भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन: इसरो ने गगनयान मिशन के लिए सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम का काम सफलतापूर्वक संपन्न

इसरो ने गगनयान मिशन के लिए सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम का काम सफलतापूर्वक संपन्न
  • सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम को परखने के लिए मॉडल तैयार
  • इसरो ने 25 बार अलग-अलग तरह से किए परीक्षण में चार घंटे तक चला
  • एलपीएससी में तैयार किया गया प्रोपल्शन सिस्टम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने गगनयान मिशन के लिए सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (एसएमपीएस) का काम सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। इसरो ने सिस्टम के सभी जरूरी परीक्षण भी पूरे हो गए हैं। सभी परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में स्थित इसरो के प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (आईपीआरसी) में किए गए, जहां रॉकेट के इंजन और उससे जुड़े सिस्टम की जांच और परीक्षण किए जाते हैं। परीक्षण में देखना ये देखना था कि अगर उड़ान के दौरान कोई गड़बड़ी हो जाए और मिशन को बीच में रोकना पड़े (जिसे 'मिशन एबॉर्ट' कहा जाता है), तो यह सिस्टम सही तरीके से काम करता है या नहीं। इसरो ने बीते दिन शुक्रवार को इस सिस्टम का 350 सेकंड (करीब 6 मिनट) तक एक बड़ा परीक्षण किया गया। गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिस पर काम किया जा रहा है।

इसरो ने जानकारी देते हुए बताया कि एसएमपीएस को अच्छे से टेस्ट करने के लिए सिस्टम डेमोंस्ट्रेशन मॉडल (एसडीएम) लगा है। इस मॉडल में वे सभी पार्ट शामिल थे जो असली सिस्टम में भी होंगे - जैसे ईंधन टैंक से ईंधन भेजने वाला सिस्टम, हीलियम गैस का दबाव बनाए रखने वाला सिस्टम, उड़ान में काम करने वाले छोटे-छोटे इंजन (थ्रस्टर) और उन्हें नियंत्रित करने वाले उपकरण। इसरो ने इस मॉडल पर अलग अलग तरीके से 25 बार परीक्षण किया है, जिसमें कुल 4 घंटे का समय लगा। ये सारे परीक्षण कुल 14,331 सेकंड (करीब 4 घंटे) तक चले। इनका मकसद यह देखना था कि यह सिस्टम गगनयान मिशन के अलग-अलग चरणों और इंसान को सुरक्षित ले जाने की जरूरतों पर खरा उतरता है या नहीं।

इसरो ने अपने बयान में कहा कि हॉट परीक्षण के दौरान प्रोपल्शन सिस्टम का प्रदर्शन पूर्वानुमानों के अनुसार सामान्य रहा। गगनयान के सर्विस मॉड्यूल में एक विशेष सिस्टम लगा है जो दो तरह के ईंधन से चलता है। सिस्टम में लगा लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) रॉकेट को उसकी सही कक्षा में लाने और फिर धीरे-धीरे नीचे लाने में मदद करते हैं। रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम (आरसीएस) रॉकेट की दिशा को बहुत सटीक तरीके से कंट्रोल करता है।

यह सिस्टम उस हिस्से को मदद करता है जो इंसानों को लेकर अंतरिक्ष में जाएगा। इसका काम रॉकेट को सही कक्षा (ऑर्बिट) में पहुंचाना, उड़ान के दौरान दिशा को नियंत्रित करना, जरूरत पड़ने पर रॉकेट की गति को धीमा करना और अगर कोई गड़बड़ी हो जाए तो मिशन को बीच में रोककर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित वापस लाना है।

Created On :   12 July 2025 7:10 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story