राम मंदिर: बिना मूर्ति के यहां होती है भगवान राम की पूजा, पीएम मोदी ने इस स्थान की मिट्टी को लगाया था माथे पर, जानिए बिना भक्त के क्यों की जाती है स्तंभ की अर्चना

बिना मूर्ति के यहां होती है भगवान राम की पूजा, पीएम मोदी ने इस स्थान की मिट्टी को लगाया था माथे पर, जानिए बिना भक्त के क्यों की जाती है स्तंभ की अर्चना
  • अयोध्या में बिना मूर्ति के यहां होती है भगवान राम की पूजा
  • पीएम मोदी ने इस स्थान की मिट्टी को लगाया था माथे पर
  • बिना भक्त के क्यों की जाती है स्तंभ की अर्चना

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या में एक ऐसा स्थान है जहां बिना मूर्ति के हर रोज भगवान राम की पूजा-अर्चना की जाती है। सवाल यह उठता है कि मूर्ति नहीं है तो फिर भक्त कैसे पूजा करते हैं? अगर आपके मन में भी यही सवाल उठ रहे हैं तो आपको बता दें कि यहां मूर्ति की जगह एक स्तंभ की पूजा की जाती है। इस स्तंभ पर भगवान राम का पताका लहराता है और भगवान राम की ही आराधना की जाती है। साथ ही, पूजा के दौरान पुजारी के अलावा यहां कोई भी मौजूद नहीं रहता है। पुजारी सुबह-शाम भगवान राम की पूजा-अर्चना कर भोग लगाते हैं और प्रभु श्रीराम की आरती भी करते हैं। पूजा के बाद भगवान को चढ़ाया गया प्रसाद भक्तों को दिया जाता है। अयोध्या के इस खास जगह पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां आ चुके हैं। उन्होंने यहां की पावन माटी को अपने माथे पर भी लगाया था।

राम मंदिर का गर्भ-गृह है ये स्थान

यह खास जगह कोई और नहीं बल्कि राम भगवान की जन्मस्थली है। जहां 22 जनवरी को रामलला के मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। सालों पहले 6 दिसंबर 1922 को कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिराकर एक अस्थाई मंदिर बनाकर रामलला की पूजा अर्चना की शुरुआत की थी। ढांचे को गिराने के बाद लोगों ने बांस बल्लियों से अस्थाई मंदिर बनाकर तिरपाल के नीचे राम भगवान की पूजा शुरू कर दी थी। राम मंदिर आंदोलन में यह एक अहम पड़ाव था। हालांकि, विवाद के कारण इस स्थान पर प्रशासन ने ताला लगा दिया था। इसके बाद अदालती मुकदमें का सिलसिला शुरू हो गया।

इसी जगह पर सालों पहले प्रकट हुए थे रामलला

यह वही स्थान है जहां 1949 में 22-23 दिसंबर की रात रामलला की मूर्ति का प्राकट्य हुआ था। भगवान के प्राकट्य की खबर फैलते ही पूरी अयोध्या और संत समाज के लोग 'भये प्रकट कृपाला...' बोलते हुए इस जगह पर जमा हो गए। आजादी के बाद इस मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम समाज के बीच अदालती खींचतान की शुरूआत हुई। मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक गोपाल सिंह विशारद इस घटना के बाद रामलला के दर्शन करने के लिए अयोध्या जा रहे थे। जहां पुलिस ने उन्हें रोक दिया। तब गोपाल सिंह विशारद दर्शन और व्यक्तिगत पूजन के अधिकार लिए जिला अदालत में मुकदमा दायर कर दिया।

राम मंदिर ट्रस्ट ने पूजा जारी रखने का लिया था फैसला

राम मंदिर के निर्माण के समय रामलला की मूर्ति को अस्थाई मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए शिफ्ट कर दिया गया। हालांकि, मंदिर ट्रस्ट ने इस जगह की पूजा जारी रखने का फैसला लिया। जहां 22 जनवरी को रामलला के मूर्ति की स्थापना होनी है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र सिंह ने कहा, "ट्रस्ट के जरिए यह तय हुआ है कि भले ही मूर्ति हट गई हो और अस्थाई मंदिर में मूर्ति की पूजा हो रही है लेकिन, उस भूमि की पूजा कभी बंद नहीं होनी चाहिए। ऐसा विचार होने के बाद वहां एक स्तंभ में झंडा लगा कर गाड़ दिया गया, जहां भगवान श्रीराम विराजमान थे।"

Created On :   10 Jan 2024 5:50 PM GMT

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