Damoh News: मप्र के 40 तीर्थं यात्री नेपाल में फंसे, इनमें दमोह व सागर के दो दर्जन से ज्यादा श्रद्धालु, 5 सितंबर को सागर से काठमांडू के लिए रवाना हुई थी स्पेशल तीर्थयात्रा बस

मप्र के 40 तीर्थं यात्री नेपाल में फंसे, इनमें दमोह व सागर के दो दर्जन से ज्यादा श्रद्धालु, 5 सितंबर को सागर से काठमांडू के लिए रवाना हुई थी स्पेशल तीर्थयात्रा बस
  • मध्य प्रदेश के तीर्थयात्री नेपाल Gen Z आंदोलन मे फंसे
  • आंदोलन के बीच तीर्थयात्री छोटे से गांव में रहने को मजबूर
  • जोनसोम पहुंचते ही हिंसा में फंसे एमपी के तीर्थयात्री

राजेश पांडे, दमोह। जेन जी आंदोलन की आग में जल रहे नेपाल में मप्र के 40 तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। ये सभी 5 सितंबर को सागर से काठमांडू के लिए रवाना हुई स्पेशल तीर्थ यात्रा बस एमपी 20 जेडटी 6689 से नेपाल गए थे। वहां इन्हें काठमांडू में पशुपतिनाथ के दर्शन करने के साथ अन्य तीर्थ व पर्यटन स्थलों पर जाना था। प्रदेश के जो तीर्थात्री नेपाल में फंसे हुए हैं उनमें दमोह व सागर के दो दर्जन से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हैं। ये सभी 8 सितंबर को सोनाली बॉर्डर पार करते हुए नेपाल के पोखरा शहर में पहुंचे थे। नेपाल में जनांदोलन व हिंसा की खबर मिलने के बाद स्थानीय प्रशासन की सलाह पर तीन दिन तक एक छोटे से ईको ग्राम जोनसोम के होटल में रहे। इन सभी के सुरक्षा व्यवस्था के बीच गुरूवार रात भारत के लिए वापस निकलने की सूचना है। प्रभारी कलेक्टर निशा सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि, दमोह के रहने वाले पवन यादव के जरिए उन्हें प्रदेश के 40 तीर्थात्रियों के तीन दिन से नेपाल में फंसे होने की सूचना मिली है। पवन यादव ने बताया था कि उन तीर्थ यात्रियों में उसकी पत्नी व अन्य रिश्तेदार भी शामिल है। जानकारी ऊपर भेजी गई है। पवन की पत्नी सरिता, दमोह के आमचौपरा के साहू परिवार के 6 सदस्यों और जिले के बांसाकला से गए लोगों सहित ग्रुप में शामिल प्रदेश के सभी लोगों को सुरक्षित वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

जोनसोम पहुंचते ही मिली हिंसा व आंदोलन की जानकारी

पवन यादव की पत्नी सरिता ने मोबाइल पर बात करते हुए बताया कि, हम सभी सोनाली बॉर्डर पार करते हुए 8 सितंबर को नेपाल के पोखरा शहर पहुंच गए थे। होटल में कछ देर रूकने के बाद करीब 200 किमी दूर मुक्तिनाथ मंदिर और गंडक नदी पहुंचकर दर्शन किए। इसके बाद बस सभी यात्रियों को लेकर वापस पोखरा लौट रही थी। पोखरा के रास्ते में पडऩे वाले जोनसोम गांव में नेपाल में भडक़ी हिंसा, जनांदोलन तथा कर्फ्यू जैसे हालात निर्मित हो जाने की जानकारी मिली। कुछ देर के लिए हम सब डर और सहम गए। स्थानीय प्रशासन से संपर्क किया तो जोनसोम में ही किसी होटल में रूकने के लिए कहा गया। तीन दिन तक हम सब यहीं रहे। मेरे साथ हमारे रिश्तेदार एडवोकेट रूपसिंह यादव, रीता यादव, राधे यादव, रजनी यादव सहित भोपाल से कुछ परिवार इस टूर ग्रुप में शामिल हुए थे। आमचौपरा के साहू परिवार के करीब 6 भी हमारे साथ हैं। सभी सुरक्षित हैं।

सेना ने विशेष परमिट दिया

सरिता ने बताया कि आज (गुरुवार) सुबह कर्फ्यू में ढील की सूचना के बाद स्थानीय प्रशासन के जरिए सेना के अफसरों से संपर्क किया गया। नेपाल सेना द्वारा एक विशेष परमिट बनाकर दिया गया है। उस परमिट पर हम सभी वापस पोखरा पहुंच चुके हैं। फिलहाल हम बॉर्डर से 200 किलोमीटर दूर हैं। उम्मीद है आज रात ही अपने देश को रवाना हो जाएंगे। हम सभी काठमांडू के पशुपतिनाथ बाबा के दर्शन की अभिलाषा लेकर गए थे। यह इच्छा अधूरी ही रह गई। बाबा की यह कृपा जरूर रही कि हम सब सुरक्षित हैं और अपने घर वापस लौट रहे हैं।

मंत्रालय तथा दूतावास के हस्तक्षेप के बाद बालाघाट के 13 श्रद्धालुओं की वापसी

भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन को नेपाल की राजधान काठमांडू पहुंचे जिले के वारासिवनी के 13 श्रद्धालु भी 2 दिन तक रक्सिल बॉर्डर पर फंसे रहे। हासिल जानकारी के अनुसार 8 सितंबर को अपने वाहन क्रमांक एमपी 50 बीसी 1686 से नेपाल यात्रा पर गए वारासिवनी ब्लॉक अंतर्गत आने वाले डोंगरमाली के मनोज लिल्हारे, आनंद बनोटे, सुरेश अनकर, रमेश पटले, हेमराज लिल्हारे, पदमपुर केे राजेन्द्र ठकरेले, लिंगमारा के किरेन्द्र डोहरे, संजय धुवारे, सुरेश कटरे, इंद्रकुमार ब्रम्हे, विनय कुमार, लखन डोहरे एवं ग्राम दीनी के दीवान हटवार पशुपतिनाथ के दर्शन उपरांत जब वापस लौट रहे थे तब उनकी बस को नेपाली सेना ने रक्सिल बॉर्डर पर रोक लिया था। बिगड़े हालातों के मद्देनजर उन्हें आगे जाने से मना किया। 2 दिन तक वे वहीं फंसे रहे। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से यह बात विदेश मंत्रालय तक पहुंची। वहां से नेपाल स्थित भारतीय दूतावास को निर्देश दिए गए। इसके बाद इन्हें सरुक्षा व्यवस्था के बीच रक्सिल बॉर्डर से सुनौली बॉर्डर पर पहुंचाया गया। गुरूवार को यह सभी बॉर्डर पार कर देश की सीमा में दाखिल हुए और दिल्ली के लिए रवाना हुए। संभावना है शुक्रवार रात तक ये सभी वापस वरासिवनी पहुंच जाएंगे।

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Created On :   11 Sept 2025 10:20 PM IST

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