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नीरव-माल्या को भगाने के आरोपों को CBI ने किया खारिज

हाईलाइट
- बिजनसमैन विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी बैंकों के करोड़ों रुपए डकारकर देश से फरार हो गए हैं।
- कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने इस मामले को लेकर CBI की भूमिका पर सवाल खड़े किए है।
- CBI ने इस आरोपों को खारिज कर दिया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिजनेसमैन विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी बैंकों के करोड़ों रुपए डकारकर देश से फरार हो गए हैं। जहां कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर आरोप लगा रही है तो वहीं सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अब CBI ने कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गांधी के उन आरोपों पर सफाई पेश की है जिसमें राहुल गांधी ने विजय माल्या को देश से भगाने में CBI का हाथ बताया था। वहीं CBI ने नीरव मोदी मामले को लेकर भी सफाई पेश की।
CBI ने कहा, जैसे की पहले भी कई बार कहा जा चुका है कि विजय माल्या के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) को बदलने का फैसला उस समय लिया गया था जब CBI के पास माल्या को अरेस्ट करने या हिरासत में लेने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं थे। प्रक्रिया के एक हिस्से के रूप में उचित स्तर पर ये निर्णय लिया गया था न की किसी एक अधिकारी ने ये फैसला लिया था जैसा की आरोप लगाया जा रहा है। मालूम हो कि राहुल गांधी जॉइंट डायरेक्टर एके शर्मा पर LOC बदलने का आरोप लगाते रहे हैं।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि, सीबीआई ने बड़ी खामोशी से डिटेन नोटिस (हिरासत नोटिस) को इन्फॉर्म नोटिस में बदल दिया जिससे माल्या देश से बाहर भाग सका। सीबीआई सीधे पीएम को रिपोर्ट करती है। ऐसे में यह समझ से परे है कि इतने बड़े और विवादित मामले में सीबीआई ने पीएम मोदी की अनुमति के बगैर लुकआउट नोटिस बदला होगा।
वहीं, नीरव मोदी के मामले को लेकर CBI ने कहा, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की शिकायत उनके देश छोड़ने के लगभग एक महीने बाद आई थी। इसलिए ये सवाल ही नहीं उठता है कि किसी CBI अधिकारी का नीरव और मेहुल को विदेश भगाने में हाथ है। उन्होंने कहा कि बैंक से शिकायत मिलने के तुरंत बाद सीबीआई ने कार्रवाई की थी। मालूम हो कि डायमंड कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर पंजाब नेशनल बैंके के 13000 करोड़ रुपए से ज्यादा डकारने का आरोप है। इस घोटाले को अंजाम देने के बाद जहां नीरव मोदी यूके में है तो वहीं मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली है।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।