पाकिस्तान लेनदारों से ऋण पुनर्निर्धारण की मांग करेगा

Pakistan will seek loan rescheduling from creditors
पाकिस्तान लेनदारों से ऋण पुनर्निर्धारण की मांग करेगा
पाकिस्तान पाकिस्तान लेनदारों से ऋण पुनर्निर्धारण की मांग करेगा
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डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान द्विपक्षीय लेनदारों के साथ जुड़ने और कर्ज के पुनर्निर्धारण की योजना बना रहा है, क्योंकि देश को विनाशकारी बाढ़ और उसके बाद बीमारियों के प्रकोप के मद्देनजर वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने यह बात कही।

पाकिस्तान के वित्तमंत्री इशाक डार ने यह भी कहा है कि वह ऋण पुनर्निर्धारण के प्रस्ताव को आगे रखेंगे। उन्होंने कहा कि बढ़ती वित्तीय जरूरतों और साख बनाए रखने के बीच संतुलन के लिए वाणिज्यिक और पेरिस क्लब ऋणदाताओं को समय पर भुगतान के साथ जोड़ा जाएगा।

उन्होंने कहा, हम द्विपक्षीय ऋण पुनर्निर्धारण की अपेक्षा रखते हैं। डार ने कहा, हम अगले छह महीनों में आर्थिक सामान्य स्थिति वापस लाने की उम्मीद करते हैं और तब अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार में कदम रखेंगे।

पाकिस्तान पर 97 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जिसमें से द्विपक्षीय कर्ज 20.3 अरब डॉलर है। वित्त मंत्रालय की योजनाओं के अनुसार, यदि द्विपक्षीय लेनदार अपने संबंधित ऋण को रोल करने के लिए सहमत होते हैं, तो पाकिस्तान को चालू वित्तवर्ष में लगभग 2 अरब डॉलर का कर्ज मिल सकता है।

पाकिस्तान के प्रयासों का झुकाव चीन की ओर होगा, क्योंकि द्विपक्षीय ऋण में 20.3 अरब डॉलर में से चीन का ऋण लगभग 9.7 अरब डॉलर तक है, जो कुल मूल ऋण राशि का 48 प्रतिशत है।  यह कदम इस्लामाबाद को पश्चिमी लेनदारों द्वारा चीन से विदेशी ऋणों के पुनर्निर्धारण की सलाह देने के बाद आएगा।

हालांकि, वित्तमंत्री का मानना है कि अगर सरकार 34 अरब डॉलर की व्यवस्था कर सकती है, तो वह निश्चित रूप से 1.2 अरब डॉलर और जुटा सकती है, जो कि मौजूदा वित्तवर्ष में पेरिस क्लब को भुगतान की जाने वाली राशि है।

दूसरी ओर, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान की वित्तीय जरूरतें लगभग 40 अरब डॉलर रहने का अनुमान लगाया है। स डार ने कहा, पेरिस क्लब ऋण पुनर्निर्धारण की लागत इसके लाभों से अधिक है।

हालांकि, मूडीज की क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने हाल ही में सीएए1 से देश की रेटिंग घटा दी है, जिससे पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण अत्यधिक जोखिम भरा हो गया है। लेकिन डार आशावादी दिखते हैं कि सरकार को यूरोबॉन्ड के माध्यम से कर्ज जुटाने की योजना पहले ही मिल गई थी, यह कहते हुए कि वह पूंजी बाजार में तभी जाएंगे, जब आर्थिक बुनियादी ढांचे मजबूत होंगे।

 

आईएएनएस

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Created On :   11 Oct 2022 2:00 PM GMT

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