रात के तापमान में वृद्धि से मौत का खतरा 6 गुना बढ़ सकता है
- रात के तापमान में वृद्धि से मौत का खतरा 6 गुना बढ़ सकता है: स्टडी
डिजिटल डेस्क, न्यूयॉर्क। जलवायु परिवर्तन के कारण रात के समय का तापमान बढ़ने के साथ-साथ आपकी मौत का खतरा भी बढ़ जाता है।
इसे लेकर वैज्ञानिकों ने चेताया है, जिनका मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में रात के तापमान में वृद्धि से लोगों की मौत का खतरा 6 गुना बढ़ सकता है।
एक नए वैश्विक अध्ययन (स्टडी) से पता चला है कि रात के समय अत्यधिक गर्मी के कारण, जो सामान्य नींद के पैटर्न को बाधित करता है, मनुष्यों में मौत के खतरे को काफी बढ़ा देता है।
चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, जर्मनी और अमेरिका के शोधकर्ताओं के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्म रातों से सदी के अंत तक दुनिया भर में मृत्यु दर में 60 प्रतिशत तक की वृद्धि होने का अनुमान है।
द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन में चेताते हुए कहा गया है कि रात के दौरान व्यापक गर्मी नींद के सामान्य शरीर क्रिया विज्ञान को बाधित कर सकती है और कम नींद से प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान हो सकता है और हृदय रोग, पुरानी बीमारियों, सूजन और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का खतरा बढ़ सकता है।
अमेरिका के चैपल हिल में यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के जलवायु वैज्ञानिक, अध्ययन के सह-लेखक युकियांग झांग ने कहा, रात में तापमान बढ़ने के जोखिमों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
गिलिंग्स स्कूल में पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग से झांग ने कहा, गर्म रातों की आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) और औसत तीव्रता 2100 तक क्रमश: 30 प्रतिशत और 60 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाएगी, जबकि दैनिक औसत तापमान में 20 प्रतिशत से कम की वृद्धि होगी।
परिणाम बताते हैं कि गर्म रात की घटनाओं की औसत तीव्रता 2090 तक लगभग दोगुनी हो जाएगी। अनुमान है कि पूर्वी एशिया के 28 शहरों में 20.4 डिग्री सेल्सियस से 39.7 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हो सकती है। अत्यधिक गर्मी के कारण बीमारी का बोझ बढ़ेगा, जो सामान्य नींद पैटर्न को बाधित करता है।
जलवायु परिवर्तन से संबंधित मृत्यु दर जोखिम पर गर्म रातों के प्रभाव का अनुमान लगाने वाला यह पहला अध्ययन है।
निष्कर्षों से पता चला है कि औसत दैनिक तापमान वृद्धि के अनुमान से मृत्यु दर का बोझ काफी अधिक हो सकता है, यह सुझाव देता है कि पेरिस जलवायु समझौते के प्रतिबंधों के तहत भी जलवायु परिवर्तन से वामिर्ंग एक परेशान करने वाला प्रभाव हो सकता है।
टीम ने 1980 और 2015 के बीच चीन, दक्षिण कोरिया और जापान के 28 शहरों में अधिक गर्मी के कारण मृत्यु दर का अनुमान लगाया और इसे दो जलवायु परिवर्तन मॉडलिंग परि²श्यों पर लागू किया, जो संबंधित राष्ट्रीय सरकारों द्वारा अनुकूलित कार्बन-कमी परि²श्यों के साथ संरेखित थे।
इस मॉडल के माध्यम से, टीम यह अनुमान लगाने में सक्षम रही कि 2016 और 2100 के बीच अत्यधिक गर्म रातों से मृत्यु का जोखिम लगभग छह गुना बढ़ जाएगा।
यह भविष्यवाणी जलवायु परिवर्तन मॉडल द्वारा सुझाए गए दैनिक औसत वामिर्ंग से होने वाली मृत्यु दर के जोखिम से बहुत अधिक है।
चीन में फुडन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैडोंग कान ने कहा, हमारे अध्ययन से, हम इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि, गैर-इष्टतम (नॉन-ऑप्टिमम) तापमान के कारण बीमारी के बोझ का आकलन करने में, सरकारों और स्थानीय नीति निर्माताओं को असमान अंतर-दिन तापमान भिन्नता के अतिरिक्त स्वास्थ्य प्रभावों पर विचार करना चाहिए।
चूंकि अध्ययन में केवल तीन देशों के 28 शहरों को शामिल किया गया था, झांग ने कहा कि इन परिणामों को पूरे पूर्वी एशिया क्षेत्र या अन्य क्षेत्रों में निकालने को लेकर सतर्क रहना चाहिए।
आईएएनएस
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   9 Aug 2022 10:30 PM IST