नेपाल में अंतरिम सरकार: कार्की और घीसिंग के नाम पर प्रदर्शनकारी में दो फाड़, एक धड़ा कर रहा विरोध

कार्की और घीसिंग के नाम पर प्रदर्शनकारी में दो फाड़, एक धड़ा कर रहा विरोध
  • Gen Z का विरोध प्रदर्शन हुआ तेज
  • नेपाल में अंतिरम सरकार बनाने के लिए बढ़ी मुश्किलें
  • एक धड़ा कार्की के खिलाफ उतरा

डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ युवाओं का प्रदर्शन गुरुवार को भी जारी है। इसके बाद से ही अंतरिम सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई थीं। बीते बुधवार तक देश में अंतरिम सरकार बनाने के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के नाम पर चर्चा हो रही थी, लेकिन आज एक ओर नाम सामने आया है। प्रदर्शनकारियों के एक खेमें से नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) के पूर्व कार्यकारी प्रमुख कुलमन घीसिंग क नाम आगे आया है। इस वजह से ‘Gen Z’ का एक धड़ा ने उनके खिलाफ हो गया है। बात दें कि इस कारण से केपी शर्मा वोली को प्रधानमंत्री की कुर्सी गवानी पड़ी।

ऑनलाइन हुई वोटिंग

गौरतलब है कि हजारों की संख्या में युवाओं ने पहले ऑनलाइन वोटिंग के जरिए सुशीला कार्की का समर्थन किया था, लेकिन इसके बाद में तर्क दिया गया कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश या जज प्रधानमंत्री नहीं बन सकते है। इसकी इजाजत उन्हें संविधान नहीं देता है। वहीं, नेपाल की राजधानी काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि वे यह जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं। उनके बाद इस धरान नगरपालिका के मेयर हर्क सम्पांग का नाम सामने आया, लेकिन उन्हें प्रदर्शनकारियों ने समर्थन नहीं दिया।

‘Gen Z’ के एक पक्ष ने बयान में कहा, "चूंकि बालेन शाह ने रुचि नहीं दिखाई, हर्क सम्पांग सबको साथ नहीं ले पाएंगे और सुशीला कार्की 70 वर्ष से अधिक उम्र की और अयोग्य हैं, इसलिए यह तय किया गया कि कुलमन घीसिंग जैसे देशभक्त और सबके चहेते शख्स को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करना चाहिए।"

घीसिंग ने भारत से की पढ़ाई

बता दें कि 54 वर्षीय घीसिंग नेपाल की उस शख्सियत में गिने जाते हैं, जिन्होंने वर्षों तक देश में चली 'लोडशेडिंग' समस्या को दूरस्त किया था। नेपाल में एक समय 18-18 घंटों तक बिजली गुल रहती थी, जिसको स्वास्थ्य करने का कार्य कुलमन घीसिंग ने किया था। उन्होंने भारत के झारखंड के जमशेतपुर स्थित रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। बताते चलते हैं कि देश में यह आंदोलन सोमवार से शुरू हुआ था, जो फेसबुक, एक्स, यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया साइट पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ था। इसमें खबर लिखने तक 34 प्रदर्शनकारियों की जान चली गई है, जबकि 1,000 से ज्यादा घालय हो चुके हैं।

Created On :   11 Sept 2025 5:57 PM IST

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