विक्ट्री डे परेड: एससीओ शिखर समिट में भाग लेने वाले कई देश के नेताओं ने की चीन के विजय दिवस परेड में शामिल होने की पुष्टि ,जापान नाराज

- जापान के आक्रमण के खिलाफ जीत की याद में हो रहा आयोजन
- एससीओ बैठक के तुरंत बाद होगा परेड का आयोजन
- चीन तथा अन्य पीड़ित देशों के लोगों की भावनाओं का जापान को सम्मान करना चाहिए-जियाकुन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन समेत 26 विदेशी नेता चीन के विक्ट्री डे परेड कार्यक्रम में शामिल होंगे। शामिल होने वाले नेताओं की पुष्टि के बाद जापान ने इसका विरोध किया है। आपको बता दें 3 सितंबर को चीन का विजय दिवस है। आपको बता दें परेड 31 अगस्त और 1 सितंबर को तियानजिन शहर में होने वाला शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद बीजिंग में आयोजित की जा रही है।
जापानी समाचार एजेंसी क्योदो के हवाले से कई समाचार वेबसाइट ने लिखा है कि जापान ने विदेशों में अपने दूतावासों के जरिए अन्य देशों को सूचित किया है कि वे चीन के विजय दिवस कार्यक्रमों में शामिल न हों क्योंकि इन कार्यक्रमों में जापान विरोधी भावनाएं हैं। इस पर चीन ने भी नाराजगी जाहिर की है और जापान में अपने राजदूत के जरिए जापान सरकार के समक्ष राजनयिक विरोध दर्ज कराया है।
चीन के सहायक विदेश मंत्री होंग लेई ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि बीजिंग में चीन के विजय दिवस समारोह में 26 विदेशी नेता शामिल होंगे। ये नेता चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर बीजिंग जा रहे हैं। होंग ने आगे कहा चीन 3 सितंबर को जापानी आक्रमण के विरुद्ध चीनी जन प्रतिरोध युद्ध और विश्व फासीवाद-विरोधी युद्ध में विजय की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक विशाल सैन्य परेड का आयोजन करेगा। चीन के सहायक विदेश मंत्री लियू बिन ने पिछले हफ़्ते मीडिया में जानकारी देते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सहित 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों के अलावा 20 देशों के शीर्ष नेता एससीओ समिट में शामिल होंगे।
चीन विजय दिवस परेड का आयोजन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी आक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध युद्ध में जीत के उपलक्ष्य में आयोजित कर रहा है। विजय दिवस परेड को लेकर चीन और जापान में कुछ कूटनीतिक विवाद हो गया है। जापान ने कई वैश्विक नेताओं से चीन के विक्ट्री डे परेड कार्यक्रम में शामिल न होने की अपील की है, इसे लेकर चीन ने भी जापान के सामने राजनयिक विरोध दर्ज कराया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने जापान के विरोध के बाद कहा अगर जापान सचमुच इस ऐतिहासिक मुद्दे को बदलना चाहता है, तो उसे अपने आक्रामक इतिहास का ईमानदारी से सामना करना चाहिए और उस पर चिंतन करना चाहिए, सैन्यवाद से पूरी तरह नाता तोड़ना चाहिए, शांतिपूर्ण विकास के मार्ग पर चलना चाहिए और चीन तथा अन्य पीड़ित देशों के लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
Created On :   28 Aug 2025 11:29 AM IST