वक्फ अधिनियम: 1995 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस

1995 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस
  • चुनौती देने वाली पिटीशन को लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ा
  • वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर सुनवाई जारी
  • प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 द्वारा संशोधित वक्फ अधिनियम, 1995 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को 1995 के वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया। याचिका को पारूल खेडा और हरिशंकर जैन की याचिका के साथ जोड़ा है, क्योंकि इन याचिकाओं में भी वक्फ कानून 1995 को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने अभी दोनों ही याचिकाओं पर सुनवाई नहीं की है।

1913 में ब्रिटिश सरकार ने वक्फ बोर्ड को औपचारिक रूप से शुरू किया था। साल 1923 में वक्फ एक्ट बनाया गया था। आजादी के बाद पहली बार साल 1954 में वक्फ अधिनियम संसद से पारित हुआ था। इसके बाद साल 1995 में इसे एक नए वक्फ अधिनियम से परिवर्तन कर दिया था। जिससे वक्फ बोर्ड को और ज्यादा शक्तियां मिल गईं।

आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ कानून 1995 के विभिन्न प्रावधानों को रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1995 एक्ट को 2025 में क्यों चुनौती दे रहे हैं। कोर्ट ने क्या इसे 2025 में सुना जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर भी अब सुनवाई कर रहा है। जिसके बाद सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि इसे हस्तक्षेप अर्जी के तौर पर सुना जाएगा।

वक़्फ क़ानून 1995 के विभिन्न प्रावधानों को रद्द करने वाली याचिका लॉ स्टूडेंट निखिल उपाध्याय की ओर से दायर की गई है। कोर्ट ने कहा कि हमने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रखा है और आप 1995 के कानून को अब चुनौती दे रहे है।

Created On :   27 May 2025 1:23 PM IST

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