मेघालय: 18 दिनों से खदान में फंसे हैं मजदूर, टूटे-फूटे 3 हेमलेट मिले
- 5 लोग कामयाब हो गए थे निकलने में
- खदान के बगल से बहती है लैटिन नदी
- खदान में घुस गया है नदी का पानी
डिजिटल डेस्क, शिलॉन्ग। मेघालय की जयंतिया हिल्स खदान में 13 दिसंबर को फंसे 15 मजदूरों को पूरे 18 दिन बीत चुके हैं। इस बचाव अभियान में शनिवार को भारतीय नौसेना भी शामिल हो गई है। एनडीआरएफ की टीम को खदान से टूटी-फूटी हालत में 3 हेलमेट मिले हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि ये हेलमेट खदान में फंसे मजदूरों में से किसी के हैं।
शनिवार को खदान पहुंची नौसेना की टीम के आधुनिक डाइविंग उपकरण हैं, इसमें पानी के अंदर खोज करने वाले रिमोट कंट्रोल वाहन भी शामिल है। कोल इंडिया और पंप बनाने वाली कंपनी किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड ने कोयला खदान के लिए 18 हाई पावर पंप्स रवाना कर दिए हैं।
मजदूर से हुआ दीवार में छेद!
दरअसल, जिस खदान में मजदूर फंसे हुए हैं, उसके ठीक बगल से ही लैटिन नदी बहती है। लोगों का मानना है कि किसी मजदूर से गलती होने पर गुफा की दीवार में छेद हो गया होगा, जिसके बाद नदी का पानी गुफा के अंदर घुस गया। किसी तरह 5 लोग खदान से निकलने में कामयाब हो गए थे, लेकिन 15 वहीं पर फंसे रह गए। इनमें से 7 वेस्ट गारो हिल्स जिले के तो 5 असम के हैं। तीन मजदूर लुमथरी गांव के बताए जा रहे हैं।
थाईलैड के मुकाबले स्थिति गंभीर
इससे पहले एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट संतोष सिंह ने बताया था कि शुक्रवार को खदान में पानी की स्थिति का पता लगाने के लिए क्रेन के सहारे एक गोताखोर को उतारा गया था। गोताखोर ने 15 मिनट बाद सीटी बजाई तो उसे वापस ऊपर खींच लिया गया। पहली बार बचावकर्मी ने खदान से बदबू आने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि थाईलैंड में फंसे बच्चों के मुकाबले यहां की स्थितियां ज्यादा मुश्किल हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो एनडीआरएफ ने जिला प्रशासन से 100 हॉर्स पावर के पंप की मांग की थी, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।
Created On :   29 Dec 2018 1:32 PM IST