सुप्रीम कोर्ट ने जमीन हथियाने के मामलों में सेना प्रमुख बाजवा को दी चुनौती
![Supreme Court challenges Army Chief Bajwa in land grabbing cases Supreme Court challenges Army Chief Bajwa in land grabbing cases](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2021/11/809302_730X365.jpg)
- रणनीतिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए दी गई जमीन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश के सैन्य प्रतिष्ठान को रक्षा भूमि पर वाणिज्यिक उद्यम चलाने में शामिल होने पर भारी फटकार लगाई जो उन्हें केवल रक्षा उद्देश्यों के लिए आवंटित की गई थी।
रक्षा भूमि के व्यावसायिक उपयोग पर एक मामले की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मियां मोहम्मद हिलाल हुसैन से पूछताछ की। पाकिस्तानी दैनिक डॉन की रिपोर्ट के अनुसार सीजेपी ने हुसैन से पूछा ये जमीन आपको रणनीतिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए दी गई थी और फिर भी आपने इस पर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं। क्या शादी के हॉल, सिनेमा और हाउसिंग सोसाइटी रक्षा उद्देश्यों के लिए बनाई गई थीं?
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सेना ने अपने कई ठिकानों पर व्यावसायिक प्रतिष्ठान खोल रखे हैं। सीजेपी जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और पाकिस्तान के रक्षा सचिव को आदेश दिया, जाओ और सशस्त्र बलों के सभी प्रमुखों को बताओ कि रक्षा उद्देश्यों के लिए भूमि का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा। सभी सैन्य छावनियों में जाएं और उन्हें बताएं भूमि का उपयोग केवल रणनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।
इसे पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है जो एक ऐसे देश में दुर्लभ है जो अपने सात दशकों में से आधे से अधिक समय तक पाकिस्तानी सेना द्वारा शासित रहा है। कुछ महीने पहले जब लाहौर के डीएचएस ने लाहौर उच्च न्यायालय के स्वामित्व वाली लगभग 50 एकड़ भूमि को लेने की कोशिश की, तो उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने खेद व्यक्त किया कि वह सेना के बारे में कुछ भी गलत नहीं कहना चाहते थे लेकिन कहा कि ऐसा लगता है कि सेना जमीन हथियाने वालों में सबसे बड़ी बन गई है।
सेना की वर्दी सेवा के लिए है न कि राजा के रूप में शासन करने के लिए। क्या केवल सेना ही बलिदान देती है? क्या पुलिस, वकील और न्यायाधीश जैसी अन्य संस्थाएं बलिदान नहीं देती हैं? यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी सेना पर जमीन हथियाने का आरोप लगाया गया है। 2010 में सेना की एक बटालियन ने कराची में 3,500 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया था। जिसमें सदियों पुराना कब्रिस्तान भी शामिल है।
आज पाकिस्तानी सेना प्रतिष्ठान 100 से अधिक स्वतंत्र व्यवसायों का मालिक है, जो सेना के पांच फाउंडेशनों की सहायक कंपनियों द्वारा संचालित हैं। पाकिस्तान में जहां राजनेताओं को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजा जाता है, वहीं कोई भी सैन्य प्रतिष्ठान पर सवाल उठाने की हिम्मत नहीं करता।
यह 1998 में इस्लामिक पार्टी जमात इस्लामी (जेआई) के प्रमुख काजी हुसैन अहमद ने पाकिस्तानी सेना को चुनौती दी थी और कहा था कि जनरल कोर कमांडर नहीं बल्कि करोड़ कमांडर थे। आज पाकिस्तान कर्ज में डूबा हुआ है और इमरान खान अपना नया पाकिस्तान बनाने के लिए सऊदी अरब और चीन से धन की भीख मांग रहे हैं लेकिन पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान मजे में है।
(आईएएनएस)
Created On :   27 Nov 2021 10:30 AM GMT