26/11 अटैक: इस कमांडो का ग्रेनेड अगर फट जाता तो नहीं चलता ऑपरेशन इतनी देर, जानिए पूरी कहानी

26/11 attack: ex-mariner praveen teotia took four bullets while fighting terrorists
26/11 अटैक: इस कमांडो का ग्रेनेड अगर फट जाता तो नहीं चलता ऑपरेशन इतनी देर, जानिए पूरी कहानी
26/11 अटैक: इस कमांडो का ग्रेनेड अगर फट जाता तो नहीं चलता ऑपरेशन इतनी देर, जानिए पूरी कहानी
हाईलाइट
  • 26/11 के मुंबई हमले को 10 साल हो गए हैं।
  • एक कमांडो ऐसा भी था
  • जिसका द्वारा फेंका गया ग्रेनेड अगर फट जाता तो यह ऑपरेशन इतनी देर नहीं चलता।
  • पूर्व मरीन कमांडो प्रवीण ने इस हमले में अपनी सुनने की शक्ति खो दी थी।

डिजिटल डेस्क, मुंबई। 26/11 के मुंबई हमले को 10 साल हो गए हैं। इस हमले में 166 बेकसूर लोग मारे गए थे। मुंबई हमले में शामिल 10 आतंकियों के साथ मुंबई पुलिस, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (NSG) और नेवी के कुछ कमांडर्स ने 57 घंटों तक लोहा लिया था। मुठभेड़ में 10 में से 9 आतंकी मारे गए थे और पुलिस, ATS और NSG के 11 जवान शहीद हो गए थे। इसी कड़ी में एक कमांडो ऐसा भी था, जिसके द्वारा आतंकियों पर फेंका गया ग्रेनेड अगर फट जाता तो यह ऑपरेशन इतनी देर नहीं चलता। इस पूर्व मरीन कमांडो का नाम प्रवीण तेवतिया है। प्रवीण ने इस हमले में अपनी सुनने की शक्ति खो दी थी।

प्रवीण अब भी इस हमले को याद कर सिहर उठते हैं। प्रवीण हमले के वक्त 23 साल के थे। प्रवीण बताते हैं कि इस हमले ने मेरी जिंदगी और जिंदगी को देखने का नजरिया बदल दिया। प्रवीण को इस हमले में चार बुलेट लगीं थीं। शौर्य चक्र से सम्मानित इस कमांडो ने बताया, जब मैं ताज होटल में घुसा, तो मैंने हर जगह खून बिखरा देखा। लाशें इधर-उधर पड़ी थीं। जो बच गए थे वह चिल्ला रहे थे। मैं यह नजारा देख कांप गया। वैसे तो हमारा काम ऐसी परिस्थिति से निपटने का होता है, लेकिन उस वक्त मैंने सोचा कि ये मासूम ही क्यों?

प्रवीण ने बताया, "पहले फ्लोर को क्लीअर करने के बाद हम दूसरे फ्लोर पर पहुंचे। दूसरे फ्लोर पर जब हम डायनिंग हॉल के पास पहुंचे तो वहां काफी अंधेरा था। पॉइंटमैन होने के नाते हॉल में सबसे पहले मैं गया। मैं कुछ कदम ही आगे बढ़ा होउंगा कि मेरे दाएं हाथ पर एके-47 को लोड करने की आवाज आई। मुझे लगा कमरे में दो आतंकी मौजूद हैं। पॉजिशन पर आकर मैंने अपनी गन उस ओर तैनात कर दी, तभी उधर से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई। जवाब में मैंने भी तीन-चार राउंड गोली दागी। मेरे कान में गोली लगी थी और खून बह रहा था।"

प्रवीण ने कहा, "कुछ देर बाद मुझे अंदाजा हुआ कि उस कमरे में दो नहीं, बल्कि 4-4 आतंकी मौजूद हैं। मैंने एक ग्रेनेड लिया और उस रूम में फेंक दिया, लेकिन मेरी बदकिस्मती वह फटा नहीं। मैं बहुत निराश हो गया था। मैंने कुछ राउंड और गोलियां चलाईं। कुछ देर बाद मेरे साथियों ने उस हॉल में आंसू के गोले फेंके। मुझे लगा अगर मैं उठा तो आतंकी मार देंगे और नहीं उठा तो ये आंसू के गोले। मैं हार नहीं मानना चाहता था। मैंने सबकुछ किस्मत पर छोड़कर आतंकियों का सामना करने का सोचा।" 

उन्होंने बताया, "मैं उठा और गन को आतंकियों की तरफ पॉइंट कर जितनी भी गोलियां थी दागते हुए गेट की तरफ भागा। इस दौरान दो गोलियां मेरे बुलेटप्रूफ जैकेट में आकर लगी। गेट के पास पहुंचते ही मैं गिर गया। हालांकि मेरी टीम ने मुझे खींच लिया और बाहर ले आए। इसके बाद मुझे INHS अश्विनी नेवी अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ घंटों बाद जब मुझे जानकारी मिली कि सभी आतंकी मारे गए हैं और ऑपरेशन टोरनेडो सफल हुआ है। उस रात मैं चैन की नींद सोया।" प्रवीण बताते हैं कि उनकी पांच सर्जरी हुई हैं। उनकी छाती की दाईं ओर बाएं कान में गोली लगी थी। इसका नतीजा यह हुआ कि उन्होंने अपनी सुनने की शक्ति हमेशा के लिए खो दी। जख्मों से उभरने के बाद नेवी ने उन्हें काम पर लौटने से मना कर दिया। अपने आप को नेवी के लायक प्रूफ करने के लिए प्रवीण दस साल बाद आज भी मैराथन में भाग लेते रहते हैं। 

प्रवीण कहते हैं कि मैराथन के बाद मेरी तमन्ना माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की है। प्रवीण ने कहा, "मैं एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखता हूं। मेरा मानना है कि कड़ी मेहनत हमेशा आपको सही राह दिखाती है। मैंने इंजरी, इन्फेक्शन और सर्जरी से काफी संघर्ष किया है, लेकिन दौड़ने से मुझे काफी मदद मिली। मैं पहले से ज्यादा मजबूत और परिपक्व महसूस कर रहा हूं। जो लोग देश के लिए लड़ते समय घायल हो जाते हैं उन्हें बुरा महसूस नहीं करना चाहिए और यह मानना चाहिए कि आपकी सीमा आकाश जितनी है। आपको बस इतना करना है कि आप अपने दिल की सुनें और उस पर विश्वास करें।"

Created On :   25 Nov 2018 5:44 PM GMT

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