ट्रिपल तलाक बिल के संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी, मजिस्ट्रेट से ले सकेंगे बेल
- अभी भी यह गैर जमानती अपराध ही रहेगा
- लेकिन मैजिस्ट्रेट से इसमें बेल ली जा सकेगी।
- मुख्य रूप से गैर जमानती अपराध वाले प्रावधान में केंद्रीय कैबिनेट ने बदलाव किया है।
- संशोधनों के साथ ट्रिपल तलाक बिल को कैबिनेट की मंजूरी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष की आपत्ति के बाद अटके तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) और निकाह हलाला संबंधी मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 को केंद्रीय कैबिनेट ने कुछ संशोधनों के साथ मंजूरी दे दी है। मुख्य रूप से गैर जमानती अपराध वाले प्रावधान में केंद्रीय कैबिनेट ने बदलाव किया है। हालांकि अभी भी यह गैर जमानती अपराध ही रहेगा, लेकिन मजिस्ट्रेट से इसमें बेल ली जा सकेगी। इसके अलावा पीड़िता के रिश्तेदार को भी शिकायत दर्ज कराने का अधिकार होगा। इस बिल को अब शुक्रवा को राज्यसभा में रखा जाएगा। राज्यसभा में मोजूद रहने को लेकर तीन लाइन का व्हिप भी बीजेपी ने अपने सांसदों के लिए जारी किया है। माना जा रहा है कि साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार इस विधेयक को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करना चाहती है।
Cabinet has approved amendments in law relating to triple talaq. We"ve proposed 3 changes. If any husband gives triple talaq instantaneously breaks marriage then FIR shall only become cognizable when it is filed by victim or blood relation or relation by marriage: RS Prasad pic.twitter.com/DAsQfUmt4l
— ANI (@ANI) August 9, 2018
बिल की प्रमुख बातें
- गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा ट्रिपल तलाक, हालांकि मजिस्ट्रेट इसमें बेल दे सकेंगे।
- बिल में है तीन साल तक की जेल का प्रावधान।
- पीड़िता के रिश्तेदार को भी शिकायत दर्ज कराने का अधिकार होगा।
- जम्मू कश्मीर में ये कानून लागू नहीं होगा।
- ट्रिपल तलाक की पीड़ित महिला को गुजारा भत्ता का अधिकार।
- मजिस्ट्रेट तय करेंगे गुजारा भत्ता।
पिछले सत्र में राज्यसभा में इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी बहस हुई थी। कांग्रेस का कहना था कि इस बिल में कई सारी खामियां है, ऐसे में इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए। सदन में कांग्रेस ने कहा था कि विधेयक में तीन तलाक से पीड़ित महिला के पति की सजा के दौरान उसके और उसके बच्चों के भरण पोषण के इंतजाम से जुड़े प्रावधान शामिल किये जायें या सरकार इस जिम्मेदारी को वहन करे, तो उनकी पार्टी विधेयक को पूरा समर्थन करने के लिये तैयार हैं।
लोकसभा में आसानी से पास हो गया था विधेयक
तीन तलाक को अपराध करार देने वाले इस विधेयक को लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया था, जिस पर दिन भर चली बहस के बाद वोटिंग हुई थी और शाम को इसे पास कर दिया गया था। AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसमें तीन संसोधनों की मांग रखी थी, ओवैसी का प्रस्ताव 2 वोटों के मुकाबले 241 मतों के भारी अंतर से खारिज कर दिया गया था, जबकि 4 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने तीन तलाक बिल के पास होने की घोषणा की थी।
Created On :   9 Aug 2018 7:28 PM IST