Pak ने रेत में गाड़ा बेटे का शव, दिल्ली में भटक रहे माता-पिता
- एक महीने से भटक रहे माता-पिता
- दर्जनों बार लगाए विदेश मंत्री के घर के चक्कर
- दोनों का कहना
- शव नहीं मिला तो दे देंगे जान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अट्ठारह साल के एक लड़के के बुजुर्ग माता-पिता अपने बेटे का शव पाकिस्तान से भारत बुलवाने के लिए पिछले 1 महीने से दिल्ली में भटक रहे हैं। उनके बेटे का शव पाकिस्तान ने रेत में गाड़ दिया है। दोनों विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास के दर्जनों बार चक्कर काट चुके हैं, लेकिन उन्हें अब तक मदद का आश्वासन भी नहीं मिला है। दोनों फिर भी इस उम्मीद में विदेश मंत्री के घर के रोजना चक्कर काट रहे हैं कि किसी को तो उन पर दया आएगी और उनके बेटे का शव पाकिस्तान से भारत बुलवाया जाएगा।
पढ़ाई-लिखाई नहीं की, पासपोर्ट भी नहीं है
कबीर और परवीन कहते है कि वो बहुत गरीब तबके से हैं। चार बेटे हैं, सभी मजदूर हैं। उनके पास न ही पासपोर्ट है और न ही पैसे, इसलिए वो प्लेन या रेल से पाकिस्तान नहीं जा सकते हैं। सलीम उनका सबसे छोटा बेटा था। सलीम पहले दिल्ली में हेल्पर थ, उसे गांव वापस आने के बाद कबीर ने उसे चमन के यहां गैस टैंकर पर हेल्पर रखवा दिया था। लेट में जारी प्रोजेक्ट के लिए गैस टैंकर चलते हैं।
2 महीने और बीत गए तो नहीं मिलेगा शव
पाकिस्तानी नागरिक आशिक हुसैन इंसानियत के नाते कबीर और परवीन की मदद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जैसे ही पुलिस और मौलवी को पता चला कि हिंदुस्तानी व्यक्ति का शव है, उन्होंने कब्रिस्तान में दफनाने की जगह उसे रेत में गाड़ दिया। आशिक ने ही उनके मुल्क में शव वापस भेजने के कानून का पता किया। आशिक ने बताया कि 6 महीने के भीतर शव क्लेम नहीं करने पर कभी वापस नहीं मिले पाएगा, जबकि 7 अक्टूबर को उसे पूरे 4 महीने हो जाएंगे। जम्मू कश्मीर के 100 से ज्यादा विभागों के चक्कर काटने के बाद कबीर होम कमिश्नर, सांसद, विधायक का लेटर लेकर दिल्ली आ चुके हैं, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
शौकत और जब्बार के शव कहां हैं किसी को नहीं पता, लेकिन सलीम का शव पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बालटिस्तान में है। बेटे का शव भारत वापस बुलवाने पिता कबीर और मां गुलनाज परवीन एक महीने से दिल्ली में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कोठी के बाहर रोजना फाइलें लेकर जाते हैं, लेकिन वहां से बैरंग लौटा दिए जाते हैं। उनसे कहा जाता है कि विदेश मंत्री विदेश दौरे पर हैं। कबीर को विदेश मंत्री और पीएम मोदी से मदद की उम्मीद है। एक महीने से कबीर और गुलनाज तुर्कमान गेट में रह रहे हैं। दोनों बुजुर्गों का कहना है कि बेटे का शव नहीं मिला तो जान दे देंगे। वो अपने बेटे का शव हिंदुस्तान में ही दफन करना चाहते हैं। कबीर ने बताया कि 18 साल में उनके 9 ऑपरेशन हो चुके हैं, उनकी सेहत भी ठीक नहीं रहती है। जामा मस्जिद के बाहर बैठे रहते हैं, जो कुछ मिल जाता है खा लेतें हैं।
कश्मीर के राजौरी जिले से 18 साल के सलीम गैस टेंकर लेकर शौकत और जब्बार के साथ 4 जून 2018 को लेह निकले थे। 7 जून को टैंकर कारगिल के पास हरदास ब्रिज से सिंध नदी में गिर गया, जो तेज बहाव में बहते हुए पाकिस्तान पहुंच गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने आर्मी को इसकी सूचना दी, लेकिन 2 दिन तक चले सर्च ऑपरेशन के बाद भी दोनों को कोई पता नहीं चला। घटना के एक महीने बाद टैंकर मालिक चमन के पास POK से फोन आया। फोन करने वाले स्कर्दू जिले के आशिक हुसैन ने सलीम की मौत की जानकारी दी। उसने बताया कि नदी किनारे गिलगित के खैरमंग में गैस टैंकर आधा डूबा मिला है। टैंकर पर मोबाइल नंबर लिखा था, इसलिए उन्होंने फोन किया है। चमन ने सलीम के पिता कबीर को सूचना के सात आशिक हुसैन का नंबर भी दिया। आशिक ने कबीर के फोन पर वाट्सएप के माध्यम से लाश की कई फोटो भेजीं, शव की फोटो देखकर कबीर ने सलीम की पहचान कर ली।
Created On :   1 Oct 2018 10:43 AM IST