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कहीं शहीद औंरगजेब को स्पेशल ट्रिब्यूट, तो कहीं औरंगजेब नाम से हो गई मोहब्बत
डिजिटल डेस्क, ओडिशा। गुरुवार (14 जून) को ईद मनाने घर जा रहे निहत्थे सेना के 44वीं राष्ट्रीय राइफल्स के राइफलमैन औरंगजेब को आतंकियों ने अगवा कर लिया था और उसके बाद गोली मारकर हत्या कर दी। शहीद औरंगजेब को हर कोई नम आंखों से याद कर रहा है। औंरगजेब को ओडिशा के पुरी बीच पर खास तरीके से याद किया गया। यहां रेत कलाकार मानस कुमार साहू ने रेत से शहीद औरंगजेब की कलाकृति बनाई। यह कलाकृति करीब 20 फीट की है।
अमर रहें शहीद औरंगजेब
शहीद जवान औरंगजेब को शनिवार को पुंछ स्थित उनके गांव सलानी में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। शहीद जवान के अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी थी। अंतिम दर्शन के दौरान शहीद जवान के सम्मान में 'शहीद औरंगजेब अमर रहें' के नारे लगे थे।
नहीं टूटा परिजनों का हौसला
गमगीन माहौल के बावजूद शहीद औरंगजेब के परिवार में देश सेवा का हौसला बना हुआ है। औरंगजेब के पिता और जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के पूर्व सिपाही मोहम्मद हनीफ ने कहा, ‘‘मेरे बेटे ने देश के लिए अपना प्राण न्यौछावर किया। मैं और मेरे बेटे भी देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार हैं। औरंगजेब का सबसे छोटा (15 साल) भाई आसिम कहता है कि मैं अपने भाइयों और पिता की तरह सेना में शामिल होना चाहूंगा।
औरंगजेब के नाम से थी नफरत, अब हुआ अफसोस
मुगल बादशाह औरंगजेब के दक्षिणपंथी हरकतों के कुछ आंकड़े हैं जो सच्चाई पर तो खरे नहीं उतरते लेकिन इतिहास से अनजान लोग उन्हें ही सच मानकर बैठ जाते हैं और औरंगजेब से नफरत करने लगते हैं।
औरंगजेब के नाम से नफरत करने की ऐसी ही एक गलती का एहसास एक पुलिसकर्मी को भी हुआ, जब गुरुवार को कश्मीर में शहीद हुए जवान औरंगजेब ने सिपाही की धारणा को बदल दिया। यूपी पुलिस के सिपाही जितेन्द्र यादव ने ट्विट्टर पर लिखा ”#HeroesInUniform तैमूर की तरह औरंगजेब नाम भी मुझे कभी नहीं भाया, दोनों नाम जब जेहन में आये, क्रूरता का वो भयानक मंजर नजर आया,जो खून में रंगा था, मै कितना गलत था अब समझ आया, नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता। दोस्त तुमने इस नाम में भी तिरंगे के रंग भर दिए, तुम्हारी शहादत हमेशा याद रहेगी”
#HeroesInUniform तैमूर की तरह औरंगजेब नाम भी मुझे कभी नहीं भाया,दोनों नाम जब जैहन में आये,क्रूरता का वो भयानक मंजर नजर आया,जो खून में रंगा था,मै कितना गलत था अब समझ आया,नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता |#दोस्त_तुमने इस नाम में भी #तिरंगे के रंग भर दिए,तुम्हारी #शहादत हमेशा याद रहेगी pic.twitter.com/jl2dkXHaam
— Jitendra Yadav (@IAmJitendraa) June 17, 2018
सोशल मीडिया पर औरंगजेब के अाखिरी पलों का एक वीडियो भी वायरल हुआ है, आखिरी दम तक वो दुश्मन को देख रहा था, उनके सवालों का जवाब देता रहा। इसी जज्बे से प्रभावित होकर यूपी के इस सिपाही ने अपनी भावुकता का इस तरह से पोस्ट के जरिए बया कर अपनी सोच में बदलाव लाया। एक मशहूर कहावत है भी कि 'नाम में क्या रखा है' जो भी बुला लो'
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।