महाराष्ट्र विधानसभा समय के पहले भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं CM फडणवीस
- 6 महीने पहले विधानसभा भंग की सिफारिश कर सकते हैं देवेंद्र फडणवीस।
- देर रात 12.30 बजे मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस गुप्त तरीके से अचानक दिल्ली पहुंचे।
- मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस देर रात लगभग 2 बजे के करीब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष शाह से मिले।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्वर्ण गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए संविधान संशोधन लोकसभा में पारित हो जाने के बाद मंगलवार की देर रात 12.30 बजे मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस गुप्त तरीके से अचानक दिल्ली पहुंचे। जानकारी के मुताबिक उन्होने राजधानी पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। हालांकि इस गुप्त बैठक के राजनीतिक हलकों में कई मायने निकाले जा रहे है, लेकिन माना जा रहा है कि बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य की विधानसभा के चुनाव कराए जाने के लिए इसे समय के पहले भंग करने के मुद्दे पर चर्चा हुई।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस देर रात लगभग 2 बजे के करीब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष शाह से मिले। प्रधानमंत्री निवास पर तीनों नेताओं के बीच हुई बैठक करीब दो घंटे से भी अधिक समय तक चर्चा चली। इसके बाद तड़के 6.30 बजे मुख्यमंत्री मुंबई के लिए रवाना हुए। क्योंकि बुधवार को सुबह प्रधानमंत्री को प्रदेश के सोलापुर में पहुंचना था।
इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मुलाकात होनी ही थी। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इतनी हडबड़ी में मुख्यमंत्री को किस मुद्दे पर चर्चा के लिए गुप्त तरीके से दिल्ली तलब किया गया। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा जाति को 16 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, लेकिन मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है, जिस पर सुनवाई अभी लंबित है। इस बीच बुधवार को केन्द्र सरकार ने गरीब संवणों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का संविधान संशोधन पास कर लिया है और राज्यसभा में भी यह पारित हो जाएगा। क्योंकि यहां भी किन्तु-परंतु के साथ अधिकतर इसके समर्थन में ही है। खास बात यह कि इसके तहत मराठा जाति भी आरक्षण के दायरे में आ रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा को 16 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला न्यायिक जांच में टिक पाना मुश्किल लग रहा है, लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा दिए जा रहे 10 फीसद आरक्षण के तहत मराठा को लाभ मिल सकता है। राज्य में फिलहाल चुनाव की दृष्टि से मराठा आरक्षण का मुद्दा सबसे अहम है और केन्द्र के इस फैसले का विधानसभा चुनाव में भाजपा को लाभ मिल सकता है। इस राजनीतिक लाभ को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराने की पहल कर सकती है और समय के पहले यानी 6 महीने पहले विधानसभा भंग की मांग कर सकती है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में भी यही मुद्दा को ज्यादा भुनाया जाएगा और उधर मुख्यमंत्री को भी विधानसभा चुनाव में खांसी मेहनत नही करनी पडेगी। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल नवंबर माह के पहले सप्ताह में समाप्त हो रहा है।
Created On :   9 Jan 2019 9:10 PM IST