ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे: देश की इन जगहों पर युवाओं में बढ़ा तंबाकू खाने का चलन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के युवाओं में नशे के लिए कई प्रकार के उत्पादों को खाने का चलन बढ़ा है। जिसमें तंबाकू सबसे ऊपर है। तंबाकू खाने वाले युवकों पर की गई शोध में नतीजे सामने आए हैं कि इन उत्पादों के इस्तेमाल से युवाओं में नपुंसकता के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में युवा वर्ग में तंबाकू की लत अधिक होने के कारण वह तेजी से इसके शिकार हो रहे हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, आगे चलकर इसका कुप्रभाव प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है।
लड़कियों को भी इन उत्पादों का सेवन करते देखा जा रहा है। इससे लड़कियों के चेहरे पर झुर्रियां आने के साथ गर्भवतियों का गर्भ गिरने का खतरा रहता है। इतना ही नहीं इनसे आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा रहता है। विशेषज्ञों ने कहा कि आजकल सुपारी में ही तंबाकू के फ्लेवर मिलाकर नए-नए उत्पाद तैयार करके बेचे जा रहे हैं। कंपनियां लोगों को आकर्षित करने के लिए उन्हें धोखे में रखकर अपने उत्पाद मार्केट में बेच रही हैं।
पूर्वोत्तर राज्यों में ‘ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे’ (जीएटीएस) की क्षेत्रीय रिपोर्ट में यह पता चला है कि देश में 2009 से 2017 के बीच यूं तो तंबाकू के इस्तेमाल में कमी आई है। असम, त्रिपुरा और मणिपुर में तंबाकू का इस्तेमाल बढ़ा है। जानकारी के अनुसार, असम और त्रिपुरा में सिगरेट औऱ बीड़ी की बजाए खैनी खाने का चलन काफी बढ़ा है। हालांकि सिक्किम में इसमें काफी गिरावट आई है। वहीं मिजोरम, मेघालय और नगालैंड में इसमें मामूली सी बढ़ोत्तरी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी राज्यों की तुलना में असम में इन उत्पादों के सेवन में बढ़ोत्तरी पाई गई है। असम में तंबाकू का इस्तेमाल 39.3 प्रतिशत से बढ़ कर 48.2 प्रतिशत हो गया। त्रिपुरा में 55.9 से बढ़ कर 64.5 प्रतिशत और मणिपुर में 54.1 से बढ़ कर 55.1 प्रतिशत हो गया है। असम के स्वास्थ मंत्री हेमंत बिस्व सर्मा ने रिपोर्ट जारी करने के कार्यक्रम के दौरान कहा कि जीएटी की खोज पूर्वोत्तर राज्यों में तंबाकू के इस्तेमाल पर महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराती है और इससे असम और हमारे क्षेत्रों में तंबाकू नियंत्रण नीति एवं निरोधक कार्यक्रमों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
बता दें कई फिल्मी सितारे तंबाकू उत्पादों का प्रचार करते हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि एक तरफ सरकार तंबाकू उत्पादों के प्रति जागरूकता पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ फिल्मी सितारे जाने-अनजाने में इस पर पानी फेर रहे हैं। वर्ल्ड नॉलेज हब के पूर्व कंसल्टेंट डॉ. धीरेंद्र सिन्हा ने कहा कि मुझे लगता है कि अब ऐसे उत्पादों के उत्पादन को ही बैन करने का वक्त आ गया है।
Created On :   28 Nov 2017 11:43 AM IST