दावोस में बोले पीएम मोदी- सभी देशों के बीच दरारें और दीवारें खत्म करने की जरुरत

डिजिटल डेस्क, दावोस। स्विटजरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक शुरू हो गई है। मंगलवार को उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी ने बैठक को संबोधित किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में जहां ग्लोबल वार्मिंग और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चिंता जाहिर की। वहीं भारत में हो रहे विकास कार्य और देश की आर्थिक प्रगति की ओर भी दुनिया का ध्यान खींचा। अपने भाषण में उन्होंने दुनिया के सभी देशों के बीच अनावश्यक दीवारें और दरारों को खत्म करने का आह्वान किया। पीएम मोदी ने कहा, "भारत पूरी दुनिया को अपना परिवार मानता है। हम चाहते हैं कि दुनियाभर के देशों में सद्भावना बढ़े और सब मिलकर आगे बढ़ें।"
जलवायु परिवर्तन को माना सबसे बड़ा खतरा
पीएम मोदी ने कहा, "दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन आज के समय में सबसे बड़ा खतरा है। अंटार्कटिका की बर्फ पिघल रही है। द्वीप डूब रहे हैं। कभी बहुत गर्मी और कभी बहुत ठंड, कहीं बेहद बारिश और को कहीं बेहद सूखा पड़ रहा है। इनसे पूरा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सभी देशों को इसके लिए आगे आने की जरुरत है। विकसित और विकासशील सभी देशों को आपसी तालमेल के साथ इसका मुकाबला करना चाहिए। विकासशील देश कार्बन उत्सर्जन में कमी ला सके इसके लिए विकसीत देशों को टैक्नोलॉजी व अन्य चीजों में विकासशील देशों की मदद करनी होगी।
गिनाई अपनी सरकार की उपलब्धियां
पीएम ने कहा, भारत में 30 सालों बाद कोई पार्टी सरकार में बहुमत के साथ आई। हमारा उद्देश्य सबका साथ सबका विकास है। हमारी सरकार ने बैंक खाते खुलवाए। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ पर ध्यान दिया। हम रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म पर चल रहे हैं। आज भारत में निवेश करना, यात्रा करना, काम करना और भारत से अपने प्रोडक्ट को दुनियाभर में निर्यात करना सब कुछ पहले की तुलना में बहुत आसान हो गया है।
पीएम मोदी ने कहा, हमारी सरकार ने 1400 से अधिक ऐसे पुराने कानूनों को खत्म किया जो लोगों के जीवन में अड़चन डाल रहे थे। हमने एक देश एक टैक्स की व्यवस्था की। भारत सरकार के नीतिगत फैसलों और असरदार कदमों ने परिस्थितियां बदल दीं। साढ़े तीन साल से भी कम समय में भारत में बड़े परिवर्तन हुए हैं।
दरारें मिटाने की जरूरत
पीएम मोदी ने कहा, भारत हमेशा से तोड़ने में नहीं, जोड़ने में विश्वास रखता है। हम वसुधैव कटुंबकम की भावना पर चलते हैं यानी पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं। आज बहुत से देश आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। देशों के बीच दरारें बढ़ रही है जो कि भविष्य के लिए ठीक नहीं है। वसुधैव कुंटुंबकम की भावना आज दरारों और दूरियों को मिटाने के लिए सार्थक और प्रांसगिक हैं। हमें इन दरारों और दीवारों को खत्म करना होगा।
20 साल पहले का जिक्र कर की भाषण की थी शुरुआत
मोदी ने स्पीच की शुरुआत नमस्कार से की। पीएम ने कहा कि 1997 में जब देवगौड़ा आए थे तो उस वक्त भारत की अर्थव्यवस्था महज 400 बिलियन डॉलर थी। उस वर्ष इस फोरम का विषय था, बिल्डिंग द नेवरहुड सोसायटी। 1997 में यूरो मुद्रा नहीं थी न ही उस वक्त ब्रेक्जिट के आसार थे। तब कम ही लोगों ने ओसामा बिन लादेन का नाम सुना था। उस वक्त गूगल का आविष्कार भी नहीं हुआ था। उस वक्त अगर आप अमेजन का नाम नेट पर ढूंढते तो नदियों और चिड़ियों का नाम सामने आता।
आतंक के मुद्दे पर यह बोले पीएम मोदी
अपने भाषण में पीएम मोदी ने आतंकवाद को एक बड़ा खतरा बताया है। उन्होंने कहा, आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा है। आतंक अच्छा या बुरा नहीं होता वह आतंक ही होता है। अजीब बात है कि लोग आतंकवाद को भी अच्छे आतंकवाद और बुरे आंतकवाद के रूप में परिभाषित करते हैं।
अन्य चुनौतियों का जिक्र
दुनिया के देशों में शांति, स्थिरता और सुरक्षा अभी भी गंभीर चुनौती है। तेजी से बदलती तकनीक और विनाशकारी कार्यों से पहले से चली आ रही चुनौतियां और भी गंभीर होती जा रही हैं। हमें इन चुनौतियों से निपटने के लिए समाधान खोजने होंगे।
Created On :   23 Jan 2018 5:41 PM IST