चांद से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर लैंडर विक्रम से टूटा संपर्क और फिर...

चांद से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर लैंडर विक्रम से टूटा संपर्क और फिर...
हाईलाइट
  • चांद से 2.1 किमी ऊपर चंद्रयान का संपर्क टूटा
  • चंद्रयान-2 मिशन के भविष्य पर सस्पेंस
  • थस्टर्स को बंद करते समय गड़बड़ी आने की आशंका

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। भारत के मिशन चंद्रयान-2 का लैंडर मॉड्यूल विक्रम ने शनिवार रात चंद्रमा के साउथ पोल के करीब सॉफ्ट लैंडिंग करने का प्रयास किया। हालांकि चांद पर लैंड होने से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी से उसका संपर्क टूट गया। इसरो के वैज्ञानिक डेटा का अध्यन कर रहे हैं। चंद्रयान-2 मिशन के तीन हिस्से हैं। पहला हिस्से का नाम ऑर्बिटर, दूसरा लैंडर (विक्रम) और तीसरा रोवर (प्रज्ञान) हैं। फिलहाल ऑर्बिटर ही इसरो के संपर्क में हैं जो चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है।

जिस जगह पर विक्रम को लैंड होना था वह एक ऐसा इलाका है जिसे पहले कभी भी एक्सप्लोर नहीं किया गया। चांद के इस इलाके में मौजूद गहरे गड्ढों में बर्फ के रूप में फंसा हुआ बहुत सारा पानी होने की उम्मीद है। इसी कारण इसरो ने अपने मिशन के लिए इस जगह को चुना था। अगर भारत अपने इस मिशन में कामयाब हो जाता तो वह अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाता। जबकि चंद्रमा के साउथ पोल पर अपने यान को लैंड कराने वाला भारत पहला देश होता। इस मिशन में हीलियम-3 की भी खोज करने का प्रयास किया जाना था।

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01:52 Am : विक्रम का पृथ्वी से टूटा संपर्क, जानकारी का किया जा रहा इंतजार

01:51 Am : लैंडिंग साइट की तलाश कर रहा विक्रम

01:51 Am : चांद से महज 200 मीटर दूर है लैंडर विक्रम

01:48 Am : चांद से महज 12 किलोमीटर दूर चंद्रयान-2

01:46 Am : लैंडर की स्पीड बेहद धमी हो गई है

01:45 Am : अब चांद से महज 19 किलोमीटर दूर है चंद्रयान-2

01:40 Am : 01:50 बजे लैंडिंग साइट की तलाश शुरू करेगा चंद्रयान-2 

01:37 Am : लैंडर विक्रम के चंद्रमा पर उतरने की प्रक्रिया शुरू

01:20 Am : ISRO मुख्यालय से चंद्रयान-2 की लैंडिंग देखने पहुंचे पीएम मोदी

 

 

01:05 Am : 1 बजकर 52 मिनट 54 सेकंड पर होगी विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग

 

 

रात 01:30 बजे शुरू हुई थी लैंडिंग की प्रक्रिया
विक्रम लैंडर 6 किमी प्रति सेकंड या लगभग 21,600 किमी प्रति घंटे की गति से शनिवार को लगभग 1.30 बजे चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की तैयारी शुरू की। सॉफ्ट लैंडिंग" सुनिश्चित करने के लिए 15 मिनट के भीतर इसकी स्पीड को घटाकर 2 मीटर प्रति सेकंड (लगभग 7 किमी/घंटा) किया। हालांकि लैंडिंग से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर विक्रम से संपर्क टूट गया। विक्रम पर लैंडिंग के लिए सही स्थान का पता लगाने के लिए- लैंडर पोजीशन डिटेक्शन कैमरा, लैंडर होरिजोंटल विलोसिटी कैमरा और लैंडर हजार्डस डिटेक्शन एंड अवोयडेंस कैमरा लगा था। लैंडिंग सही जगह हो सके, इसके लिए एल्टिट्यूड सेंसर भी थे।

