अयोध्या विवाद : CJI ने गठित की नई बेंच, जस्टिस अशोक भूषण, अब्दुल नजीर शामिल

- अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार को पांच सदस्यीय नई बेंच का गठन कर दिया गया है।
- इस बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर को शामिल किया गया है।
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस बेंच का गठन किया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार को नई पांच सदस्यीय बेंच का गठन कर दिया गया है। इस बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर को शामिल किया गया है। इन दोनों जस्टिस के अलावा इस बेंच में खुद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसएस बोगडे है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस बेंच का गठन किया है। 29 जनवरी को सुबह 10.30 बजों पांच जजों की नई बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
बता दें कि इससे पहले 10 जनवरी को अयोध्या मामले की सुनवाई हुई थी। इसके लिए पांच सदस्यीय बेंच का गठन किया गया था। रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली इस बेंच में जस्टिस एन.वी. रमन्ना, जस्टिस एस.ए. बोब्डे, जस्टिस यू.यू. ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को शामिल किया गया था। हलांकि कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बेंच में जस्टिस उदय उमेश ललित के शामिल होने पर सवाल उठाए थे जिसके बाद यूयू ललित ने खुद को इस बेंच से हटा लिया था।
क्या है पूरा विवाद
अयोध्या मामला इस देश का सबसे बड़ा विवाद है। जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या का विवादित ढांचा भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1530 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है।
माना जाता है कि मुग़ल सम्राट बाबर के शासन में हिंदू भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण किया। मस्जिद बाबर ने बनवाई इसलिए इसे बाबरी मस्जिद कहा गया।अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया था। इसके बाद से ये मामला कोर्ट में है।
Created On :   25 Jan 2019 6:45 PM IST