पाकिस्तान का सुझाव, अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा सरकार को स्थिर बनाने में सभी का हित

Pakistans suggestion, everyones interest in stabilizing the current government in Afghanistan
पाकिस्तान का सुझाव, अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा सरकार को स्थिर बनाने में सभी का हित
संयुक्त राष्ट्र समाचार पाकिस्तान का सुझाव, अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा सरकार को स्थिर बनाने में सभी का हित

डिजिटल डेस्क, यूएन। इमरान ख़ान ने, शुक्रवार को, यूएन महासभा 76वें सत्र की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट को वीडियो सन्देश में कहा कि अगर इस समय अफ़ग़ानिस्तान को नज़र अन्दाज़ किया गया तो, जैसाकि संयुक्त राष्ट्र के आँकड़े बताते हैं, अफ़ग़ानिस्तान में लगभग आधी आबादी बेहद कमज़ोर हालात में है, और अगले वर्ष तक, देश की 90 प्रतिशत आबादी, निर्धनता की रेखा से नीचे चली जाएगी.

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने, पहले से रिकॉर्ड कराए वीडियो सन्देश में कहा, “एक विशालकाय मानवीय संकट सामने नज़र आ रहा है.

और अगर ऐसा हुआ तो केवल अफ़ग़ानिस्तान के लिये ही इसके गम्भीर परिणाम नहीं होंगे, बल्कि एक अस्थिर और अशान्ति से भरा हुआ अफ़ग़ानिस्तान, अगर अन्तरराष्ट्रीय आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाना बन गया तो, इसके प्रभाव अन्य स्थानों पर भी होंगे.”

“अमेरिका के लिये, अफ़ग़ानिस्तान में दाख़िल होने का, प्रथमतः यही एक बड़ा कारण था.”

इमरान ख़ान ने कहा कि तालेबान ने चूँकि पहले ही मानवाधिकारों का सम्मान करने, एक समावेशी सरकार बनाने और आतंकवादियों को देश की ज़मीन का इस्तेमाल नहीं करने देने  का वादा किया है, और उसने आम माफ़ी भी जारी की है, तो विश्व समुदाय को, उन्हें कुछ रियायतें देनी चाहियें और उनके साथ बातचीत की जानी चाहिये.

उन्होंने कहा, “ऐसी स्थिति सभी के लिये लाभकारी होगी.”

भारत के साथ सम्बन्ध
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने, भारत के साथ सम्बन्धों के बारे में कहा, “पाकिस्तान, अन्य पड़ोसी देशों की ही तरह, भारत के साथ भी शान्ति चाहता है.”

उन्होंने अलबत्ता ध्यान दिलाया कि क्षेत्र में, “टिकाऊ शान्ति” “जम्मू कश्मीर विवाद के समाधान” पर निर्भर है.

इमरान ख़ान ने, भारत पर कश्मीर में दमनकारी गतिविधियाँ सघन करने का आरोप लगाया और कहा, “पाकिस्तान के साथ परिणाम उन्मुख व सार्थक बातचीत का रचनात्मक माहौल बनाने की ज़िम्मेदारी भारत पर है.”

इसके लिये उन्होंने तीन शर्तें भी रखीं...

“पहली शर्त ये है कि भारत ने, 5 अगस्त 2019 के बाद से जो एक पक्षीय व ग़ैर-क़ानूनी क़दम उठाए हैं, उन्हें वापिस लिया जाए. दूसरी शर्त ये कि कश्मीर के लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन व दमन रोका जाए, और तीसरी शर्त ये कि अधिकृत क्षेत्र में, आबादी के ढाँचे व रूप रेखा में किये जा रहे बदलाव को उलटा जाए.“ 

इमरान ख़ान ने कहा कि भारत की सैन्य क्षमता में बढ़ोत्तरी, अत्याधुनिक परमाणु शस्त्रों के विकास और अस्थिरता पैदा करने वाली परम्परागत क्षमता हासिल करने के कारण, दोनों देशों के बीच, आपसी संयम कमज़ोर पड़  सकता है.

विकासशील दुनिया में लूट-खसोट
इमरान ख़ान ने, अपने भाषण में जो अन्य मुद्दा उठाया, वो था, विकासशील देशों में भारी लूटपाट का, जिसके लिये, उनके शब्दों में, भ्रष्ट सत्तारूढ़ अभिजात्य वर्ग ज़िम्मेदार है. 

उन्होंने धनी व निर्धन लोगों के बीच बढ़ती खाई के लिये, इसी भ्रष्टाचार व लूटपाट को ज़िम्मेदार ठहराया.

इमरान ख़ान ने कहा, “ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने जैसा बर्ताव, भारत के साथ किया था, आज के दौर में, कुटिल व भ्रष्ट सत्तारूढ़ अभिजात्य वर्ग, विकासशील दुनिया के साथ कर रहा है – सम्पदा की लूट-खसोट करके, पश्चिमी देशों की राजधानियों और टैक्स बचाने वाले स्थानों पर भेजी जा रही है.”

उन्होंने यूएन महासभा से, “गहराई से व्यथित करने देने वाली और नैतिक दिवालियेपन की इस स्थिति से निपटने के लिये, सार्थक क़दम उठाने का आहवान किया.”

 

क्रेडिट- संयुक्त राष्ट्र समाचार

Created On :   25 Sep 2021 10:59 AM GMT

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