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कोरोनाकाल में गांव की महिलाओं, युवाओं को नई इबारत लिखने का मौका : डॉ. नंदिता

हाईलाइट
- कोरोनाकाल में गांव की महिलाओं, युवाओं को नई इबारत लिखने का मौका : डॉ. नंदिता
भोपाल, 2 अगस्त (आईएएनएस)। भारत गांव में बसता है, मगर गांव की महिलाओं और युवाओं को लेकर समाज के कुलीन वर्ग की मान्यता उन्हें आंकने की रही है। वर्षो तक गांवों और गरीबों के बीच सामाजिक उद्यमी के तौर पर बुंदेलखंड इलाके में काम कर चुकीं और स्वच्छ भारत मिशन की ब्रांड एंबेस्डर डॉ. नंदिता पाठक का मानना है कि गांव की महिलाओं और युवाओं को माहौल, सुरक्षा और अवसर मिले तो वे नई इबारत खिलने का जज्बा रखते हैं। इस वर्ग को आत्मनिर्भर भारत योजना मौका तो देगी ही, साथ में संजीवनी का भी काम करेगी।
राजनीति के संत के तौर पर पहचाने जाने वाले नानाजी देशमुख की दत्तक पुत्री डॉ. पाठक ने लगभग दो दशक तक बुंदेखलंड के चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान से जुड़कर काम किया है और ग्रामीण अंचल की महिलाओं के अलावा युवाओं को भी बेहतर अवसर दिलाने के अभियान को गतिशील बनाए रहीं। इसके साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई-नई परियोजनाओं पर काम किया और गृह उद्योग को बढ़ावा दिया।
डॉ. नंदिता पाठक ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, महिलाओं को कभी भी विशेष महत्व की आकांक्षा नहीं रही है, बस उन्हें जरूरत है कि समाज में सुरक्षा, सम्मान और माहौल मिल जाए तो वे बदलाव ला सकती है। वर्तमान दौर में महिलाओं में आ रहा बदलाव इस बात का संकेत भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं में भरोसा पैदा किया है, उनके लिए योजनाएं बनाईं, उन्हें वह माहौल दिलाया है, जिसमें वे अपने को आगे बढ़ाने में सफल हो रही हैं।
कोरोना काल में लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। डॉ. पाठक का कहना है कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कदम बढ़ाया है। इसके चलते एक तरफ जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा, वहीं लोगों को रोजगार भी मिलेगा। सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योगों के बंद होने से जिन लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हुआ है, उनके लिए आत्मनिर्भर भारत योजना समृद्ध बनाने में मददगार साबित होगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि गांव में ही युवाओं और महिलाओं को रोजगार आसानी से मिल सकेगा।
डॉ. पाठक कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि महिलाओं ने पहले मुकाम हासिल नहीं किया, मगर वर्तमान दौर में हर क्षेत्र में महिलाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। यह सब उन्हें मिल रही सुरक्षा, सम्मान और माहौल के कारण हुआ है। महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं, नई पीढ़ी का भविष्य बनाने और संवारने में पीछे नहीं हैं।
अपने अनुभवों को साझा करते हुए डॉ. पाठक कहती हैं कि बुंदेलखंड में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नानाजी देशमुख के निर्देशन में अभियान चलाया गया तो वहां के गांव-गांव में गृह उद्योगों ने गति व रफ्तार पकड़ी, महिलाएं आर्थिक रूप से सबल बनीं। यहां के सैकड़ों गांव स्वावलंबी बने हैं। यह एक सार्थक प्रयास इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि महिलाओं को माहौल दिया गया, सुरक्षा मुहैया कराई गई और सम्मान मिला, जिसके बल पर उन्होंने अपने हालात को बदल दिया।
बुंदेलखंड वह इलाका है, जहां बड़े वर्ग के सामने रोजी-रोटी का संकट होता है। इन हालात को बदलने के लिए युवाओं को उनकी अभिरुचि के अनुसार दीनदयाल शोध संस्थान ने मदद दिलाने का काम किया था।
डॉ. पाठक कहती हैं कि उस समय युवाओं को जरूरत के अनुसार, आर्थिक मदद मुहैया कराकर उन्हें अपना रोजगार उपलब्ध कराने के साथ प्रशिक्षण दिलाया गया तो हालात बदले।
अपनी बात को आगे बढ़ते हुए डॉ. पाठक कहती हैं कि उन्होंने एक सामाजिक उद्यमी के तौर पर समाज के बीच जाकर काम किया और वर्तमान में स्वच्छता अभियान में एक जिम्मेदारी निभा रही हैं। उन्हें अपने काम को मुकाम तक ले जाने में सफलता इसलिए मिली, क्योंकि नानाजी देश्मुख ने उन्हें वैसा माहौल दिलाया, अपने आप में सुरक्षा महसूस की और सम्मान मिला। आम महिला को जब यह मिल जाता है तो वह हालात बदलने की इबारत लिख देती है।
वर्तमान की केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं और युवाओं के लिए किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए डॉ. पाठक कहती हैं, महिलाएं और युवाओं को बेहतर माहौल उपलब्ध कराए जा रहे हैं, वैसे भी हमारा देश युवा देश के तौर पर पहचाना जाता है। यही कारण है कि महिलाएं और युवाओं ने हर क्षेत्र में नए कीर्तिमान और उपलब्धियां हासिल की हैं। यह एक सुखद समय है।
डॉ. पाठक का कहना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ लोगों को बेहतर रोजगार मुहैया करने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की है। यह भारत में बड़ा बदलाव लाने वाली योजना साबित होगी।
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