एमएसएमई एक्ट में बदलाव से लघु उद्योगों को होगा नुकसान : संघ

Changes in MSME Act will harm small scale industries: Union
एमएसएमई एक्ट में बदलाव से लघु उद्योगों को होगा नुकसान : संघ
एमएसएमई एक्ट में बदलाव से लघु उद्योगों को होगा नुकसान : संघ

नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। आरसीईपी के मसले पर केंद्र सरकार को बैकफुट पर लाने वाला संघ परिवार अब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग डेवलपमेंट एक्ट (एमएसएमई एक्ट-2006) में प्रस्तावित बदलावों को लेकर मुखर हुआ है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े लघु उद्योग भारती ने स्वतंत्र सूक्ष्म और लघु उद्योग नीति बनाने की मांग करते हुए सरकार की ओर से एमएसएमई एक्ट 2006 में प्रस्तावित बदलावों का कड़ा विरोध किया है। संघ ने सरकार को चेताया है कि एक्ट में बदलाव होने पर सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की परिभाषा ही बदल जाएगी, जिससे बड़ी-बड़ी कंपनियां एमएसएमई में पंजीकरण कराकर सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाते हुए घरेलू उद्योगों की कमर तोड़ देंगी। इससे देश में रोजगार का संकट और गहरा जाएगा।

लघु उद्योग भारती के अखिल भारतीय महामंत्री गोविंद लेले और स्वदेशी जागरण मंच के अश्विनी महाजन ने गुरुवार को यहां एमडी तिवारी भवन में प्रेस कांफ्रेंस कर भी सरकार को नसीहत दी।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एमएसएमई डेवलपमेंट एक्ट-2006 में बदलाव कर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की परिभाषा वार्षिक बिक्री यानी टर्नओवर पर करने का प्रस्ताव ला रही है। अगर ऐसा हुआ तो ट्रेडर्स और अन्य बड़ी कंपनियां टर्नओवर के आधार पर एमएसएमई में पंजीकरण कराकर तमाम तरह की सरकारी सहायताएं हड़प सकती हैं। जबकि मौजूदा परिभाषा के मुताबिक, प्लांट और मशीनरी में पूंजी निवेश राशि के आधार पर सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों का वर्गीकरण होता है।

महाजन ने कहा कि ध्यान रखने की बात है कि रोजगार तभी पैदा होता है, जब कल-कारखाने लगते हैं। मगर टर्नओवर के आधार पर एमएसएमई में पंजीकरण होने से मशीनरी न लगाने वाले लोग भी इसके तहत मिलने वाली सहूलियतों का लाभ उठाने में सफल हो जाएंगे।

उन्होंने सरकार से सूक्ष्म उद्योग के लिए 50 लाख और लघु उद्योग के लिए 50 लाख से अधिक और पांच करोड़ से कम पूंजी निवेश राशि तय करने की मांग की। उन्होंने बताया कि मध्यम उद्योग क्षेत्र एवं इंटरप्राइजेज शब्द को एमएसएमई एक्ट से अलग किया जाए।

संघ भारती पदाधिकारी ने बताया कि एमएसएमई सेक्टर कृषि के बाद सर्वाधिक रोजगार पैदा करता है। मगर बाद के वर्षो में सेवा और मध्यम उद्योग को इसमें शामिल करने से ये मुहिम कमजोर हुई है। इन सब परिवर्तनों के कारण 2006 से लेकर अब तक देश में स्वरोजगार में 10 प्रतिशत की कमी आई है।

Created On :   14 Nov 2019 1:30 PM GMT

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