तीन वैज्ञानिकों को मिला केमेस्ट्री का नोबल, लिथियम-आयन बैटरी का किया था डेवलपमेंट
डिजिटल डेस्क, स्टॉकहोम। केमेस्ट्री में 2019 का नोबेल पुरस्कार जॉन बी. गुडएनफ, एम. स्टेनली व्हिटिंगम और अकीरा योशिनो को मिला है। बुधवार को इसकी घोषणा की गई। लिथियम आयन बैटरी के डेवलपमेंट के लिए उन्हें ये पुरस्कार मिला है। लिथियम-आयन बैटरी हल्की, रिचार्जेबल और शक्तिशाली होती है जिसका उपयोग अब मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप और इलेक्ट्रिक वाहनों तक में किया जा रहा है। यह बैटरी सौर और पवन ऊर्जा को भी स्टोर करने में सक्षम है।
लिथियम आयन बैटरी की नींव 1970 के दशक में तेल संकट के दौरान रखी गई थी। स्टेनली व्हिटिंगम ने विकासशील तरीकों पर काम किया, जो जीवाश्म ईंधन-मुक्त ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को जन्म दे सकता है। उन्होंने सुपरकंडक्टर्स पर शोध करना शुरू किया और एक अत्यंत ऊर्जा से भरपूर सामग्री की खोज की, जिसका इस्तेमाल उन्होंने लिथियम बैटरी में एक इनोवेटिव कैथोड बनाने के लिए किया। यह टाइटेनियम डाइसल्फाइड से बनाया गया था। बैटरी का एनोड आंशिक रूप से मैटेलिक लिथियम से बनाया गया था। ये बैटरी दो वोल्ट पैदा करने में सक्षम थी।
जॉन गुडएनफ ने प्रेडिक्ट किया था कि कैथोड में और भी अधिक क्षमता होगी यदि इसे मेटल सल्फाइड के बजाय मेटल ऑक्साइड का उपयोग करके बनाया जाए। एक व्यवस्थित खोज के बाद, 1980 में उन्होंने प्रदर्शित किया कि परस्पर लिथियम आयनों के साथ कोबाल्ट ऑक्साइड चार वोल्ट के जितना उत्पादन कर सकता है। यह एक महत्वपूर्ण सफलता थी और इससे बहुत अधिक शक्तिशाली बैटरी बन गई।
गुडएनफ के कैथोड के आधार पर अकीरा योशिनो ने 1985 में पहली कमर्शियल लिथियम आयन बैटरी बनाई थी। एनोड में रिएक्टिव लिथियम का उपयोग करने के बजाय, उन्होंने पेट्रोलियम कोक का उपयोग किया, एक कार्बन सामग्री, जो कैथोड के कोबाल्ट ऑक्साइड की तरह, लिथियम आयनों को परस्पर जोड़ सकती है। ये बैटरी खराब होने से पहले सैकड़ों बार चार्ज की जा सकती थी।
लिथियम-आयन बैटरी का लाभ यह है कि वे रासायनिक प्रतिक्रियाओं पर आधारित नहीं हैं जो इलेक्ट्रोड को तोड़ते हैं, जबकि ये एनोड और कैथोड के बीच लिथियम आयनों पर बहते हैं। 1991 में पहली बार बाजार में प्रवेश करने के बाद से लिथियम आयन बैटरी ने हमारे जीवन में क्रांति ला दी है। उन्होंने एक वायरलेस, जीवाश्म ईंधन मुक्त समाज की नींव रखी है, और मानव जाति के लिए सबसे बड़ा लाभ है।
The 2019 #NobelPrize in Chemistry has been awarded to John B. Goodenough, M. Stanley Whittingham and Akira Yoshino “for the development of lithium-ion batteries.” pic.twitter.com/LUKTeFhUbg
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 9, 2019
क्या मिलता है नोबेल पुरस्कार में ?
नोबेल पुरस्कार विजेता को साढ़े चार करोड़ रुपए राशि दी जाती है। वहीं 23 कैरेट सोने से बना 200 ग्राम का मेडल और सर्टिफिकेट दिया जाता है। पदक के एक तरफ अल्फ्रेड नोबल की छवि, उनका जन्म और मृत्यु की तिथि लिखी होती है। जबकि दूसरी तरफ यूनानी देवी आइसिस का चित्र, रॉयल एकेडमी ऑफ सांइस स्टॉकहोम और पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति की जानकारी होती है।
भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता
- रवींद्रनाथ टैगौर (साहित्य) 1913
- चंद्रशेखर वेंकटरमन (विज्ञान) 1930
- मदर टेरेसा (शांति) 1979
- अमत्य सेन (अर्थशास्त्र) 1998
- कैलाश सत्यार्थी (शांति) 2014
नोबेल पुरस्कारों की घोषणा का कार्यक्रम
- चिकित्सा : 7 अक्टूबर
- भौतिकी : 8 अक्टूबर
- रसायन शास्त्र : 9 अक्टूबर
- साहित्य : 10 अक्टूबर
- शांति : 11 अक्टूबर
- अर्थशास्त्र : 14 अक्टूबर
Created On :   9 Oct 2019 3:57 PM IST