंपनी लिमिटेड को दिया था। 18 महीने में पुल बनाना और इसके बाद पांच साल तक इसका रखरखाव ठेके की शर्त में शामिल था।

सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति केन्याटा चीन निर्मित और चीन द्वारा वित्त पोषित आधारभूत ढांचा परियोजनाओं पर काफी भरोसा करते हैं और इन पर निर्भर रहते हैं।

राष्ट्रपति ने 31 मई को केन्या में आजादी के बाद की सबसे बड़ी निवेश परियोजना, मडाराका एक्सप्रेस की शुरुआत की। बंदरगाह शहर मोम्बासा से राजधानी नैरोबी तक चलने वाली यह ट्रेन केन्या को कई अन्य पूर्वी देशों से भी जोड़ती है। 3.8 अरब डालर की इस रेल परियोजना के लिए वित्त पोषण चीन के एक्जिम बैंक ने किया। कहा जाता है कि इस परियोजना की लागत चीन ही द्वारा निर्मित इथोपिया के अदीस अबाबा को जिबूती देश से जोड़ने वाली रेल परियोजना की लागत से दोगुनी आई है।

पुल ढहने की घटना की जांच केन्या सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर व परिवहन मंत्रालय तथा आवास व शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव इंजीनियर जान मोसोनिक को सौंपी। उन्होंने कहा कि ठेका 90 करोड़ शिलिंग के लगभग में दिया गया। लेकिन राष्ट्रपति ने रकम एक अरब शिलिंग बताई। बाद में काकामेगा काउंटी के प्रवक्ता डिक्सन रायोरी ने कहा कि सबसे ऊंची बोली 1.2 अरब शिलिंग की लगी थी और जिसने लगाई थी उसकी निर्माण योजना और डिजाइन चाइना ओवरसीज इंजीनियरिंग ग्रुप कंपनी लिमिटेड से कहीं बेहतर थी। जांच में यह भी पता चला कि इस चीनी कंपनी ने पुल के बैलेंसिंग और डिजाइनिंग के लिए 12.77 करोड़ शिलिंग में महावीर ट्रांस्पोटर्स एंड कांट्रैक्टर्स की सेवा ली थी।

यह भी पता चला कि मुमियास के पास इसी नदी पर खौंगा पुल महज 12.8 करोड़ शिलिंग में बना था। अधिकारी यह देखकर चकित रह गए कि सिगिरी का पुल 90 करोड़ के लगभग में बना था। लंबाई में मामूली फर्क के बावजूद लागत का यह फर्क ऐसा था जिसकी तुलना ही संभव नहीं है। एक सूत्र ने कहा कि सिगिरी पुल के छह गुना अधिक महंगा होना तर्क से परे है।

इसके बाद मोसोनिक ने विभिन्न एजेंसियों और पेशेवर इकाइयों से रिपोर्ट मांगी। घटनास्थल पर कामगारों ने बताया कि गड़बड़ी बैलेंस की खामी से पैदा हुई और शायद जल्दीबाजी में काम को निपटाने की कोशिश में कंक्रीट को मजबूती का पर्याप्त समय नहीं मिला।

पुल गिरने के तुरंत बाद, विपक्षी नेता रेला ओडिंगा ने राष्ट्रपति केन्याटा पर हमला करते हुए उन्हें उन सरकारी अधिकारियों की तरह निविदाकार बताया जो वित्तीय लाभ को ध्यान में रखकर परियोजनाओं को आवंटित करते हैं। 2017 में, ओडिंगा ने केन्याटा के खिलाफ राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा था।

उहुरु केन्याटा, आधुनिक केन्या के संस्थापक कहे जाने वाले जोमो केन्याटा के बेटे हैं। उन्होंने अमेरिका के एमहस्र्ट कॉलेज में पढ़ाई की थी जहां उन्होंने राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया था।

केन्याटा ने आरोप लगाया कि ओडिंगा अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के माध्यम से पूर्व औपनिवेशिक शक्तियों की तरफ से काम कर रहे हैं।

केन्याटा को मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में आईसीसी द्वारा अभियोग का सामना करना पड़ रहा था। दो बार राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद, कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से केन्याटा ने कई अफ्रीकी नेताओं को आईसीसी पर इस बात का दबाव बनाने के लिए एकजुट कर लिया कि अगर उनके और केन्याई उप-राष्ट्रपति विलियम रुटो के खिलाफ मामले वापस नहीं लिए जाते तो वे आईसीसी छोड़ देंगे।

सबूतों की कमी के कारण उनके खिलाफ दोनों मामलों को अब हटा दिया गया है। हालांकि, आईसीसी का कहना है कि अभियोजन पक्ष के गवाहों को धमकाया गया और साथ ही कहा है कि मामलों को फिर से शुरू किया जा सकता है। इस सबने केन्याटा को मजबूत बनाया और उन्हें यूरोपीय देशों से दूर और चीन के करीब ले गया।

सूत्रों ने कहा, पुल के ढहने के लिए जिम्मेदार लोग (चीनी कंपनी) कभी कार्रवाई का सामना करेंगे या मुक्त कर दिए जाएंगे, यह अभी भी बहस का विषय है।

Created On :   8 Jun 2020 12:31 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story