PM मोदी ने 18 बहादुर बच्‍चों को दिया वीरता पुरस्‍कार, पढ़ें हौसलों की कहानी

18 children received National Bravery Award from PM Modi
PM मोदी ने 18 बहादुर बच्‍चों को दिया वीरता पुरस्‍कार, पढ़ें हौसलों की कहानी
PM मोदी ने 18 बहादुर बच्‍चों को दिया वीरता पुरस्‍कार, पढ़ें हौसलों की कहानी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देशभर के 18 बच्‍चों को राष्‍ट्रीय वीरता पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया। इन बच्चों को यह पुरस्कार विपरित परिस्थितियों में ने अपने साहस, संयम, सूझ-बूझ और हिम्मत के दम पर दूसरों की जिंदगियां बचाने के लिए दिया गया। ये 18 बच्चे देश के अलग-अलग राज्यों से हैं। इनमें सबसे ज्यादा नॉर्थ-ईस्ट से हैं। इस साल 7 लड़कियों और 11 लड़कों को ये पुरस्कार दिया गया। इनमें से तीन पुरस्‍कार मरणोपरांत दिए गए।

पुरस्कार पाने वालो में उत्तरप्रदेश की नाजिया, पंजाब से करनबीर सिंह, कर्नाटक से नेत्रावती चव्हाण, मेघालय से बेट्श्वाजॉन पेनलांग, ओडिशा से ममता देलाई, केरल से सेबेस्टियन विंसेट, छत्तीसगढ़ से लक्ष्मी यादव, नागालैंड से मनशा एन, एन शेंगपॉन केनयक, योकनई, चिंगई वांग्सा, गुजरात से समृद्धि शर्मा, मिजोरम से जोनुनतुआंगा, उत्तराखंड से पंकज सेमवाल, महाराष्ट्र से नदाफ एजाज अब्दुल रऊफ, मणिपुर से लोकराकपाम राजेश्वरी चानू, मिजोरम से एल ललछंदामा और ओडिशा से पंकज कुमार माहंत का नाम शामिल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन बच्चों को वीरता पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा कि इन बच्‍चों की बहादुरी से अन्य बच्‍चों में साहस और आत्‍मविश्‍वास की भावना पैदा होगी। उन्‍होंने कहा, "पुरस्कार हासिल करने वाले ज्यादातर बच्चे गांव से आए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्‍चे दैनिक संघर्षों से जूझते हैं। ऐसे में उनके अंदर किसी भी परिस्‍थितियों में साहस दिखाने का दमखम होता है। सभी बहादुर बच्चों, उनके पेरेंट्स और टीचर्स को मैं बधाई देता हूं।"

एक नजर कुछ नन्हें जाबाजों की वीरता पर

नेत्रवती चव्हाण (मरणोपरांत) : 

कर्नाटक की 14 साल की इस बहादुर लड़की ने अपनी जान गंवाकर दो लड़कों को डूबने से बचाया था। पिछले साल मई में नेत्रवती तालाब के पास कपड़े धो रही थी। तभी उसके सामने दो लड़के तालाब में गए और डूबने लगे। ये सब देखकर नेत्रवती ने बिना कुछ सोचे तलाब में छलांग लगा दी। इस दौरान नेत्रवती अपनी जान तो नहीं बचा पाई, लेकिन उस बहादुर बेटी ने 16 साल के मुथू और 10 साल के गणेश को बचा लिया था।

लोकराकपाम राजेश्वरी चानू (मरणोपरांत) : 

मणिपुर की 14 साल की ये बेटी भी दूसरे को बचाने के चक्कर में अपनी जान गंवा बैठी थी। दरअसल, राजेश्वरी चानू ने मणिपुर के अरुंग पुल से इंफाल नदी में गिर रही एक महिला और उसके बच्चे को बचाया था। उन दोनों को बच्चों को बचाने की कोशिश में राजेश्वरी खुद नदी की तेज धार में बह गई थी।

एल ललछंदामा (मरणोपरांत) : 

मिजोरम के रहने वाले ललछंदामा 12वीं क्लास में पढ़ते थे। ललछंदामा ने भी नदी में डूब रहे अपने दोस्त को बचाने की खातिर अपनी जान गंवा दी थी। अपने बेटे को खोने पर ललछंदामा के पिता का कहना है कि उनके बेटे ने वही जो उसे सिखाया गया था।

नाजिया : 

आगरा की इस 16 साल की लड़की ने अकेले दम पर वो कर दिखाया, जो हमारी सरकारें भी शायद न कर पाएं। इस लड़की ने अकेले दम पर जुआ और ड्रग माफिया को उखाड़ फेंका था। नाजिया ने बताया था कि इस दौरान बदमाशों ने उसका पीछा किया, गाली-गलौच की और यहां तक कि उसे किडनैप करन की धमकी भी दी गई। बदमाशों ने कई बार उसके घर में घुसकर नाजिया के परिवार को और उसे धमकी भी दी, लेकिन उसके बावजूद नाजिया ने हार नहीं मानी। बदमाशों की धमकियों को नजरअंदाज कर नाजिया ड्रग माफियाओं के खिलाफ सबूत इकठ्ठे करती रहीं और एक दिन नाजिया ने यूपी के सीएम को ट्वीट कर दिया। इसके बाद सालों से चला रहा जुआ और ड्रग माफिया को खत्म हो गया। नाजिया को इस बहादुरी के लिए भारत अवॉर्ड से नवाजा जाएगा।

ममता दलाई : 

ओडिशा की रहने वाली ममता दलाई इस बार के बहादुर बच्चों में सबसे छोटी हैं। 6 साल की ममता ने इतनी कम उम्र में जो किया, उसके लिए उनके हौंसले और साहस को पूरा देश सलाम कर रहा है। दरअसल, अपनी बड़ी बहन को बचाने के लिए ये 6 साल की मासूम अकेले मगरमच्छ से भिड़ गई थी।

करनबीर सिंह : 

अमृतसर के इस 16 साल के लड़के ने एक-दो नहीं बल्कि 15 बच्चों की जान बचाई थी। दरअसल, सितंबर 2016 को करनबीर स्कूल से घर लौट रहा था। अटारी के पास पहुंचते ही स्कूल बस नियंत्रण से बाहर हो गई और नाले में गिर गई। इस दुर्घटना में करनबीर को भी सिर पर चोट लग गई थी। नाले में गिरने की वजह से बस में तेजी से पानी भरता जा रहा था। इसके बाद करनबीर ने बहादुरी दिखाते हुए एक-एक कर 15 बच्चों को बाहर निकाला था। हालांकि इस हादसे में 7 बच्चों की मौत भी हो गई थी।

Created On :   24 Jan 2018 8:16 PM IST

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