दिल्ली प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, प्रदूषित दिल्ली नरक से भी बदतर

Better to get Explosives, Kill Everyone, Supreme Court On Delhi Pollution
दिल्ली प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, प्रदूषित दिल्ली नरक से भी बदतर
दिल्ली प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, प्रदूषित दिल्ली नरक से भी बदतर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि बिगड़ती वायु गुणवत्ता, बढ़ते कचरे और पीने योग्य पेयजल नहीं होने जैसे कारणों से दिल्ली नरक से भी बदतर हो गई है। इसके साथ ही अदालत ने पूछा कि लोगों को मुआवजा देने के लिए राज्य प्रशासन को जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए?

जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की बेंच ने मुख्य सचिव विजय देव से कहा, क्या आप दिल्ली में जल और वायु प्रदूषण के बारे में गंभीर हैं..आपके पास कूड़े को संभालने की सिर्फ 55 फीसदी क्षमता है। शेष 45 फीसदी के बारे में क्या?

मुख्य सचिव ने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि दिल्ली में दो सत्ता केंद्र होने के कारण शासन एक मुद्दा है। इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा, दूसरों को दोष मत दीजिए और मत सोचिए कि आप बच सकते हैं। आप लोगों को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी हैं। यमुना नदी को साफ करने के लिए कितना पैसा आ रहा है और यह कहां जा रहा है...दिल्ली में पानी की स्थिति क्या है। हम शुद्ध पेयजल प्राप्त करने के लिए लोगों के अधिकार का खुद से संज्ञान ले रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि भारत में अब जीवन सस्ता भी नहीं रहा है और भोपाल गैस त्रासदी में जो दिया गया, वह दुनिया भर में इसी तरह के मामलों में पीड़ितों को दिए गए की तुलना में कुछ भी नहीं है। अदालत ने कहा, आपके हिसाब से जीवन का मूल्य क्या है? लोग ब्रोन्कियल अस्थमा से पीड़ित हैं। क्या आप जानते हैं कि दिल्ली में कितने कैंसर रोगी हैं। अदालत ने यहां तक कहा कि दिल्ली सरकार के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी को अपनी कुर्सी पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।

जस्टिस मिश्रा ने कहा, आप प्रदूषण के मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं। सरकारें एक-दूसरे पर दोष मढ़ने के बजाए एक साथ क्यों नहीं बैठतीं। सब कुछ इस अदालत के तहत नहीं किया जा सकता है।

वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों की प्रतिक्रिया पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने प्रदूषण के मामलों के जवाब में गंभीरता नहीं दिखाने के लिए राज्य प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों को दोषी ठहराया।

हरियाणा और पंजाब की सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए अदालत ने कहा, लोगों को गैस चैंबरों में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? सभी लोगों को एक बार में मारना बेहतर है..एक ही बार में, विस्फोटक से भरे 15 बैग के साथ। शीर्ष अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिल्ली और उसके आसपास कारखानों के प्रतिकूल प्रभाव पर एक रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया।

Created On :   25 Nov 2019 4:51 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story