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दैनिक भास्कर हिंदी: 26/11: शहीद तुकाराम की बेटी को आज भी है पिता का इंतजार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। 26/11 के मुंबई हमले को आज 9 साल हो गए हैं। इस महले में 166 बेकसूर लोग मारे गए थे। महानगर के अलग-अलग हिस्सों को खून से लाल करने वाले 10 आतंकियों के साथ मुंबई पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (एनएसजी) ने 57 घंटों तक आतंकियों से लोहा लिया था। मुठभेड़ में 10 में से 9 आतंकी मारे गए थे और पुलिस, एटीएस और एनएसजी के 11 जवान शहीद हो गए थे। सभी शहीदों को हम याद करते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा 10वें आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने वाले शहीद पुलिसकर्मी तुकाराम ओम्बले की होती है। तुकाराम वो जांबाज पुलिसकर्मी थे जो एक मात्र बचे आतंकी को जिंदा पकड़ने के लिए शहीद हो गए। दरअसल कसाब जब पुलिसकर्मियों पर फायरिंग करने की कोशिश करने लगा तो तुकाराम ने सारी गोलियां अपने सीने पर झेल ली थीं। तुकाराम की इसी शहादत की वजह से ही कसाब को जिंदा पकड़ा गया।
परिवार को है बहादुरी पर गर्व
शहीद हुए पुलिसकर्मी तुकाराम ओम्बले की बेटी वैशाली ओम्बले का कहना है कि इस आतंकी हमले को भले ही 9 साल गुजर गए हैं, लेकिन अब भी परिवार को ऐसा लगता है कि वो घर लौटेंगे। बरसी पर वैशाली ओम्बले नम आंखों से अपने पिता को याद करते हुए कहती हैं कि हम महसूस करते हैं कि पापा किसी भी क्षण घर लौट आएंगे, हालांकि हमें ये पता है कि वो अब कभी नहीं आएंगे।
एम-एड की पढ़ाई कर चुकीं वैशाली शिक्षिका बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा, 'हम अक्सर यह सोचा करते हैं कि पापा ड्यूटी पर गए हैं और वो घर लौटकर आएंगे। हमने उनके सामानों को घर में उन्हीं जगहों पर रखा है जहां वो पहले रखते थे। उनके सर्वोच्च बलिदान पर हमारे परिवार को गर्व है।' तुकाराम मुंबई पुलिस में सहायक उप निरीक्षक थे।
तुकाराम की बेटी वैशाली ने कहा कि हर रोज उनकी याद आती है। हमारा एक भी दिन, एक भी मिनट ऐसा नहीं गया जब उनकी याद न आई हो। पापा हमेशा बोलते थे कि मुझे कुछ नहीं होगा। हमारा सब कुछ पापा ही थे जो सहारा थे वो पापा ही थे।
आज तुकाराम ओम्बले की बहादुरी पर उनके परिवार के साथ-साथ पूरे मुल्क को नाज है। उन्होंने खाली हाथ वो कर दिखाया जो अमूमन किसी आम इंसान के बस की बात नहीं होती। सरकार ने भी उनको अशोक चक्र से नवाजा, लेकिन इस शहीद के परिवार के लिए उनकी कमी की भरपाई करना किसी भी तरह मुमकिन नहीं। वो तो अपना सब कुछ देकर भी अपने पिता को वापस पाना चाहते हैं। तुकाराम तो अब कभी वापस नहीं आएंगे, लेकिन ये मुल्क उनकी कुर्बानी को हमेशा याद रखेगा।
ऐसे ओम्बले अकेले टूट पड़े थे कसाब पर...
26 नवंबर की रात मरीन ड्राइव पर हेड कांस्टेबल तुकाराम ओंबले को वॉकी-टॉकी पर खबर मिली थी कि एक स्कोडा कार में सवार आतंकी गिरगांव चौपाटी की तरफ जा रहे हैं। तुकाराम ने फौरन कार का पीछा करना शुरू किया। चौपाटी के पास लगे बैरिकेड को देखकर आतंकवादियों ने कार को मोड़ने की कोशिश की, लेकिन कार डिवाइडर से टकरा गई। टक्कर के बाद अजमल कसाब गाड़ी से बाहर निकला, लेकिन इससे पहले की वो कुछ कर पाता तुकाराम ने उसे दबोच लिया और उसकी एके 47 पकड़ ली।
बंदूक छुड़ाने के मकसद से अजमल कसाब ने ट्रिगर दबा दिया। गोलियों से छलनी होने के बावजूद तुकाराम ने कसाब को भागने का मौका नहीं दिया। अपनी जान न्यौछावर कर तुकाराम ने मुंबई हमलों के सबसे बड़े सबूत को तो देश के हवाले कर दिया, लेकिन अपने परिवार को हमेशा के लिए बेसहारा छोड़ गए।
भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।