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जेयूआई-एफ प्रमुख धार्मिक कार्ड का फायदा नहीं उठा पाएंगे : इमरान खान

इस्लामाबाद, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम(जेयूआई-एफ) प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी(पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग(पीएलएल-एन) के इशारे पर सरकार के खिलाफ धार्मिक कार्ड का फायदा उठाने में कामयाब नहीं हो पाएंगे।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ(पीटीआई) के नेताओं के एक समूह से शुक्रवार को चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने 27 अक्टूबर को जेयूआई-एफ द्वारा बुलाए गए आजादी मार्च को लेकर कोई चिंता नहीं दिखाई।
प्रधानमंत्री खान के एक करीबी सहयोगी ने बैठक के बाद समाचर पत्र डॉन से कहा, प्रधानमंत्री का मानना है कि पीपीपी और पीएमएल-एन इस तरह के बर्ताव कर रहे हैं कि उनका मार्च से कुछ लेना-देना नहीं है, लेकिन वास्तव में दोनों पार्टियां मौलाना को समर्थन दे रही हैं और अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए उन्हें धन भी मुहैया करा रही हैं।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने कहा कि मौलान फजलुर मदरसों के मासूम बच्चों का सरकार के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में कश्मीर मुद्दे को लेकर सरकार के रुख की जीत के बाद उन्हें यह समझना चाहिए कि वह धार्मिक कार्ड का फायदा नहीं उठा पाएंगे।
प्रधानमंत्री के सहयोगी ने खान के हवाले से कहा, सरकार का मानना है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे हमारे अपने बच्चे हैं, लेकिन उन्हें फजलुर रहमान जैसे लोग बरगला रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पीपीपी और पीएमएल-एन सीधे इस प्रदर्शन में शामिल नहीं हो रहे हैं, क्योंकि अगर प्रदर्शन विफल हो गया तो इसका इल्जाम उनपर नहीं, बल्कि जेयूआई-एफ पर आएगा। बैठक में सबने इस बात पर सहमति जताई कि मौलाना फजलुर को पीपीपी और पीएमएल-एन ने सरकार के खिलाफ अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए काफी धनराशि दी है।
प्रधानमंत्री के सहयोगी ने सरकार और विपक्षी पार्टी के बीच संभावित समझौते के मुद्दे पर अखबार को बताया कि प्रधानमंत्री ने दोहराया कि उनलोगों को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जाएगी, जिन्होंने सरकारी खजाने के साथ खिलवाड़ किया है। खान साहब कोई भी समझौता नहीं करेंगे।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।