प्रवासी मजदूरों के बाद कुशल और पेशेवर लोग लौट सकते हैं बिहार

After migrant laborers, skilled and professional people can return to Bihar
प्रवासी मजदूरों के बाद कुशल और पेशेवर लोग लौट सकते हैं बिहार
प्रवासी मजदूरों के बाद कुशल और पेशेवर लोग लौट सकते हैं बिहार

नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)। कोरोनावायरस महामारी के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी मजदूर बिहार के अपने गांव लौट रहे हैं। बिहार सरकार के मुताबिक अब तक राज्य में 25 लाख लोग लौट चुके हैं। रालोसपा का कहना है कि मजदूरों के बाद अब कुशल और पेशेवर लोग भी अपने राज्य को लौट सकते हैं, जिससे बिहार में रोजगार की बड़ी समस्या पैदा हो सकती है।

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रधान महासचिव और अर्थशास्त्री माधव आनंद कहते हैं, देश भर में बिहार के लगभग 10 से 12 लाख स्किल्ड लेबर बेरोजगारी के मुहाने पर हैं। इसके साथ ही पांच से सात लाख प्रोफेशनल लोगों की नौकरी या तो जा चुकी है या फिर ये लोग कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं, जो देर सबेर गृह जिलों की ओर रुख कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में बिहार में रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।

उनका कहना है कि बिहार में विगत 30 वर्षों के दौरान (1990 से 2020) रोजगार सृजन एवं निवेश सरकारों की प्राथमिकता में नहीं रहा है। इसके कारण बड़ी संख्या में रोजगार के सिलसिले में बिहार के लोगों का पलायन अन्य प्रदेशों में हुआ। बिहार सीमित संसाधनों वाला प्रदेश है, साथ ही समस्याएं अनगिनत हैं। बिहार को दोनों मोर्चे पर लड़ाई लड़ने की आवश्यकता पड़ेगी। इसके लिए बिना केंद्र सरकार के पूर्ण सहयोग से यह संभव नहीं है। मैंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि बिहार को 1.50 लाख करोड़ रुपये का विशेष आर्थिक पैकेज दिया जाए, जिससे बिहार सरकार कुशलता के साथ इस महामारी से लड़ सके और रोजगार सृजन के लिए काम कर सके।

माधव आनंद ने कहा, बिहार में ट्रेनों से 25 लाख दिहाड़ी श्रमिकों की घर वापसी हो चुकी है और तकरीबन 5 से 10 लाख और श्रमिकों की घर वापसी की संभावना है। इन श्रमिकों के अलावा उच्च शिक्षा प्राप्त बिहारवासी जो अन्य प्रदेशों में कार्यरत हैं, उनकी माली हालत भी अच्छी नहीं है। प्राइवेट सेक्टर से बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी जा रही है, जो बच रहे हैं उन लोगों की तनख्वाह 40 से 50 प्रतिशत तक कम कर दी गई है। ऐसे में आशंका है कि इस विषम परिस्थिति में इन लोगों की भी घर वापसी होगी।

माधव आनंद का अनुमान यदि सही होता है तो बिहार में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और बिहार में अविलंब रोजगार मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती होगी।

उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुझाव दिया है कि 100 करोड़ रुपये तक के सरकारी प्रोजेक्ट को टेंडर मुक्त किया जाए, ताकि पारदर्शी तरीके से भारत की प्रतिष्ठित कंपनियों को नॉमिनेशन बेसिस पर काम दिया जा सके। इससे तुंरत रोजगार का सृजन हो सकेगा। साथ ही कृषि, पशुपालन, मछलीपालन, मखाना की खेती पर आधारित व्यवसाय और रोजगार को बढ़ावा देने की जरूरत है।

आनंद ने कहा कि इस संबंध में वह जल्दी ही बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्रियों, सांसदों को ज्ञापन देने वाले हैं, ताकि राजनीतिक से ऊपर उठकर राज्य के लिए समेकित काम किया जा सके।

Created On :   8 Jun 2020 12:31 PM IST

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