हिंसा से हिली सत्ता: इंडिया के 4 पड़ोसी मुल्कों में 4 साल में हुआ तख्तापलट, अफगानिस्तान- श्रीलंका-बांग्लादेश -नेपाल में भारी हिंसक प्रदर्शन से बदली सरकारें

इंडिया के 4 पड़ोसी मुल्कों में 4 साल में हुआ तख्तापलट, अफगानिस्तान- श्रीलंका-बांग्लादेश -नेपाल में भारी हिंसक प्रदर्शन से बदली सरकारें
  • चार पड़ोसी देशों में जनाक्रोश के आगे झुकी सरकार
  • नेपाल में Gen-G क्रांति के बाद पीएम ओली ने दिया इस्तीफा
  • अफगानिस्तान, बांग्लादेश , श्रीलंका में भी विरोध के बाद हुआ तख्तापलट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चार साल में भारत के चार पड़ोसी मुल्कों में भारी हिंसक प्रदर्शनों के चलते सरकार बदल गई। हाल ही में नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए Gen-Z के हिंसक विरोध प्रदर्शन के चलते पीएम केपी शर्मा ओली को कुर्सी छोड़नी पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने नेपाल की संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट पर कब्जा कर लिया साथ ही राष्ट्रपति, पीएम आवास और कई मंत्रियों के घरों पर आगजनी की। नेपाल में सोमवार को सोशल मीडिया बैन, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के विरोध में शुरू हुए प्रदर्शन के 30 घंटे के भीतर ही पीएम ओली को अपना पद छोड़ना पड़ा है। लेकिन ऐसे ही हालात कुछ साल पहले भारत के अन्य पड़ोसी मुल्कों में भी पनपे थे, जब जनाक्रोश के सामने सत्ता को सरेंडर करना पड़ा था। नेपाल में तख्तापलट से पहले अफगानिस्तान से लेकर श्रीलंका, बांग्लादेश में भी ऐसा हो चुका है।

2021 में अफगानिस्तान के काबुल पर तालिबान का कब्जा

2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान के काबुल पर कब्जा कर लिया, इसी के साथ अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार का खात्मा हो गया और तालिबान का शासन स्थापित हुआ। 2001 में अमेरिका के नेतृत्व में तालिबान को सत्ता से हटाया गया था, अशरफ गनी की सरकार बनी थी। 20 साल के संघर्ष के बाद 2020 में अमेरिका-तालिबान समझौता हुआ, अमेरिकी सेना की वापसी हुई, और तालिबान ने काबुल और राष्ट्रपति भवन पर पर कब्जा कर लिया। और तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर भागना पड़ा था। सेना की कमजोरी, भ्रष्टाचार, अमेरिका सेना की वापसी अफगानिस्तान में विद्रोह की वजह बनी। हालांकि अफगानिस्तान फिलहाल आर्थिक संकट में जूझ रहा है, लेकिन तालिबान का राज अब भी कायम है।

श्रीलंका में आर्थिक संकट बना विरोध प्रदर्शन की वजह

अफगानिस्तान में विद्रोह के एक साल बाद 2022 में श्रीलंका में आर्थिक संकट में डूब गया। आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होने लगे। भारी कर्जन, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी,कोरोना महामारी, पर्यटन में कमी से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था संकट में आ गई। ईंधन और दवाओं की कमी से लाखों लोग राजधानी कोलंबो की सड़कों पर उतरे और मई 2022 में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा। विरोध प्रदर्शन चलता रहा, इसके बाद 9 जुलाई 2022 को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन, संसद समेत कई सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया। तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को आधी रात में देश छोड़कर मालदीव भागना पड़ा और सितंबर 2022 में उन्होंने पद से औपचारिक इस्तीफा दिया। प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रपति भवन के पूल में नहाते हुए वीडियो भी सामने आए।

बांग्लादेश में तख्तापलट, गिरी सरकार, हसीना को छोड़ना पड़ा देश

छात्र आंदोलन की वजह से बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार को पीएम पद छोड़ना पड़ा, भारी विरोध के देखते हुए हसीना को देश छोड़कर भारत की शरण लेने पड़ी। भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन और स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों को दिए गए आरक्षण की नीति छात्रों के गुस्से की वजह बनी। हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बनाया गया, जो फिलहाल बांग्लादेशकी बागडोर संभाल रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के जनक और बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तोड़ दी, अभी तक बांग्लादेश में आम चुनाव नहीं हो पाए हैं और देश में अब भी अस्थिरता बनी हुई है।

Created On :   9 Sept 2025 5:39 PM IST

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