नसीमुद्दीन सिद्दीकी का विरोध करना पड़ा भारी, कांग्रेस ने दीक्षित को पार्टी से निकाला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कांग्रेस में शामिल होने पर विरोध करना संजय दीक्षित को पार्टी से बाहर कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के सीनियर लीडर संजय दीक्षित ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पार्टी में आने का विरोध किया था, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया है। वहीं पार्टी से निकाले जाने पर संजय दीक्षित का कहना है कि उन्होंने पार्टी के खिलाफ कुछ नहीं कहा था, बल्कि पार्टी की नीतियों पर सवाल खड़े किए थे।
क्या कहा था संजय दीक्षित ने?
नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कांग्रेस में शामिल होने पर संजय दीक्षित ने फेसबुक पर एक पोस्ट कर कहा था कि "मायावती सरकार में हुए सभी बड़े घोटालों में सिद्दीकी शामिल रहे हैं और वो हमेशा मायावती के करीबी थी। राहुल गांधी एक तरफ मणिशंकर अय्यर को पार्टी से बाहर कर स्वच्छ राजनीति की वकालत कर रहे हैं और दूसरी तरफ सिद्दीकी जैसे दागी नेताओं को कांग्रेस में शामिल किया जा रहा है।" दीक्षित ने कहा था कि "मुझे ऐसा लगता है कि लोकल कांग्रेस लीडर ने सिद्दीकी के साथ कोई समझौता किया है और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गुमराह किया है।" उन्होंने आगे कहा था कि "2019 में लोकसभा का चुनाव है। ऐसे में दागियों को पार्टियों में शामिल न करें। हम मोदी सरकार की हकीकत जनता के बीच ले जाएं, न कि बीजेपी को पार्टी पर हमला करने का मौका दें।"
कांग्रेस ने 6 साल के लिए किया बाहर
नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ ऐसी बातें कहने पर कांग्रेस ने संजय दीक्षित को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया है। यूपी कांग्रेस के स्पोक्सपर्सन अशोक सिंह ने कहा कि "संजय दीक्षित पार्टी की टॉप लीडरशिप के फैसले के खिलाफ गए। उन्होंने पार्टी के फैसलों के खिलाफ मीडिया और सोशल मीडिया में बेबुनियाद आरोप लगाए और उन्हें इसका दोषी पाया गया है।" उन्होंने आगे बताया कि "यूपी कांग्रेस की डिसीप्लीन कमेटी ने दीक्षित को दोषी पाया है, जिसके बाद उन्हें पार्टी के सभी पदों से और मेंबरशिप से 6 साल के लिए निकाला जाता है।" उन्होंने ये भी कहा कि संजय दीक्षित को बार-बार चेतावनी दी गई, बावजूद वो पार्टी के खिलाफ ही काम करते जा रहे थे।
22 फरवरी को ही हुए हैं कांग्रेस में शामिल
बता दें कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने 22 फरवरी को कांग्रेस की ऑफिशियली मेंबरशिप ली है। सिद्दीकी इससे पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) में थे, लेकिन यूपी विधानसभा चुनावों के बाद मायावती ने सिद्दीकी को पार्टी से निकाल दिया था। सिद्दीकी को मायावती का राइट हैंड माना जाता था।
बीएसपी ने नसीमुद्दीन को क्यों निकाला?
पिछले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद पार्टी ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल को बाहर निकाल दिया था। पार्टी का आरोप था कि नसीमुद्दीन ने पार्टी कैंडिडेट्स से पैसे लिए, लेकिन उन्हें पार्टी फंड में नहीं जमा किया। इसके साथ ही नसीमुद्दीन पर एंटी पार्टी एक्टिविटीज़ में शामिल होने का आरोप भी लगा। बीएसपी की तरफ से सतीश चंद्र मिश्र ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि "नसीमुद्दीन ने चुनावों के दौरान पार्टी कैंडिडेट्स से पैसा लिया, लेकिन उसे फंड में जमा नहीं कराया। इन आरोपों पर उनका पक्ष लेने के लिए उन्हें कई बार बुलाया भी गया, लेकिन वो नहीं आए।" पार्टी का कहना था कि बीएसपी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं है, लिहाजा नसीमुद्दीन और उनके बेटे को पार्टी से बाहर कर दिया गया है। बता दें कि नसीमुद्दीन को मायावती का राइट हैंड कहा जाता था।
कौन हैं नसीमुद्दीन सिद्दीकी?
नसीमुद्दीन सिद्दीकी उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के सेवरा गांव के रहने वाले हैं। सिद्दीकी बीएसपी से 1988 में जुड़े थे और यहीं से उनका पॉलिटिकल करियर शुरू हुआ था। वो पहली बार 1991 में विधायक चुने गए थे। जब मायावती 1995 में पहली बार सीएम बनीं थीं तो नसीमुद्दीन को कैबिनेट मिनिस्टर बनाया गया था। सिद्दीकी 2007-2012 तक मायावती सरकार में भी मंत्री रहे। करीब 29 सालों तक बीएसपी में रहने के बाद 10 मई 2017 को मायावती ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था।
Created On :   28 Feb 2018 1:38 PM IST