पाकिस्तानी पत्रकार ने अपने टीवी शो का सेंसर किया हिस्सा सोशल मीडिया पर डाला
इस्लामाबाद, 24 दिसम्बर (आईएएनएस)। पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने अपने टीवी कार्यक्रम के उस हिस्से को सोशल मीडिया पर डालकर सेंसरशिप को खुली चुनौती दी जिस हिस्से को सेंसर कर दिया गया था।
पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, हामिद मीर ने कहा कि एक बार फिर उनके कार्यक्रम कैपिटल टॉक का एक हिस्सा सेंसर कर दिया गया और वह ठीक वही क्लिप ट्विटर पर डाल रहे हैं। क्लिप पोस्ट करते हुए मीर ने सवाल उठाया कि आखिर इसमें ऐसी कौन सी ऐसी बात है जिसकी वजह से इसे सेंसर किया गया।
इस क्लिप में दिखाया गया है कि मौजूदा राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने एक समय (जब वह राष्ट्रपति नहीं थे) कहा था, (सेवानिवृत्त जनरल) परवेज मुशर्रफ पर मुकदमे का अर्थ सेना पर मुकदमा नहीं है। मीर ने कहा कि यह सेंसरशिप उनके लिए भी ठीक नहीं है जो राष्ट्र से सच छिपाकर एक दोषी करार दिए गए तानाशाह को बचाना चाह रहे हैं।
गौरतलब है कि पूर्व सैन्य तानाशाह को पाकिस्तान की एक अदालत ने संविधान का उल्लंघन कर देश में आपातकाल लगाने के मामले में मौत की सजा सुनाई है। पाकिस्तानी सेना के साथ-साथ पाकिस्तान की सरकार ने इस फैसले का विरोध किया है।
वीडियो में हामिद मीर ने 9 जनवरी 2014 का एक क्लिप दिखाया है जिसमें आरिफ अल्वी कह रहे हैं, नहीं, नहीं, कोई ताल्लुक ही नहीं है पाकिस्तानी फौज का इस बात से..कैसे हो सकता है..परवेज मुशर्रफ साहब के जो काम थे, वो तो उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए किए थे जिसके ऊपर मुकदमा चल रहा है न..वो तो 2007 से हो रहा है न..1999 (जब मुशर्रफ सेना में थे) का तो हो नहीं रहा है..तो यह जो राष्ट्रपति के पद पर रहकर किया, इससे सेना का क्या संबंध। मगर, मुशर्रफ साहब इसमें सेना को शामिल करना चाहते हैं ताकि उन्हें सेना का समर्थन मिलता रहे। सेना को ऐसा नहीं करना चाहिए। इनसाफ पर भरोसा करना चाहिए, मुशर्रफ साहब को भी और उनके हमदर्दो को भी।
गौरतलब है कि अब आरिफ अल्वी राष्ट्रपति हैं और मुशर्रफ को दी गई सजा को सत्तारूढ़ नेताओं व मंत्रियों द्वारा सेना से जोड़ने और इस फैसले का विरोध करने पर अब वह कुछ नहीं कह रहे हैं। मीर ने इसी पर सवाल उठाया है।
Created On :   24 Dec 2019 6:30 PM IST