6 सितंबर को सवर्णों का भारत बंद, मध्य प्रदेश के कई जिलों में धारा 144 लागू
- बैठक में अरुण जेटली
- निर्मला सीतारमण
- रविशंकर प्रसाद
- पीयूष गोयल
- प्रकाश जवाड़ेकर
- जेपी नड्डा और स्मृति ईरानी शामिल हुई।
- एससी-एसटी एक्ट में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से किए गए संशोधन से सवर्ण नाराज़ हो गए हैं।
- बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सरकार के खिलाफ बढ़ती नाराजगी को देखते हुए शीर्ष मंत्रियों के साथ बैठक बुलाई।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एससी-एसटी एक्ट में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से किए गए संशोधन से सवर्ण नाराज चल रहे हैं। 6 सितंबर को सवर्णों ने भारत बंद का ऐलान किया है। इसे देखते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को शीर्ष मंत्रियों के साथ बैठक की। सूत्रों की मानें तो बैठक में इस बात को लेकर चर्चा की गई कि कैसे सवर्णों की नाराजगी दूर की जाए। बैठक में अरुण जेटली, निर्मला सीतारमण, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, प्रकाश जवाड़ेकर, जेपी नड्डा और स्मृति ईरानी शामिल हुई।
मध्य प्रदेश के चार जिलों में धारा 144
सवर्णों के भारत बंद को देखते हुए मध्य प्रदेश प्रशासन भी अपनी तैयारियों में जुट गया है। प्रदेश के शिवपुरी, भिंड और छतरपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है। ये सात सितंबर तक प्रभावी रहेगी। इसके साथ ही ग्वालियर में 11 तारीख तक के लिए हजारों की संख्या में हथियारों के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं। अशोकनगर और गुना में भी धारा-144 लागू की गई है।
शिवपुरी कलेक्टर शिल्पा गुप्ता, भिंड कलेक्टर आशीष कुमार गुप्ता एवं मुरैना कलेक्टर भरत यादव ने बताया कि राजस्व जिले की सीमा के अंदर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है। ये आदेश मध्यप्रदेश दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत जन सामान्य को जानमाल की रक्षा एवं लोक शांति बनाए रखने के लिए जारी किया गया है।
मध्य प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक (इंटेलीजेंस) मकरंद देउस्कर ने कहा, "किसी तरह की कोई हिंसक घटना न हो इसे देखते हुए 51 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।" देउस्कर ने कहा कि सवर्ण समाज का विरोध अब तक मंदसौर, नीमच, ग्वालियर जैसे कुछ शहरों में रैली के रूप में हुआ है। प्रदेश के ग्वालियर-चंबल और उज्जैन संभाग में विरोध के स्वर तीखे बताए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सपाक्स सहित करीब 30 से 35 संगठनों द्वारा भारत बंद का आव्हान किया गया है, जो केवल सोशल मीडिया पर चल रहा है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी। ये पूरा विवाद इसी को लेकर है। ओबीसी समाज और सवर्ण सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
सवर्णों का कहना है कि सरकार 78 प्रतिशत लोगों को नाराज कर 22 प्रतिशत लोगों को खुश करने में जुटी है। इतना ही नहीं सवर्णों ने उन सभी राजनेताओं को चेतावनी दी है जिन्होंने इस संशोधन में सरकार का साथ दिया था। सवर्ण इन सभी नेताओं के घर का घेराव भी करेंगे।
Created On :   4 Sept 2018 10:46 PM IST