चीन की सेना के आधुनिकीकरण का भारत पर प्रभाव, थल सेना के प्रभुत्व को कम करने की कोशिश

The impact of modernization of Chinas army on India, trying to reduce the dominance of the army
चीन की सेना के आधुनिकीकरण का भारत पर प्रभाव, थल सेना के प्रभुत्व को कम करने की कोशिश
नई दिल्ली चीन की सेना के आधुनिकीकरण का भारत पर प्रभाव, थल सेना के प्रभुत्व को कम करने की कोशिश
हाईलाइट
  • थल सेना के प्रभुत्व को कम करने की कोशिश

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन की थल सेना का वर्चस्व नये कमांड के अस्तित्व में आने के बाद भी कम नहीं हुआ है। थल सेना के अधिकारी का अधिक प्रमोशन होता है। शी जिनपिंग सुधारों के बाद थल सेना के 20, एयरफोर्स के दस और नौ सेना के चार अधिकारियों को जनरल का प्रमोशन दे चुके हैं। ऐसा लगता है कि थल सेना के अधिकारी, जो कमांड के गठन से नाखुश हो सकते थे, उन्हें पक्ष में लेने के लिये ऐसा किया गया। शी जिनपिंग ने सुधारों को लागू करने के लिये इसकी तीव्रता कहीं-कहीं कम भी की है।

थल सेना के प्रभुत्व को कम करने की कोशिश

वर्ष 1979 में वियतनाम युद्ध के बाद डेंग ने पीएलए की आलोचना की और कहा कि यह भारी-भरकम हो गयी है और उसे अनुशासन की जरूरत है। डेंग ने इसके बाद पीएलए के 60 लाख से अधिक सैनिकों की संख्या में ऐतिहासिक कटौती करते हुये 1975 से 1982 तक 40 लाख के करीब ले आये। नये सुधारों के दौरान पीएलए ने और कटौती की। इस तरह 70 के दशक से अब तक पीएलए में 40 लाख से अधिक सैनिकों की कटौती की गयी है। ये कटौती मुख्य रूप से थल सेना में ही की गयी जबकि नौसेना और वायु सेना में सैनिकों की संख्या बढ़ायी गयी। थल सेना में की गयी भारी कटौती यह भी दिखाती है कि चीन को अपने क्षेत्र की रक्षा के लिये बड़ी थल सेना की आवश्यकता नहीं रही है। पीएलए में बड़ी सेना के बदले काबिल सेना और अत्याधुनिक हथियारों पर जोर दिया गया।

नयी सेवाओं का गठन

सुधार के तहत दो नयी सेवाओं एसएसएफ और जेएलएसएफ का भी गठन किया गया। एसएसएफ पीएलए की साइबर, स्पेस और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सर्विस शाखा है। यह उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देती है। यह सूचना आधारित डाटा संचालित युद्ध अभियानों के प्रति चीन के फोकस को बताती है। एसएसएफ भी किसी थियेटर कमांड को नहीं बल्कि सीधे सीएमसी को रिपोर्ट करती है। यह एक तरह से थियेटर कमांड के लिये सूचना केंद्र के रूप में काम करती है।

एसएसएफ दो उप थियेटर कमांड स्तर के विभागों को संचालित करती है। इनमें से स्पेस सिस्टम विभाग मिलिट्री स्पेस ऑपरेशन के लिये जिम्मेदार है जबकि नेटवर्क सिस्टम विभाग साइबर हमलों, साइबर जासूसी अभियानों आदि के लिये जिम्मेदार है। हाल के वर्षो में चीन इसके लिये विश्व स्तर पर कुख्यात हो गया है। अमेरिका के खुफिया सूत्रों के अनुसार, चीन की साइबर जासूसी में हुआवेई और जेडटीई जैसी कंपनियां भी शामिल हैं। इनकी मदद से चीन विदेशों में खुफिया जानकारियां एकत्रित करता है।

वर्ष 2019 में दूरसंचार कंपनी वोडाफोन ने खुलासा किया था कि उसे हुआवेई के उपकरणों में सुरक्षा संबंधी चूक का पता चला है। ये उपकरण इटली में फिक्स्ड फोन नेटवर्क का हिस्सा थे। इन सुरक्षा चूक के कारण चीन की पहुंच वोडाफोन के इंटरनेट ट्रैफिक और कॉल डाटा तक थी। इसी तरह अगस्त 2020 में आस्ट्रेलिया की सरकार और पापुआ न्यू गिनी के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र की रिपोर्ट में बताया गया कि पापुआ न्यू गिनी का साइबर डाटा केंद्र, जिसे हुआवेई ने 2018 में बनाया था, उसकी साइबर सुरक्षा लचर है जिसके कारण गोपनीय दस्तावेज चोरी हो सकता है।

