कन्फ्यूशियस अकादमी का दमन करना शर्मनाक
बीजिंग, 14 अगस्त (आईएएनएस)। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने 13 अगस्त को अपने वक्तव्य में कहा कि कन्फ्यूशियस अकादमी का अमेरिका केंद्र चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के वैश्विक प्रभाव और प्रसारण के लिए औजारों में से एक है। उनकी इन बातों से चीन और अमेरिका के बीच सामान्य आदान-प्रदान को बदनाम किया गया है। पोम्पिओ जैसे राजनेताओं की कोशिश से चीन-अमेरिका संस्कृति आदान-प्रदान के टूटन का खतरा है।
वास्तव में कन्फ्यूशियस अकादमी का अमेरिका केंद्र वाशिंग्टन में स्थापित कन्फ्यूशियस अकादमी का एक कार्यालय है, जो वर्ष 2013 में स्थापित हुआ। केंद्र की परिषद के अध्यक्ष स्टीवन नाप ने कहा कि केंद्र की स्थापना से दोनों देशों की जनता को खुशी है। इससे अमेरिका में चीनी भाषा के अध्ययन का स्तर बढ़ेगा और चीनी भाषा और संस्कृति सीखने वाले अमेरिकी लोगों के लिए अधिक मौका तैयार किये जाएंगे।
उधर, कन्फ्यूशियस अकादमी के अमेरिका केंद्र ने भी कहा कि हमारा कार्यालय किसी भी विश्वविद्यालय के साथ जुड़ा नहीं है और किसी भी कन्फ्यूशियस अकादमी के साथ पाठ्यक्रम, रोजगार या पूंजी का मामला नहीं है। कन्फ्यूशियस अकादमी के अमेरिका केंद्र ने अमेरिका के विश्वविद्यालयों के प्रबंधन और भाषा पाठ्यक्रम पर प्रभाव नहीं डाला।
16 साल पहले स्थापित कन्फ्यूशियस अकादमी गैर-लाभकारी शैक्षणिक संस्थान है, जो दूसरे देशों के लोगों को चीनी भाषा सीखने की सुविधाएं तैयार करते हैं। जर्मनी, फ्रांस, स्पेन आदि पश्चिमी देशों ने भी दूसरे देशों में अपनी भाषा और संस्कृति का परिचय देने की संस्थाएं स्थापित की हैं। अमेरिका के विश्वविद्यालयों में स्थापित जो कन्फ्यूशियस अकादमी हैं, वे इन विश्वविद्यालयों के द्वारा स्वयं रूप से आवेदन करने और समानता व विचार-विमर्श के सिद्धांत पर स्थापित किये गये हैं। वर्ष 2006 से अभी तक अमेरिका में कुल 81 कन्फ्यूशियस अकादमी तथा 13 कन्फ्यूशियस कक्षाएं स्थापित की गयी हैं। कन्फ्यूशियस अकादमी और कक्षाओं की स्थापना से चीन व अमेरिका दोनों देशों की जनता के बीच समझ और मैत्री को बढ़ाने के लिए सकारात्मक योगदान पेश किया गया है।
लेकिन, अमेरिका में कुछ राजनेताओं ने शीतयुद्ध की विचारधारा के मुताबिक दोनों देशों के सामान्य आदान-प्रदान को विचारधारा के तहत रखा और कन्फ्यूशियस अकादमी के संचालन को तकलीफ दी और कन्फ्यूशियस अकादमी के खिलाफ जो दबाव है, वह चीन-अमेरिका संबंधों के मुश्किल काल में प्रविष्ट होने की पृष्ठभूमि में रखा गया है। वह अमेरिकी राजनेताओं द्वारा चीन के खिलाफ किये गये विचारधारा प्रहार का नया कदम है। इनके पागलपन से चीन और अमेरिका दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बाधित किया जा रहा है।
उधर, माइक पोम्पिओ की प्रतिक्रियावादी कार्यवाहियों के खिलाफ अमेरिकी समाज में व्यापक आलोचना की गयी है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एजरा फिवेल वोगेल ने हाल ही में अपने लेख में कहा कि चीन के साथ आदान-प्रदान करने से अमेरिका को बहुत लाभ मिला है। चीन व अमेरिका के बीच सामान्य मानवीय आदान-प्रदान को बाधित करने की कार्यवाही अनुचित नहीं है। अमेरिका के मशहूर अर्थशास्त्री जैफरी सैच ने कहा कि अमेरिका में ऐसा बल मौजूद है जो चीन के साथ नया शीत युद्ध शुरू करना चाहता है। पर ऐसा करने से अमेरिका और अधिक विवाद और खतरे में गिर पड़ेगा।
पिछली शताब्दी के मध्यम से मैकाथीर्वादियों ने उन्माद में आकर कम्युनिस्ट पार्टी का विरोध कर अमेरिका के आधुनिक इतिहास में एक गंदा अध्याय दिया। आज जब चीन-अमेरिका सहयोग करने से युग और दोनों देशों के हितों के अनुकूल है, तब माइक पोम्पिओ ने जानबूझकर दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर रोक लगा दी। इनकी साजिश जरूर विफल होगी।
(साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
-- आईएएनएस
Created On :   14 Aug 2020 9:01 PM IST