सर्जिकल स्ट्राइक में तेंदुए के मल-मूत्र का इस्तेमाल, ताकि कुत्ते दूर रहे

Commandos used leopard urine in surgical strike mission
सर्जिकल स्ट्राइक में तेंदुए के मल-मूत्र का इस्तेमाल, ताकि कुत्ते दूर रहे
सर्जिकल स्ट्राइक में तेंदुए के मल-मूत्र का इस्तेमाल, ताकि कुत्ते दूर रहे
हाईलाइट
  • इंडियन आर्मी ने 29 सितंबर 2016 को पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था।
  • इस मिशन को लेकर नागरोटा कॉर्प्स के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने एक दिलचस्प खुलासा किया है।
  • मिशन पर गए सैनिकों ने तेंदुए के मल मूत्र का इस्तेमाल किया था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडियन आर्मी ने 29 सितंबर 2016 को पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इस मिशन को लेकर नागरोटा कॉर्प्स के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने अब एक दिलचस्प खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि इस मिशन पर गए सैनिकों ने कुत्तों से बचने के लिए तेंदुए के मल मूत्र का इस्तेमाल किया था। पुणे के थोर्ले बाजीराव पेशवे प्रतिष्ठान में अपने सम्‍मान समारोह के दौरान उन्‍होंने ये खुलासा किया।

राजेंद्र निंबोरकर ने कहा, "जूलॉजी और एनिमल बिहेवियर पर उनको काफी समझ थी। साथ ही सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक से पहले इलाके की रेकी करने के साथ ही वहां के बायोडायवर्सिटी को भी बारीकी से समझा था।" उन्‍होंने बताया कि जिस इलाके से होकर यह कमांडो पाकिस्‍तान के अंदर जाने वाले थे वह इलाका घने जंगल के अलावा आबादी वाला भी था। कॉर्प कमांडर को डर था कि यहां पर मौजूद कुत्‍ते इस सर्जिकल स्‍ट्राइक को नाकाम कर सकते हैं। इसकी वजह ये भी थी कि कुत्‍तों के भौंकने की वजह से कमांडो की जानकारी वहां के स्‍थानीय लोगों को हो सकती थी। लिहाजा इन कुत्‍तों को कमांडो से दूर रखना था।

उन्होंने बताया, "जब वह नौशेरा सेक्टर में ब्रिगेड कमांडर (अपने करियर के शुरूआती दौर में) थे, तब उन्होंने पाया कि वहां कुत्तों पर अक्सर ही तेंदुए हमला करते हैं और कुत्ते रात में तेंदुए के डर से भाग जाते हैं। इसीलिए इससे बचने के लिए इस सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम देने वाले कमांडोज को खासतौर पर तेंदुए का मल और पेशाब दिया गया। कमांडोज ने इसका इस्‍तेमाल पाकिस्‍तान की सीमा के अंदर किया। जिस रास्‍ते को कमांडोज ने चुना वहां पर वह इसकी कुछ बूंदे गिराते चले गए।"

उन्होंने यह भी बताया कि हमले की योजना बनाते समय अत्यधिक गोपनीयता बरती गई। तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस योजना को अंजाम देने के लिए उन्हें एक हफ्ते का समय दिया था। योजना के मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक के एक दिन पहले सैनिकों से हमले के लक्ष्य को साझा किया गया। सुबह साढ़े तीन बजे इसे अंजाम दिया गया।

आतंकवादियों के लॉचिंग पैड में उनकी गतिविधियों का अध्यन किया गया था, जिसके बाद सुबह साढ़े तीन बजे का समय सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने के लिए चुना गया। तय समय से पहले ही सैनिक वहां पर पहुंच गए थे। सेना द्वारा बताए गए आंकड़े के अनुसार, सर्जिकल स्ट्राइक में तीन लॉन्चिंग पैड को ध्वस्त किया गया था, जिसमें करीब 50 आतंकवादी मारे गए थे।

Created On :   12 Sep 2018 4:18 PM GMT

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