संरा आतंकवाद से लड़ाई को लेकर प्रतिबद्ध : महासभा अध्यक्ष (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)
संयुक्त राष्ट्र , 1 जून (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मुहम्मद-बंदे ने कहा कि विश्व निकाय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर दृढ़ संकल्पित है और सभी सदस्य राष्ट्र सहमत हैं कि यह एक जरूरी मुद्दा है।
उन्होंने आईएएनएस से एक विशेष साक्षात्कार में कहा, आतंकवाद पर जवाबी कार्रवाई (काउंटर-टेरेरिज्म) एक ऐसा मुद्दा है, जिसकी अर्जेसी पर सब सहमत हैं और संयुक्त राष्ट्र ने इसके खिलाफ आगे बढ़ाने के तरीके विकसित किए हैं।
संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक संधि पर एक साथ आने में असर्थता के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, हो सकता है कि आपके पास एक संधि न हो। विस्तृत सवालों ने इसे रोक दिया है लेकिन सच्चाई यह है कि संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में अगुवाई की है।
उन्होंने कहा, व्यवहारिक तौर पर, संयुक्त राष्ट्र के पास आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई से संबंधित मजबूत नियम मौजूद हैं।
उन्होंने इस दिशा में काउंटर-टेरेरिज्म के लिए अंडर-सेक्रेटरी-जनरल व्लादिमीर वोरोकोव और उनके कार्यालय के कार्य के उदाहरण दिए।
मुहम्मद-बंदे ने कहा, महासभा द्वारा 2017 में आतंकवाद-विरोधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय को स्थापित किया गया था, जिसके तहत विश्व की खुफिया एजेंसियों के प्रमुख आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रक्रिया और नियमों पर चर्चा हेतु एक साथ आए और यह एक चीज थी, जिसपर सभी का मानना था कि यह अर्जेट है।
उन्होंने न्यूयार्क से वीडियो-टेलीकांफ्रेंसिंग के जरिए कहा, यह विश्व प्रणाली में बेहद ही महत्वपूर्ण तत्व है।
कोविड-19 की वजह से संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में लॉकडाउन की वजह से वह न्यूयार्क से वेडियो-टेलीकांफ्रेंसिंग के जरिए सवालों का जवाब दे रहे थे।
इस आतंकवाद रोधी संधि की पेशकश भारत द्वारा 1996 में की गई थी, लेकिन यह आतंकवाद और आतंकवादियों की कार्रवाई को परिभाषित करने के मुद्दे पर विभिन्न देशों के मतभेद के चलते फलीभूत नहीं हो पाई, क्योंकि कुछ देश आतंकवादियों के स्वतंत्रता सेनानी होने का दावा करते हैं।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र तीन संधियों को अपनाने में सफल हुआ, जिसमें आतंकवादियों द्वारा विस्फोट, आतंकवाद का वित्तपोषण और परमाणु आतंकवाद की कार्रवाई से निपटने की बात कही गई।
मुहम्मद-बंदे (62) को महासभा का सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया था। वह नाइजीरिया के राजनयिक बनने से पहले एक शिक्षाविद् और रणनीतिकार थे।
महासभा में लगभग दो दशकों से लंबित पड़े सुरक्षा परिषद में सुधार के मामले पर उन्होंने कहा कि यह सबसे मुश्किल कार्यों में से एक है, क्योंकि इसके लिए महासभा में सहमति होना और परिषद के स्थायी सदस्यों में भी सहमति होना जरूरी है, जिनके पास वीटो करने की शक्ति है।
उन्होंने कहा, महासभा सत्र की शुरूआत में इस दिशा में काफी अच्छी तरह बढ़ा ,लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में बैठक करना मुश्किल हो रहा है और बातचीत काफी कठिन है, व्यक्तिगत रूप से उन्हें संचालित करना आसान है। इस वजह से मौजूदा प्रक्रिया में कुछ उपलब्धि हासिल करने में देरी हुई है।
उन्होंने कहा, सुधार के मुद्दों में प्रभावी प्रदर्शन के लिए परिषद के आकार को सुनिश्चित करना, क्षेत्रीय सदस्यता और प्रतिनिधित्व और क्या वीटो जारी रहेगा और अगर यह रहेगा तो, तो क्या इसमें संशोधन होगा, यह सभी शामिल है।
महासभा और परिषद के संबंध के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद है और यह कोई अलग मुद्दा नहीं है। संगठन क्या करता है, इसे उसी अनुसार आगे बढ़ना और सीखना है और एक ही दिशा में आगे बढ़ना है।
उन्होंने कहा, महासभा सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाली है क्योंकि यहां सभी सदस्यों के लिए बराबर वोट, आवाज और कॉलेजियम है।
Created On :   1 Jun 2020 5:32 PM IST