हर जिले में शरियत कोर्ट : बीजेपी बोली- हमारा देश इस्लामिक रिपब्लिक नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) देश के हर जिले में शरीयत कोर्ट बनाने की तैयारी में है। बीजेपी ने AIMPLB की इस योजना पर निशाना साधा है। बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि आप धार्मिक मामलों पर चर्चा कर सकते हैं लेकिन इस देश में न्यायपालिका का महत्व है। देश के गांवों और जिलों में शरियत अदालतों का कोई स्थान नहीं है। हमारा देश इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ इंडिया नहीं है।
You can discuss religious matters but court binds this nation. There is no place for Sharia Court,be it dist or village or city. Courts will work in accordance with law. This isn"t Islamic Republic of India: Meenakashi Lekhi,BJP on AIMPLB plans Shariat courts in all dist of India pic.twitter.com/2w5d0SMr0Q
— ANI (@ANI) July 8, 2018
ये शरियत कोर्ट नहीं दारुल कजा है
ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा, हम इसे शरियत कोर्ट नहीं कह सकते। ये दारुल कजा है, जहां पर काजी वैवाहिक विवादों को सुलझाते हैं। यहां विवाद न सुलझने की स्थिति में अलग होने का तरीका बताते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसकी शुरुआत 1993 में की थी। यह कोई नई बात नहीं है। केंद्र सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे समानांतर कोर्ट न पाए जाने के बाद जारी रखने की अनुमति दी थी।
We don"t call it shariat court. It"s Darul Qaza, where Quazi solves matrimonial disputes or suggests ways for separations if issues aren"t solved: All India Muslim Personal Law Board"s Zafaryab Jilani on board plans Shariat courts in all districts of the nation pic.twitter.com/KutMDuxphj
— ANI UP (@ANINewsUP) July 8, 2018
Muslim Personal Law Board started it in India in 1993. This is nothing new. Central govt has no relation with it. SC had also allowed it to continue while observing that it"s not a parallel court: AIMPLB"s Zafaryab Jilani on board plans Shariat courts in all districts of nation pic.twitter.com/SQPnkjeqRa
— ANI UP (@ANINewsUP) July 8, 2018
15 जुलाई को AIMPLB की बैठक
15 जुलाई को दिल्ली में AIMPLB की महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। इस बैठक में देश के हर जिले में शरियत कोर्ट खोले जाने का फैसला लिया जा सकता है। जफरयाब जिलानी ने रविवार को मीडिया को बताया था कि बोर्ड की अगली बैठक लखनऊ में न होकर दिल्ली में आयोजित होगी। उन्होंने ये भी कहा था कि इस वक्त उत्तर प्रदेश में करीब 40 दारुल-क़ज़ा हैं। कोशिश है कि हर जिले में कम से कम एक ऐसी अदालत जरूर हो।
Created On :   8 July 2018 11:20 PM IST