पुलिस ने पहले गायों को गौशाला भेजा, फिर 3 घंटे बाद रकबर को अस्पताल
- अस्पताल पहुंचाने में देरी के सवाल पर पुलिस चुप।
- रामगढ़ में गौतस्करों की कथित पिटाई से हुई थी रकबर की मौत।
- समय पर अस्पताल पहुंचाकर बचाई जा सकती थी जान।
डिजिटल डेस्क. जयपुर। अलवर (राजस्थान) के रामगढ़ में कथित रूप से गौतस्करों की पिटाई से मरने वाले रकबर खान के मामले में पुलिस की अमानवीयता सामने आई है। आरोप लग रहे हैं कि पुलिस ने घायल रकबर को अस्पताल पहुंचाने से पहले दो गायों को 10 किलोमीटर दूर गौशाला पहुंचाया। 6 किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाने में पुलिस ने 3 घंटे लगा दिए, जिससे रकबर की मौत हो गई। इस बीच पुलिस ने बीच में गाड़ी रोककर चाय भी पी।
जल्दी अस्पताल पहुंचने पर उसकी जान बचाई जा सकती थी। स्वास्थ्य केंद्र के रजिस्टर के मुताबिक रकबर को सुबह 4 बजे वहां लाया गया। एफआईआर के अनुसार गौरक्षक नवल किशोर शर्मा ने पुलिस को रात 12.41 बजे हमले के बारे में बता दिया था। रामगढ़ पुलिस ने बताया था कि सूचना मिलने के 20 मिनट के अंदर घटनास्थल पर उनकी टीम पहुंच गई थी। रकबर को अस्पताल पहुंचाने में हुई देरी के सवाल पर पुलिस कोई जवाब नहीं दे पाई।
राहुल गांधी ने साधा निशाना
इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया कि ये मोदी का बर्बर न्यू इंडिया है।
Policemen in #Alwar took 3 hrs to get a dying Rakbar Khan, the victim of a lynch mob, to a hospital just 6 KM away.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 23, 2018
Why?
They took a tea-break enroute.
This is Modi’s brutal “New India” where humanity is replaced with hatred and people are crushed and left to die. https://t.co/sNdzX6eVSU
रबकर की पत्नी बोली, मुस्लिम थे इसलिए मारे गए रकबर
रकबर की विधवा अस्मिना ने पुलिस और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ये मुस्लिमों को मारा जा रहा है। उनके पति मुस्लिम थे, इसलिए मारे गए। पुलिस चाहती तो रकबर को जेल ले जा सकती थी, कम से कम जान तो बख्श देनी थी। रकबर पर 9 लोगों के परिवार की जिम्मेदारी थी। 300 से 400 रुपए रोज कमाकर परिवार का गुजारा होता था। कुछ महीने पहले रकबर के पैर में चोट लग गई थी, जिससे वो खेत में काम नहीं कर पा रहा था। इसके बाद रकबर ने तय किया कि वो और 2 गाय खरीदेगा, ताकि दूध बेचकर रोजी कमाई जा सके। उनके पास पहले से 4 गाएं थीं।
गौरक्षकों का दावा, पुलिस की पिटाई में मौत
गौरक्षकों का दावा है कि रकबर की मौत पुलिस की पिटाई में हुई है। पुलिस को सूचना देने वाले गोरक्षक नवल शर्मा ने कहा कि पुलिस घटनास्थल से रकबर को जीवित ले गई थी। नवल के मुताबिक वे मौके पर पहुंचे तो एक व्यक्ति मिट्टी में सना था। उसे पुलिस थाने ले जाकर नहलाया गया। वो आसानी से चल पा रहा था। नवल के मुताबिक पुलिस रकबर को अस्पताल नहीं ले गई। रास्तेभर पुलिसकर्मी रकबर को मारते और गालियां देते रहे। अलवर से भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने दावा किया है कि गौ तस्कर की मौत अस्पताल ले जाते समय हुई है। उन्होंने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है, जिससे साफ हो जाए की मौत भीड़ की पिटाई से हुई है या पुलिस की मारपीट से।
डॉक्टर का दावा, सुबह 4 बजे शव लाई पुलिस
मामले में डॉक्टर का बयान भी सामने आया है। रामगढ़ सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के डॉक्टर हसन अली ने बताया कि स्टाफ ने उन्हें फोन पर सुबह 4 बजे बताया कि पुलिस एक शव लेकर आई है। अली ने अस्पताल पहुंचकर देखा तो शव के चेहरे पर चोट के कोई निशान नहीं थे। सुबह पोस्टमार्टम होना था। पुलिस ने कहा कि यहां कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है, इसलिए शव को अलवर रेफर कर दीजिए। शव को अलवर रेफर कर दिया गया।
रकबर ने खुद बताई थी पहचान
अलवर के एसपी का हाल ही में प्रभार संभालने वाले राजेंद्र सिंह ने बताया कि रकबर को अस्पताल पहुंचाने में देरी होने की शिकायत मिली है। एफाआईआर दर्ज करने वाले सहायक सब इंस्पेक्टर मोहन सिंह ने बताया कि रकबर पिता सुलेमान खान गांव कोल मेवात ने अपनी पहचान खुद बताई थी। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने एक टेंपो का इंतजाम किया और उसमें दो गायों को गौशाला ले गए।
Created On :   23 July 2018 12:05 PM IST