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पाकिस्तान : समाचार चैनल ने राजद्रोह के आरोप को पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताया

हाईलाइट
- समाचार चैनल ने राजद्रोह के आरोप को पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताया
- चैनल ने किया था बेहद अपमानजनक कार्यक्रम प्रसारित
- चैनल ने इसके खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की
डिजिटल डेस्क,लाहौर। पाकिस्तान के समाचार चैनल जियो न्यूज ने खुद पर लगाए गए राजद्रोह के आरोप को पूरी तरह से गैरकानूनी और पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताया है। पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्राधिकरण (पेमरा) ने कुछ दिन पहले जियो न्यूज को पहले एक कारण बताओ नोटिस जारी किया और बाद में दस लाख रुपये (पाकिस्तानी) का जुर्माना लगाया। संस्था ने कहा कि चैनल ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (नैब) के चेयरमैन के खिलाफ राजद्रोह की श्रेणी में आने वाला बेहद अपमानजनक कार्यक्रम प्रसारित किया था।
चैनल ने इसके खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। गुरुवार को सुनवाई के दौरान चैनल के अधिवक्ता ने कहा कि पेमरा द्वारा लगाया गया राजद्रोह का आरोप पूरी तरह से गैरकानूनी है और संस्था ने इस तरह की बात कर अपने क्षेत्राधिकार का दुरुपयोग किया है।
चैनल ने कहा कि देश के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो पेमरा को किसी को भी राजद्रोह का सर्टिफिकेट देने और उसे दंडित करने का अधिकार देता हो। संस्था ने ऐसा कर चैनल के प्रति अन्यायपूर्ण और पूर्वाग्रह से ग्रस्त रवैया दिखाया है।
चैनल की तरफ से अदालत से अपील की गई कि वह निर्देश जारी करे कि संविधान के तहत जियो न्यूज को यह आजादी हासिल है कि वह किसी भी समाचार, विश्लेषण और नैब की आलोचना को प्रसारित कर सकता है, बशर्ते उसने नैब का भी पक्ष दिखाया हो। चैनल ने कहा कि पेमरा को यह निर्देश दिया जाए कि वह चैनल की पूर्व स्थिति को बहाल करे। अदालत ने मीडिया की स्वतंत्रता से जुड़े इस मामले में पेमरा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।