लैंडर — विक्रम
विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरना था। चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह चन्द्रमा के एक पूरे दिन काम करने के लिए विकसित किया गया था, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर है। इसका वजन 1471 किलोग्राम है और विद्युत उत्पादन क्षमता 650 वॉट है।

रोवर — प्रज्ञान
विक्रम के लैंड होने के लगभग तीन घंटे बाद सुबह 5.30 से 6.30 के बीच, छह पहियों वाला रोबोट वाहन प्रज्ञान 1 सेंटीमीटर/सेकंड की रफ्तार से लैंडर से बाहर आना था। संस्कृत में "ज्ञान" शब्द पर रोवर का नाम रखा गया है। यह चांद की सतह पर 500 मीटर (½ आधा किलोमीटर) की यात्रा करेगा। यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। यह सिर्फ लैंडर के साथ कम्यूनिकेशन कर सकता था। इसका वजन 27 किलोग्राम है और विद्युत उत्पादन क्षमता 50 वॉट है।

आखिरी 15 मिनट थे खतरनाक
ISRO के चेयरमैन के शिवन ने पहले ही कहा था कि इस मिशन की कामयाबी सिर्फ 15 मिनट पर टिकी हुई है। इसरो के लिए ये 15 मिनट खतरनाक साबित हो सकते हैं। लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट के दौरान लैंडर "विक्रम" की स्पीड को बेहद कम करना था। इसकी  स्पीड को 6 किलोमीटर प्रति सेकेंड से घटाकर 2 मीटर प्रति सेकेंड (लगभग 7 किमी/घंटा) पर लाया गया। इसी दौरान विक्रम का पृथ्वी से संपर्क टूट गया।

वेबसाइट और टीवी पर देखी गई लाइव लैंडिंग
रात 1.10 बजे इसरो की वेबसाइट पर इस मिशन का वेबकास्ट किया गया। इसके अलावा फेसबुक, ट्विटर और यू ट्यूब पर इसकी लाइव स्ट्रीमिंग की गई। कई सारे टीवी चैनल्स पर भी इसका लाइव प्रसारण देखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए इसरो मुख्यालय में मौजूद रहे। उनके साथ पिछले महीने साइंस क्विज जीतने वाले 60 बच्चे भी थे। पीएम ने सभी से इस पल की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर करने की अपील की थी। इस पूरे इंवेंट को कवर करने के लिए यहां देश-विदेश के करीब 300 मीडियाकर्मी पहुंचे थे।

साउथ पोल के करीब लैंडिंग का क्या है महत्व?
चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला चंद्रयान-2  29 वां अंतरिक्ष यान होगा। इसका लैंडर मॉड्यूल विक्रम दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा। चांद के इस इलाके में मौजूद गहरे गड्ढों में बर्फ के रूप में फंसा हुआ बहुत सारा पानी होने की उम्मीद है।  साउथ पोल के इतने करीब आज तक कोई और देश सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका है। यह स्थान चंद्र भूमध्य रेखा के लगभग 70 डिग्री दक्षिण में (ध्रुव 90 डिग्री अक्षांश पर स्थित हैं)। अब तक चंद्रमा पर सभी अन्य अंतरिक्ष यान भूमध्यरेखीय क्षेत्र में, चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे हैं। 

22 जुलाई को हुई थी लॉन्चिंग
बता दें कि चंद्रयान-2 को इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी एमके- III की मदद से 22 जुलाई को दोपहर 02.43 बजे लॉन्च किया था। इस प्रोजेक्ट की लागत 978-1000 करोड़ रुपए के बीच है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर "विक्रम" और दो पेलोड रोवर "प्रज्ञान" में हैं। पहले इस मिशन को 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन क्रायोजेनिक स्टेज में रिसाव के बाद इसे रोक दिया गया था।

Created On :   6 Sep 2019 3:25 PM GMT

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