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अयोध्या मामले पर फैसले से पहले CJI ने कैंसिल की विदेश यात्रा, 17 नवंबर को हो रहे रिटायर

हाईलाइट
- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने अपनी विदेश यात्रा रद्द कर दी है
- वह आधिकारिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए विदेश जाने वाले थे
- सूत्रों के हवाले से ये बात कही जा रही है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने अपनी विदेश यात्रा रद्द कर दी है। वह आधिकारिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए विदेश जाने वाले थे। हालांकि चीफ जस्टिस के विदेश यात्रा रद्द करने के क्या कारण है इसक जानकारी अभी सामने नहीं आ पाई है। सूत्रों के हवाले से ये बात कही जा रही है।
रंजन गोगोई 17 नवंबर को चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले उन्हें दक्षिण अमेरिका, मध्य पूर्व और कुछ अन्य देशों की यात्रा करनी थी। सूत्रों ने कहा कि चीफ जस्टिस ने कुछ कारणों से विदेशी दौरे के लिए अपने कार्यक्रम को रद्द कर दिया है।
रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले पर सुनवाई वाली पांच जजों की बेंच का नेतृत्व किया है। चीफ जस्टिस के अलावा इस बेंच में जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर हैं। इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है। इसके साथ ही सुनवाई करने वाली बेंच ने सभी पक्षों से कहा कि वे र्मोंल्डग ऑफ रिलीफ (किए गए आवेदनों में बदलाव) के बारे में अपनी लिखित बहस तीन दिन के अंदर अदालत को दे दें।
बता दें कि पिछले साल तीन अक्टूबर को भारत के 46वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। जस्टिस रंजन गोगोई ने जस्टिस दीपक मिश्रा का स्थान लिया था, जिनका कार्यकाल दो अक्टूबर को समाप्त हो गया था। असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और लोकपाल क़ानून के तहत लोकपाल संस्था की स्थापना जैसे विषयों पर जस्टिस गोगोई ने सख़्त रुख़ अपनाया था।
जस्टिस गोगोई तब सुर्ख़ियों में आए थे जब निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यशैली को लेकर 12 जनवरी को जस्टिस जे. चेलमेश्वर के नेतृत्व में चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इन चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों में जस्टिस गोगोई भी शामिल थे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में न्यायाधीशों ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश पर कई आरोप लगाये थे।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।