India Pakistan Ceasefire: PAK की एक गलती पड़ेगी भारी, सीजफायर उल्लंघन करने पर भुगतने होंगे ये परिणाम, जानिए क्या कहते हैं नियम

  • भारत-पाक के बीच सीजफायर
  • आतंकी हमले को मानेंगे एक्ट ऑफ वॉर- भारत
  • पहली बार 1949 में हुआ था संघर्ष विराम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को सीजफायर पर सहमति बन गई है। विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दोनों देशों के DGMO (डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस) ने इस बारे में बात की। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी। लेकिन अब बड़ा सवाल यह है कि पाकिस्तान कितने दिनों तक सीजफायर का सम्मान करेगा? यह सवाल इसलिए जरूरी है क्योंकि पड़ोसी मुल्क ने अक्सर इस तरह की कायराना हरकत की है। हालांकि दुश्मन देश की एक गलती उस पर काफी भारी पड़ सकती है। भारत ने साफ कर दिया है कि अगर अब आतंकवादी हमला होता है तो इसे एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा। तो चलिए जानते हैं अगर पड़ोसी मुल्क ने एक बार फिर सीजफायर का उल्लंघन किया तो क्या परिणाम हो सकता है?

क्या कहता है हेग रेगुलेशन्स?

हेग रेगुलेशन्स (Hague Regulations) के आर्टिकल 40 के तहत, अगर कोई देश सीजफायर का उल्लंघन करता है तो पीड़ित देश लड़ाई शुरू कर सकता है। इतना ही नहीं बल्कि, यह मामला यूएन तक भी जा सकता है।

पहली बार कब हुआ सीजफायर?

भारत और पाकिस्तान के बीच पहली बार 1949 में सीजफायर हुआ था। दरअसल, 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर भारी जंग हुई थी। जंग को रोकने के लिए यूएन ने मध्यस्थता की थी। फिर भारत और पाकिस्तान की सहमति से 1949 में सीजफायर लाइस की स्थापना हुई। जिसे अब एलओसी के नाम से जाना जाता है।

क्या है सीजफायर?

सीजफायर, दो देशों के बीच एक तरह का समझौता होता है। इसके तहत दोनों देश यह तय करते हैं कि वह एक दूसरे पर हमला नहीं करेंगे और लड़ाई भी नहीं करेंगे।

Created On :   12 May 2025 6:00 PM IST

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