गलवान घाटी पर चीन का दावा अस्वीकार्य : भारत

Chinas claim on Galvan Valley unacceptable: India
गलवान घाटी पर चीन का दावा अस्वीकार्य : भारत
गलवान घाटी पर चीन का दावा अस्वीकार्य : भारत

नई दिल्ली, 20 जून (आईएएनएस)। सरकार ने शनिवार को कहा कि लद्दाख की गलवान घाटी पर चीन का दावा अस्वीकार्य है और स्पष्ट किया कि हिंसक सघर्ष चीनी सैनिकों के वास्तविक नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से में घुसपैठ करने के कारण हुआ, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए।

सरकार की तरफ से यह बयान ऐसे समय में आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले एक सर्वदलीय बैठक में कहा था कि लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में कोई घुसपैठ नहीं हुई है, और न तो किसी भारतीय सीमा चौकी पर कब्जा हुआ है। इसके बाद गलवान घाटी में सोमवार रात हुए हिंसक संघर्ष को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।

प्रधानमंत्री के संदिग्ध बयान के बाद चीन ने शनिवार सुबह पूरी गलवान घाटी पर अपनी संप्रभुता का दावा कर दिया।

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में सरकार ने अब कहा है कि चीन का गलवान घाटी पर दावा अस्वीकार्य है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने जोर देकर कहा कि गलवान घाटी के संबंध में रुख ऐतिहासिक रूप से स्पष्ट है। उन्होंने कहा, चीनी पक्ष द्वारा एलएसी के संबंध में अब अतिरंजित और अपुष्ट दावा करने की कोशिश स्वीकार्य नहीं है।

सरकार ने कहा है कि बीजिंग के ताजा दावे चीन के अतीत के खुद के रुख के अनुरूप नहीं हैं।

एलएसी पर हिंसक झड़प के लिए जिम्मेदार घटनाक्रमों के संबंध में चीन के दावे का बिंदुवार खंडन करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि मई 2020 के प्रारंभ से ही चीनी पक्ष इलाके में भारत के सामान्य, पारंपरिक पेट्रोलिंग पैटर्न में बाधा डाल रहा है।

उन्होंने कहा, इसके परिणामस्वरूप आमना-सामना हुआ, जिसे ग्राउंड कमाडर्स ने द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल्स के प्रावधानों के तहत सुलझाया। हम इस तर्क को स्वीकार नहीं करते कि भारत एकतरफा यथास्थिति बदल रहा था। इसके विपरीत हम इसे बरकरार रखे हुए थे।

सरकार ने कहा कि उसके बाद मई मध्य में चीनी पक्ष ने भारत-चीन सीमा इलाकों के वेस्टर्न सेक्टर के दूसरे इलाकों में एलएसी पर घुसपैठ करने की कोशिश की।

बयान में कहा गया है, इन कोशिशों पर हमारी तरफ से उचित जवाब दिया गया।

उसके बाद दोनों पक्षों में स्थापित कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से चर्चा शुरू हुई, ताकि एलएसी पर चीनी गतिविधियों के कारण उत्पन्न हालात को सुलझाया जा सके।

सरकार ने कहा कि दोनों पक्षों के वरिष्ठ कमांडरों की छह जून को बैठक हुई और दोनों देश तनाव कम करने और एलएसी से दूर हटने की एक प्रक्रिया पर सहमत हुए, जिसमें दोनों तरफ से पहल होनी थी। दोनों पक्ष एलएसी का सम्मान और उसका अनुपालन करने तथा यथास्थिति बिगाड़ने वाली किसी गतिविधि में शामिल न होने पर सहमत हुए थे।

सरकार ने नई दिल्ली में कहा, लेकिन चीनी पक्ष गलवान घाटी इलाके में एलएसी के संबंध में बनी इन सहमतियों से पीछे हट गया और उसने एलएसी के पार ढाचे खड़े करने चाहे। जब इस कोशिश को विफल किया गया, तब चीनी सैनिकों ने 15 जून, 2020 को हिंसक कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप जानें गईं।

सरकार ने दोहराया कि भारतीय सैनिक गलवान घाटी सहित भारत-चीन सीमा इलाकों के सभी सेक्टरों में एलएसी से भलीभांति परिचित हैं।

बयान में कहा गया है, वे यहां ईमानदारी के साथ इसका पालन करते हैं, जैसा कि वे हर जगह करते हैं। भारतीय पक्ष ने कभी भी एलएसी के पार जाकर कोई कार्रवाई नहीं की। वास्तव में वे इस इलाके में एक लंबे समय से बगैर किसी घटना के गस्त कर रहे हैं। भारतीय सेना द्वारा खड़े किए गए ढांचे स्वाभाविक रूप से एलएसी के अपने हिस्से में हैं।

विदेश् मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने 17 जून को बातचीत की थी और जयशंकर ने 15 जून की हिंसक घटना के पीछे के घटनाक्रमों पर भारत की सख्त आपत्ति से अवगत कराया था।

प्रवक्ता ने कहा, दोनों पक्ष नियमित रूप से संपर्क में हैं और सैन्य व कूटनीतिक तंत्र की प्रारंभिक बैठकों पर फिलहाल चर्चा चल रही है।

Created On :   20 Jun 2020 6:30 PM GMT

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