पोम्पिओ ने चीन के लद्दाख हमले को अमेरिकी डिफेंस की नई प्राथमिकताएं तय करने की वजह बताया
न्यूयॉर्क, 26 जून (आईएएनएस)। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के भारत के साथ घातक टकराव को यूरोप में वाशिंगटन की रक्षा प्रतिबद्धताओं की नए सिरे से प्राथमिकताएं तय करने और उभरते खतरों से निपटने पर गौर करने की एक वजह बताया है।
एशियाई देशों में विस्तारवादी चीन से बढ़ रहे खतरे को देखते हुए अमेरिका ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। अमेरिका ने यूरोप से अपनी सेना कम करके एशिया में तैनात करने का फैसला किया है।
पोम्पिओ ने गुरुवार को जर्मन मार्शल फंड के ब्रसेल्स फोरम की एक वर्चुअल (वीडियो कांफ्रेंस) बैठक में कहा कि भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन के बढ़ते खतरे और दक्षिण चीन सागर में चुनौतियां को देखते हुए अमेरिका अपने सैनिकों को शिफ्ट कर रहा है। पोम्पिओ ने कहा कि इस दिशा में अमेरिका जर्मनी में सेना के स्तर में कटौती कर रहा है।
पोम्पिओ ने कहा, चीन का विस्तारवाद हमारे लिए समय की चुनौती है। हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पास उससे निपटने के लिए सभी संसाधन उचित जगह पर उपलब्ध हों।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर कि इस महीने जर्मनी में तैनात लगभग 30,000 अमेरिकी सैनिकों में से 9,500 को वापस बुला लिया गया? पोम्पिओ ने कहा कि अंततोगत्वा उनका उद्देश्य लोकतंत्रों के बुनियादी हित में होना है, निश्चित रूप से अमेरिका के मौलिक हित में।
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने दुनिया भर में तैनात अपने सुरक्षा बलों की तैनाती की एक रणनीतिक समीक्षा शुरू की है। उन्होंने अपनी बातचीत के दौरान चीन से बार-बार होने वाले खतरों पर जोर दिया।
जर्मनी में सैनिकों को कम करने के ट्रम्प के फैसले के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वाशिंगटन ने देखा है कि संघर्ष की वर्तमान प्रकृति को देखते हुए दुनिया भर में सैन्य और खुफिया संसाधनों को कैसे आवंटित किया जाना चाहिए।
पोम्पिओ ने कुछ स्थानों से अमेरिकी संसाधन कम करके अन्य स्थानों पर स्थानांतरित करने पर जोर दिया।
पोम्पिओ ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर चुनौती के साथ ही भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, और वियतनाम जैसे एशियाई देशों को चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर अमेरिका दुनिया भर में अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर उन्हें इस तरह से तैनात कर रहा है कि वे जरूरत पड़ने पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का मुकाबला कर सकें।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह हमारे समय की चुनौती है और हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि हमारे पास ऐसा करने के लिए संसाधन हों।
उन्होंने यह नहीं बताया कि यह कैसे किया जाएगा।
पोम्पिओ ने अपनी खुद की रक्षा और नाटो में उचित योगदान नहीं देने के लिए जर्मनी को दोष दिया।
अमेरिका अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.42 प्रतिशत रक्षा पर खर्च करता है, जर्मनी केवल 1.38 प्रतिशत खर्च करता है और पिछले साल हुए एक समझौते में, अमेरिका और जर्मनी दोनों ने नाटो बजट के सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत योगदान देने पर सहमत हुए थे।
ट्रम्प की मांग रही है कि यूरोप और एशिया में उसके रक्षा साझेदार अपनी रक्षा लागत में अधिक हिस्सेदारी का योगदान दें।
Created On :   26 Jun 2020 4:30 PM IST