जेएलएसएफ को संयुक्त लॉजिस्टिक सिस्टम को लागू करने के लिये गठित किया गया। इसमें भंडार, मेडिकल सेवाओं और परिवहन से संबंधित बल हैं। यह थियेटर कमांड के साथ मिलकर काम करता है और उन्हें लॉजिस्टिक मुहैया कराने में मदद करता है। कोरोना महामारी ने जेएलएसएफ की क्षमताओं की पहली परीक्षा ली। इसका मुख्यालय वुहान ही है, जो कोरोना महामारी की शुरूआत माना जाता है। जेएलएसएफ ने मेडिकल कर्मियों, उपकरण और अन्य आपूर्ति को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और साथ ही चीन के मित्र राष्ट्रों पाकिस्तान और कंबोडिया में कोरोना वैक्सीन की खेप पहुंचाई।

ड्रोन और पनडुब्बी क्षमतायें

चीन ने युद्ध के दौरान ड्रोन और पनडुब्बियों के लाभ को समझते हुये इस क्षेत्र में व्यापक शोध एवं विकास किया है। पीएलए की वायु सेना ने सबसे बड़ा ड्रोन डब्ल्यूजेड-7 यानी सोरिंग ड्रैगन को लॉंच किया। यह ऊंचाई पर उड़ने वाला लंबी रेंज का ड्रोन है। चीन ने साथ ही पानी के अंदर संचालित ड्रोन को हिंद महासागर में खुफिया जानकारियां एकत्रित करने के लिये इस्तेमाल किया है। चीन फिलहाल सुपरसोनिक ड्रोन डब्ल्यूजेड-8 विकसित कर रहा है।

सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी

चीन ने आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस, डीप लर्निग और फेशियल रिक्गनिशन के क्षेत्र में काफी काम किया है। वह इसके लिये अपनी प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल करने के साथ चीन निजी कंपनियों जैसे अलीबाबा, सेंसटाइम और मेगवी का भी इस्तेमाल करता है। सीसीपी ने आंतरिक सुरक्षा और बाहरी सुरक्षा के लिये भी इन प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया है। इनमें से कई कंपनियों को उइगर लोगों की पहचान के लिये लक्षित फेशियल पहचान, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और जेनेटिक परीक्षण के लिये उपयोग किया जा रहा है।

सेना का आधुनिकीकरण और विदेश नीति

सेना में किये गये बदलावों के साथ ही चीन की विदेश नीति के सुर भी बदल गये हैं। अब यह अपने पड़ोसी देशों भारत, ताइवान, जापान तथा वियतनाम के प्रति अधिक आक्रामक रुख अपनाता है। पीएलए में किये गये बदलावों ने चीन को निर्णायक युद्ध लड़ने की क्षमता दे दी है। कई बार तो वह साइबर युद्ध करके ही अपने दुश्मनों के घुटने टेक देता है। चीन की सेना वैसे भी काफी बड़ी है और इन बदलावों ने भारत सहित पड़ोसी देशों के लिये खतरे को और व्यापक रूप दे दिया है।

शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से भारत को 2013 में लद्दाख में डेपसांग घाटी में पीएलए के आक्रामक तेवरों का पता चला। लद्दाख में चीन ने जो रुख अपनाया है, उससे पता चलता है कि वह संयुक्त सैन्य अभियानों को संचालित करने में कितना दक्ष हो गया है। इसी तरह ताइवान और जापान को भी चीन के इस रुख का सामना करना पड़ रहा है। चीन और पूरी दुनिया में सेना के संयुक्त अभियानों को देखते हुये अब भारत भी सन्य सुधार कर रहा है। भारत ने तीनों सेनाओं के लिये संयुक्त साइबर एजेंसी और डिफेंस स्पेस एजेंसी की 2019 में शुरूआत की। इसने साथ ही 2020 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की। भारत को थियेटर कमांड स्थापित करने की दिशा में अभी और कदम उठाने होंगे और इसमें कई बाधायें भी आयेंगी।

चीन की नौसेना

पीएलए की नौसेना ने हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है। श्रीलंका में कोलंबो बंदरगाह और पाकिस्तान के ग्वादर तथा करांची बंदरगाह पर चीन के परमाणु पनडुब्बी के रूकने की रिपोर्टे इसी बात का सबूत हैं। चीन ने हिंद महासागर में एंटी पाइरेसी गतिविधियों में शामिल होकर भी अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है। वर्ष 2008 से 2018 के बीच चीन ने 30 एंटी पाइरेसी टास्क फोर्स भेजे। उसने 2016 में जिबूती में सैन्य अड्डा स्थापित किया। थल सेना की भूमिका कम करने के चीन के प्रयासों को देखते हुये भारत को भी अपनी वायुसेना और नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाना होगा।

चीन में किये गये सैन्य सुधारों के केंद्र में रक्षा आधारित उद्योग है। इसी तरह भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में घरेलू रक्षा उद्योगों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। भारत सरकार इसी को देखते हुये रक्षा उपकरणों के निर्माण में निजी क्षेत्र की उपस्थिति को बढ़ावा दे रही है। भारत को इन उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये रक्षा उपकरण आपूर्ति प्रक्रिया में तेजी लानी होगी तथा उभरती प्रौद्योगिकियों में नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिये सहयोग देना होगा।

 (आईएएनएस)

Created On :   10 April 2022 12:30 PM GMT

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